नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर शीला दीक्षित के काफी करीबी रहे हैं. शीला को याद करते हुए उन्होंने कहा कि मैं उन्हें तब से जानता था जब वे शीला दीक्षित नहीं, शीला खन्ना थीं और उनकी शादी भी नहीं हुई थी. उन्होंने कहा कि ये दिल्ली शीला की थी और हमेशा शीला की ही रहेगी.
राजनीति में आने से पहले एक अधिकारी के रूप में अपने जीवन को याद करते हुए मणिशंकर अय्यर ने कहा कि मैं जब राजीव गांधी के कार्यालय में आया, उस समय शीला एक नेता के तौर पर उभर रही थीं.
शीला दीक्षित के साथ अपनी अंतिम मुलाकात को याद करते हुए मणिशंकर अय्यर ने कहा कि करीब 10-15 दिन पहले मैं शीला से मिलने उनके घर आया था. उस समय शीला ने बातों-बातों में कहा, 'मैं भी खाली बैठी हूं, आप भी खाली हैं, कभी आ जाया कीजिए. शाम को बैठ कर कभी खाना खाते हैं.'
मणिशंकर अय्यर ने भावुक होते हुए कहा कि उस समय पता नहीं था कि अब वो समय कभी नहीं आएगा.
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शीला दीक्षित ने किस तरह दिल्ली का विकास किया, इस पर जिक्र करते हुए मणिशंकर कहा कि आज की दिल्ली जो भी है, वह शीला की दिल्ली है और यह शीला की दिल्ली ही रहेगी.
ग्रेस पार्टी के लिए शीला के असामयिक निधन को बड़ी क्षति बताते हुए मणिशंकर अय्यर ने कहा कि यह सिर्फ कांग्रेस पार्टी ही नहीं पूरी दिल्ली के लिए अपूरणीय क्षति है.
बता दें, मणिशंकर अय्यर के अलावा प्रधानमंत्री मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री केजरीवाल जैसी कई बड़ी शख्सियतों ने शीला दीक्षित को श्रद्धासुमन अर्पित किया.