नई दिल्ली : कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने केंद्र सरकार की कोरोना जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाया है. रविवार को यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस में तिवारी ने सरकार से पूछा, 'हमारे पास प्रतिदिन एक लाख परीक्षण करने की क्षमता है, फिर हम 39,000 की दर से टेस्ट क्यों कर रहे हैं? क्या केंद्र में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार जान बूझकर रेंडम परीक्षण कर रही है?'
मनीष तिवारी ने सवाल किया कि क्या सरकार समस्या की भयावहता को कम करने का प्रयास कर रही है है? उन्होंने कहा कि जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ एक बैठक करेंगे, उन्हें इस बैठक में कोरोना संकट से निबटने के लिए एक राष्ट्रीय योजना बनाने पर चर्चा करनी चाहिए.
लॉकडाउन के बाद भारत के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में उन्होंने कहा, 'हमें उम्मीद है कि मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक के दौरान पीएम इस लॉकडाउन और अगले तीन महीनों में स्थिति से बाहर निकलने के लिए एक व्यापक और समग्र रणनीति बनाएंगे.'
कांग्रेस नेता ने सुझाव दिया कि महामारी के इस संकट से निबटने के लिए सरकार को एक राष्ट्रीय योजना या राज्यों और जिलों के लिए एक योजना पेश करनी चाहिए. विशेषज्ञों के अनुसार, कोविड-19 जल्द ही खत्म नहीं होने वाला है और इसलिए हमें लोगों को इस वायरस से निबटने के लिए तैयार करना होगा.
उन्होंने आरोप लगाया कि अब तक आपदा या महामारी से निबटने के लिए कोई राष्ट्रीय योजना नहीं है और राज्य इन मुद्दों से निबटने के लिए योजना नहीं बना सकते.
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प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर, मनीष तिवारी ने सरकार से पूछा कि क्या राज्य की सीमाओं पर फंसे प्रवासी श्रमिकों से निबटने की रणनीति केंद्र के पास है.
ईटीवी भारत के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, 'इन श्रमिकों को कोविड-19 महामारी के दौरान अपने घरों को वापस जाने की अनुमति देने के लिए अपने तरीके से काम करने की अनुमति देनी चाहिए.'