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राजीव गांधी हत्याकांड की आरोपी नलिनी और मुरुगन पर फैसला स्थगित

जस्टिस किरुबाकरन और वेलुमनी की उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने राजीव हत्याकांड में अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन की जांच के लिए ट्रायल कोर्ट द्वारा गठित जांच एजेंसी के बारे में सवाल किया और केंद्र सरकार को जवाब देने का आदेश दिया.

नलिनी और मुरुगन पर फैसला स्थगित
नलिनी और मुरुगन पर फैसला स्थगित
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Published : Aug 19, 2020, 7:19 PM IST

चेन्नई : राजीव गांधी हत्याकांड की आरोपी नलिनी की मां पद्मा ने मद्रास उच्च न्यायालय में मांग की थी कि नलिनी और मुरुगन को लंदन में मुरुगन की बहन और श्रीलंका में मुरुगन की मां के साथ वॉट्सएप वीडियो कॉल के माध्यम से बात करने की अनुमति दी जाए.

जस्टिस किरुबाकरन और वेलुमनी की उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने राजीव हत्याकांड में अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन की जांच के लिए ट्रायल कोर्ट द्वारा गठित जांच एजेंसी के बारे में सवाल किया और केंद्र सरकार को जवाब देने का आदेश दिया.

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश सहायक सॉलिसिटर जनरल कार्तिकेयन ने कहा कि केंद्र ने जांच एजेंसी का कार्यकाल एक और वर्ष के लिए बढ़ा दिया है.

उन्होंने यह भी तर्क दिया कि राजीव हत्या मामले में विदेशी कनेक्शन की जांच अभी खत्म नहीं हुई है, लेकिन नलिनी और मुरुगन को विदेश में रिश्तेदारों से बात करने की अनुमति देने से जांच प्रभावित होगी.

सहायक सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अगर उन्होंने जेल अधिकारियों की निगरानी में भी बातचीत की तो वे चेहरे के भाव और इशारों के जरिए संवाद कर सकते हैं.

इसके बाद, राज्य के मुख्य आपराधिक अभियोजक ए. नटराजन, जो जेल विभाग की तरफ से पेश हुए, ने कहा कि 2011 के जीओ के अनुसार, कैदियों को विदेशियों के साथ बात करने की अनुमति नहीं थी और उन्हें 10 दिनों में एक बार भारत में रहने वाले रिश्तेदारों के साथ 3 कॉल करने की अनुमति दी गई थी और महीने में 30 मिनट से ज्यादा नहीं. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह कैदियों का एक मौलिक अधिकार था और जेल अधीक्षक की अनुमति के अधीन था.

न्यायाधीशों ने बिना तारीख दिए फैसला स्थगित कर दिया.

यह भी पढें : कांग्रेस का अगला अध्यक्ष गांधी परिवार से बाहर का हो, प्रियंका भी सहमत

चेन्नई : राजीव गांधी हत्याकांड की आरोपी नलिनी की मां पद्मा ने मद्रास उच्च न्यायालय में मांग की थी कि नलिनी और मुरुगन को लंदन में मुरुगन की बहन और श्रीलंका में मुरुगन की मां के साथ वॉट्सएप वीडियो कॉल के माध्यम से बात करने की अनुमति दी जाए.

जस्टिस किरुबाकरन और वेलुमनी की उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने राजीव हत्याकांड में अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन की जांच के लिए ट्रायल कोर्ट द्वारा गठित जांच एजेंसी के बारे में सवाल किया और केंद्र सरकार को जवाब देने का आदेश दिया.

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश सहायक सॉलिसिटर जनरल कार्तिकेयन ने कहा कि केंद्र ने जांच एजेंसी का कार्यकाल एक और वर्ष के लिए बढ़ा दिया है.

उन्होंने यह भी तर्क दिया कि राजीव हत्या मामले में विदेशी कनेक्शन की जांच अभी खत्म नहीं हुई है, लेकिन नलिनी और मुरुगन को विदेश में रिश्तेदारों से बात करने की अनुमति देने से जांच प्रभावित होगी.

सहायक सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अगर उन्होंने जेल अधिकारियों की निगरानी में भी बातचीत की तो वे चेहरे के भाव और इशारों के जरिए संवाद कर सकते हैं.

इसके बाद, राज्य के मुख्य आपराधिक अभियोजक ए. नटराजन, जो जेल विभाग की तरफ से पेश हुए, ने कहा कि 2011 के जीओ के अनुसार, कैदियों को विदेशियों के साथ बात करने की अनुमति नहीं थी और उन्हें 10 दिनों में एक बार भारत में रहने वाले रिश्तेदारों के साथ 3 कॉल करने की अनुमति दी गई थी और महीने में 30 मिनट से ज्यादा नहीं. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह कैदियों का एक मौलिक अधिकार था और जेल अधीक्षक की अनुमति के अधीन था.

न्यायाधीशों ने बिना तारीख दिए फैसला स्थगित कर दिया.

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