पटना : बिहार के पश्चिम चंपारण (बेतिया) जिले में गंडक नदी के बढ़ते जलस्तर के कारण इलाके के गांवों में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है. मझौलिया के रमपुरवा महनवा पंचायत का महनवा गांव पूरी तरह से बाढ़ के चपेट में है. दूर-दूर तक पानी ही पानी दिखाई दे रहा है. पूरा गांव टापू में तब्दिल हो गया है. इसके अलावा गोपालगंज जिले में तटबंध टूटने से लोगों के घरों में पानी घुस गया है, जिसकी वजह से उनके पास अब रहने के लिए जगह नहीं है. दरभंगा जिले की बात करे तो वहां पर लोगों को खाद्य समाग्री देने के लिए वायुसेना की मदद लेनी पड़ी है. वहीं बिहार में आज बाढ़ से 10 लोगों की मौत हो गई है.
यहां न तो जिला प्रशासन के कोई अधिकारी पहुंचे हैं और न ही प्रखंड के. ऐसे में गांव के लोगों का हाल जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ग्राउंड जीरो पर जब पहुंची तो वहां का नजारा देखकर देख कर दंग रह गई! मंजर इतनी भयावह थी कि दांतो तले अंगुली दबाने को मजबूर हो गए. गांव के लोगों से जब इस बाबत बात की गई तो सारी चीजें खुलकर सामने आ गई. गांव के लोगों का हाल इस कदर बेहाल है कि लोग डरे सहमें हैं. लोगों की नींदे उड़ी है. पूरा गांव बाढ़ की चपेट में है.
गोपालगंज तटबंध टूटने से कई प्रखंडों की हालात खराब
बिहार में ऐसे तो 10 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं, लेकिन गोपालगंज में तटबंध के टूटने के बाद कई प्रखंडों की हालत खराब हो गई है. बरौली प्रखंड के शहरी इलाकों के घरों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है. वहीं बारिश की वजह से छतों को ठिकाना बनाने में भी बाधा हो रही हैं. छत पर टिके लोग किसी मददगार की आस में हैं. इनके पास ना खाने को खाना है और न ही पीने को पानी.
सारण तटबंध टूटा, कई गांव जलमग्न
देवापुर में नदी ने विकराल रूप दिखाया और सारण बांध को तोड़ दिया. बांध टूटने की सूचना के बाद ढढ़वा, सोनबरसा, आलापुर, जोकहा, रूपनाछाप सहित बरौली गांव के लोग तटबंध पर शरण ले लिए.
सिसई- 'अब तो खाने पर आफत है'
सिसई गांव के ग्रामीण बताते हैं कि गांव के कई लोग तो तटबंध पहुंच गए, लेकिन कई लोग घरों को छोड़कर नहीं जाना चाहते. छतों पर लोगों को ठिकाना बनाने की कोशिश की. इसके लिए छतों पर चूल्हा-बर्तन लेकर पहुंच गए, लेकिन प्रकृति की मार भारी पड़ी. मिट्टी के चूल्हे पानी में विलीन हो गए. अब तो खाने पर आफत है.
देवपुर- बाढ़ के पानी में रस्सी के सहारे बाहर निकले
इधर, देवपुर के गांव के लेाग अभी भी छतों पर शरण लिए हुए हैं. देवपुर के ग्रामीण कहते हैं कि छत पर शरण लिए हुए हैं, लेकिन पानी के बीच में रहने के बावजूद पीने को पानी नहीं. सुबह में परेशानी और बढ़ गई जब बाथरूम के लिए भी स्थान नहीं मिल रहा. उन्होंने बताया कि कई लोग बाढ़ के पानी में रस्सी के सहारे बाहर निकल सके थे. जो निकल गए, सो निकल गए, इसके बाद देखने वाला कोई नहीं.
बरौली- 'सबकुछ बर्बाद हो गया'
बरौली के लोग कहते हैं कि उनका तो सबकुछ बर्बाद हो गया. उन्हें अब भविष्य को लेकर चिंता है. बरौली के नागेश्वर कहते हैं कि बाढ़ का पानी तो आज नहीं तो कल उतर जाएगा, लेकिन उनके दुकान में रखे सभी सामान बाढ़ से बर्बाद हो गए, उनका क्या होगा. उनकी आगे की जिंदगी कैसे कटेगी.
गोपालगंज में कहां-कहां टूटा बांध-
- बैकुंठपुर में टूटा जमींदारी बांध.
- बैकुंठपुर प्रखंड के पुरैना में सारण मुख्य बांध टूटा.
- मांझा प्रखंड के पुरैना में सारण मुख्य तटबंध टूटा.
- मांझा प्रखंड के पुरैना गांव के पास रिंग बांध टूटा.
- बरौली के देवापुर में सारण मुख्य तटबंध टूटा.
दरभंगा जिले में हेलिकॉप्टर से गिराई गई राहत समाग्री
वहीं दरभंगा जिले में बाढ़ में फंसे लोगों तक खाना पहुंचाने के लिए वायुसेना की मदद ली गई है. वायुसेना के तीन हेलिकॉप्टर बाढ़ पीड़ितों के बीच खाना गिरा रहे हैं. दो हेलिकॉप्टर दरभंगा और मोतिहारी में राहत कार्य चला रहे हैं. वहीं, एक हेलिकॉप्टर पटना से गोपालगंज में राहत सामग्री ले जाकर एयर ड्रॉपिंग कर रहा है.
कई गांवों में घुसा बाढ़ का पानी
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कई जिले बाढ़ की चपेट में
बता दें कि बिहार में बाढ़ का कहर इन दिनों जारी है. उत्तर बिहार की कई नदियां उफान पर है. जिससे प्रदेश के करीब 10 जिले बाढ़ की चपेट में है. नदियों का जलस्तर बढ़ने से तटबंधों पर इसका असर पड़ रहा है. कई तटबंधों में रिसाव भी हो रहा है. बाढ़ प्रभावित इलाकों का एरियल सर्वे भी किया जा रहा है.