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सर्वदलीय बैठक में शामिल नहीं होंगी ममता, PM मोदी ने दिया था आमंत्रण - all party meet

मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल न होने से लेकर NITI आयोग की बैठक में शामिल होने से इनकार करने तक ममता का भाजपा की ओर कड़वा रुख नजर आ रहा है. अब ममता ने पीएम द्वारा आयोजित 19 जून को होने वाली सर्वदलीय बैठक में भी शामिल होने से मना कर दिया है. ममता के इस रवैये को लेकर भाजपा नेताओें की अलग अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं.

ममता ने सर्वदलीय बैठक से किया इंकार
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Published : Jun 18, 2019, 7:48 PM IST

Updated : Jun 18, 2019, 11:50 PM IST

नई दिल्लीः पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पीएम की सर्वदलीय बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है.

गौरतलब है कि पीएम मोदी ने वन नेशन वन वोट के मुद्दे को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाई है.

बनर्जी ने केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी को पत्र लिखकर यह सूचना दी थी कि पीएम द्वारा बुलाई गई इस बैठक में शिरकत नहीं कर पाएंगी.

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ममता ने केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी को लिखा पत्र

आपको बता दें ममता ने अपने लिखे पत्र में कहा था कि, केंद्र जल्दबाजी में फैसला लेने की बजाय वन नेशन वन वोट पर एक श्वेत पत्र तैयार करे.

पीएम ने इस सर्वदलीय बैठक के लिए सभी राजनीतिक दलों के प्रमुखों को निमंत्रण दिया है, जिनके पास बैठक के लिए कम से कम एक सदस्य राज्यसभा से और एक लोकसभा से हो.

बता दें 19 जून को होने जा रही इस बैठक में कुछ अहम मुद्दे शामिल हैं, जिनमें वन नेशन वन वोट, 2022 में आजादी को होने जा रहे 75 साल, और इस साल महात्मा गांधी की 150 वीं जयन्ती शामिल हैं.

इसके बाद 20 जून को सभी सांसदों के साथ एक डिनर-मीटिंग की जाएगी.

गौरतलब है कि 303 सांसदों के साथ, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी है, जिसके बाद कांग्रेस (52) और द्रमुक (23) हैं.

संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी को लिखे पत्र में, बनर्जी ने 'वन नेशन वन वोट' पर विशेषज्ञों से परामर्श की बात कही है.

इतने कम समय में 'एक देश, एक चुनाव' जैसे संवेदनशील और गंभीर विषय पर सही प्रतिक्रिया नहीं होगी. इस मामले में संवैधानिक विशेषज्ञों, चुनाव विशेषज्ञों और सबसे ऊपर, पार्टी के सदस्यों के साथ परामर्श की आवश्यकता है.

ममता ने पत्र में लिखा था, मामले को जल्दबाजी में करने के बजाय, मैं आपसे अनुरोध करूंगी कि कृपया सभी राजनीतिक दलों को इस विषय पर एक श्वेत पत्र जारी करने के लिए पर्याप्त समय प्रदान करके उनसे विचार मांगें, यदि आप सिर्फ ऐसा करते हैं, तो हम इस पर ठोस सुझाव दे पाएंगे.

पढ़ेंः CM ममता के साथ बैठक के बाद डॉक्टरों की हड़ताल खत्म, प्रस्ताव पर सरकार सहमत

बनर्जी ने यह भी कहा कि वह और उनकी पार्टी आजादी के 75 साल और महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के समारोह में पूरे मनोयोग से भाग लेंगे, लेकिन उन्होंने कहा इस संबंध में संसदीय मंत्रालय सभी राजनीतिक दलों के साथ परामर्श कर सकता है.

ममता ने पत्र में लिखा, 'सभी पक्षों ने जो भी फैसला किया है, हम सहमत होंगे'

बता दें टीएमसी सुप्रीमो ने पिछले हफ्ते एक NITI Aayog बैठक को भी छोड़ दिया था.

वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भी शामिल नहीं हुईं.

पश्चिम बंगाल में टीएमसी और बीजेपी के बीच तनातनी के चलते उनके फैसले को राजनीतिक घेरे में देखा जा रहा है.

पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के NITI आयोग की बैठक में शामिल नहीं होने के फैसले पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रियाएं दी थीं, जिसके बाद उन पर आरोप लगाया गया था कि वे राज्य के विकास को लेकर गंभीर नहीं हैं

विकास पर प्रतिक्रिया देते हुए, पश्चिम बंगाल भाजपा प्रमुख दिलीप घोष ने कहा कि बनर्जी संसदीय चुनावों में अपनी हार से उभरने के लिए अभी तक केंद्र और भगवा पार्टी द्वारा बुलाई गई किसी भी बैठक से बचने का बहाना बना रही है.

उन्होंने कहा, 'टीएमसी को छोड़कर सभी राजनीतिक दल इसमें शामिल हो रहे हैं. वे संघीय ढांचे के बारे में सबसे ज्यादा बातें करते हैं, लेकिन अब खुद ही लोकतंत्र के हर एक पहलू को नष्ट करने में तुले हुए हैं.

नई दिल्लीः पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पीएम की सर्वदलीय बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है.

गौरतलब है कि पीएम मोदी ने वन नेशन वन वोट के मुद्दे को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाई है.

बनर्जी ने केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी को पत्र लिखकर यह सूचना दी थी कि पीएम द्वारा बुलाई गई इस बैठक में शिरकत नहीं कर पाएंगी.

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ममता ने केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी को लिखा पत्र

आपको बता दें ममता ने अपने लिखे पत्र में कहा था कि, केंद्र जल्दबाजी में फैसला लेने की बजाय वन नेशन वन वोट पर एक श्वेत पत्र तैयार करे.

पीएम ने इस सर्वदलीय बैठक के लिए सभी राजनीतिक दलों के प्रमुखों को निमंत्रण दिया है, जिनके पास बैठक के लिए कम से कम एक सदस्य राज्यसभा से और एक लोकसभा से हो.

बता दें 19 जून को होने जा रही इस बैठक में कुछ अहम मुद्दे शामिल हैं, जिनमें वन नेशन वन वोट, 2022 में आजादी को होने जा रहे 75 साल, और इस साल महात्मा गांधी की 150 वीं जयन्ती शामिल हैं.

इसके बाद 20 जून को सभी सांसदों के साथ एक डिनर-मीटिंग की जाएगी.

गौरतलब है कि 303 सांसदों के साथ, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी है, जिसके बाद कांग्रेस (52) और द्रमुक (23) हैं.

संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी को लिखे पत्र में, बनर्जी ने 'वन नेशन वन वोट' पर विशेषज्ञों से परामर्श की बात कही है.

इतने कम समय में 'एक देश, एक चुनाव' जैसे संवेदनशील और गंभीर विषय पर सही प्रतिक्रिया नहीं होगी. इस मामले में संवैधानिक विशेषज्ञों, चुनाव विशेषज्ञों और सबसे ऊपर, पार्टी के सदस्यों के साथ परामर्श की आवश्यकता है.

ममता ने पत्र में लिखा था, मामले को जल्दबाजी में करने के बजाय, मैं आपसे अनुरोध करूंगी कि कृपया सभी राजनीतिक दलों को इस विषय पर एक श्वेत पत्र जारी करने के लिए पर्याप्त समय प्रदान करके उनसे विचार मांगें, यदि आप सिर्फ ऐसा करते हैं, तो हम इस पर ठोस सुझाव दे पाएंगे.

पढ़ेंः CM ममता के साथ बैठक के बाद डॉक्टरों की हड़ताल खत्म, प्रस्ताव पर सरकार सहमत

बनर्जी ने यह भी कहा कि वह और उनकी पार्टी आजादी के 75 साल और महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के समारोह में पूरे मनोयोग से भाग लेंगे, लेकिन उन्होंने कहा इस संबंध में संसदीय मंत्रालय सभी राजनीतिक दलों के साथ परामर्श कर सकता है.

ममता ने पत्र में लिखा, 'सभी पक्षों ने जो भी फैसला किया है, हम सहमत होंगे'

बता दें टीएमसी सुप्रीमो ने पिछले हफ्ते एक NITI Aayog बैठक को भी छोड़ दिया था.

वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भी शामिल नहीं हुईं.

पश्चिम बंगाल में टीएमसी और बीजेपी के बीच तनातनी के चलते उनके फैसले को राजनीतिक घेरे में देखा जा रहा है.

पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के NITI आयोग की बैठक में शामिल नहीं होने के फैसले पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रियाएं दी थीं, जिसके बाद उन पर आरोप लगाया गया था कि वे राज्य के विकास को लेकर गंभीर नहीं हैं

विकास पर प्रतिक्रिया देते हुए, पश्चिम बंगाल भाजपा प्रमुख दिलीप घोष ने कहा कि बनर्जी संसदीय चुनावों में अपनी हार से उभरने के लिए अभी तक केंद्र और भगवा पार्टी द्वारा बुलाई गई किसी भी बैठक से बचने का बहाना बना रही है.

उन्होंने कहा, 'टीएमसी को छोड़कर सभी राजनीतिक दल इसमें शामिल हो रहे हैं. वे संघीय ढांचे के बारे में सबसे ज्यादा बातें करते हैं, लेकिन अब खुद ही लोकतंत्र के हर एक पहलू को नष्ट करने में तुले हुए हैं.

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Mamata not to attend party chiefs' meet, asks govt to prepare white paper on simultaneous polls
(Eds: With additional inputs, BJP reax )
         New Delhi/Kolkata, Jun 18 (PTI) West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee on Tuesday excused herself from the scheduled meeting of Prime Minister Narendra Modi with the chiefs of political parties in Delhi on Wednesday, while asking the Centre to prepare a white paper on "one nation, one election", instead of doing it "hurriedly".
         Modi has invited the heads of all the political parties that have at least one member either in the Lok Sabha or in the Rajya Sabha for a meeting on June 19 to discuss several issues, including the "one nation, one election" idea, celebration of 75 years of Independence in 2022 and the 150th birth anniversary of Mahatma Gandhi this year.
         It will be followed by a dinner-meeting with all the MPs on June 20.
         With 22 Lok Sabha members, the Trinamool Congress (TMC), led by Banerjee, is the fourth-largest party in the Lower House of Parliament, along with the YSR Congress, which also has 22 members in the Lok Sabha.
         With 303 MPs, the ruling Bharatiya Janata Party (BJP) is the largest party in the Lok Sabha, followed by the Congress (52) and the DMK (23).
         In a letter to Parliamentary Affairs Minister Prahlad Joshi, Banerjee has said the matter of "one country, one election" required consultations with experts.
         "A proper response on such a sensitive and serious subject like "one country, one election" in such a short time would not do justice to the subject. The matter requires consultations with constitutional experts, election experts and above all, the party members.
         "Instead of doing the matter hurriedly, I would request you to kindly circulate a white paper on the subject to all political parties, inviting their views by providing adequate time. If you only do so, we will be able to give concrete suggestions on this important subject," she wrote in the letter.
         The TMC chief further stated that regarding the development of aspirational districts, her party had already conveyed that they were not in favour of the selection of a few districts as it would not conform to the overall objective of achieving a balanced and uniform development of all the districts of the state.
         "Our state is committed to ensuring social and economic development of all districts uniformly so that regional imbalances do not rise," she said.
         Banerjee also said she and her party would wholeheartedly participate in the celebrations of 75 years of Independence and the 150th birth anniversary of Mahatma Gandhi, but added that as regards the ways to improve the productivity of Parliament, the parliamentary ministry might consult the matter with all the political parties.
         "Whatever is decided by all the parties, we will agree," she wrote in the letter.
         The TMC supremo had also skipped a NITI Aayog meeting last week.
         She did not attend the swearing-in ceremony of Prime Minister Narendra Modi either.
         Her decision is being seen in the political circle as an outcome of the heightened tussle between the TMC and the BJP in West Bengal.
         Buoyed by its victory in 18 of the 42 Lok Sabha seats in West Bengal in the recently-concluded election, only four less than the TMC's 22, BJP leaders have been claiming that they will overthrow the Mamata Banerjee government in the 2021 state Assembly polls.
         The West Bengal chief minister's decision not to attend the NITI Aayog meeting drew sharp reactions from the BJP, which accused her of not being serious about the development of the state.
         Reacting to the development, West Bengal BJP chief Dilip Ghosh said Banerjee was yet to recover from her defeat in the parliamentary polls and was making excuses to avoid any meeting convened by the Centre or the saffron party.
         "All the political parties are attending it except the TMC. They shout the most about the federal structure but are busy destroying every aspect of a healthy democracy," he said. PTI ASG PNT SNS
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Last Updated : Jun 18, 2019, 11:50 PM IST
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