नई दिल्ली : यूरोपीय सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने कश्मीर का अपना दौरा पूरा किया. इस दौरे को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि यूरोपीय यूनियन से किसी तरह का अधिकार प्राप्त हुए बगैर इस 'अनाधिकारिक दौरे' को कैसे आयोजित किया गया.
इस संदर्भ में आयोजक के तौर पर मादी शर्मा का नाम सामने आया है, जिन्होंने इस वीआईपी दौरे का पूरा खर्च उठाया है.
मादी शर्मा खुद को डब्ल्यूईएसटीटी (वोमेंस इकॉनोमिक एंड सोशल थिंक टैंक) का प्रमुख बताती हैं, जो यूरोपीय संसद, सरकारों व दुनियाभर के गैर-सरकारी संगठनों, खास तौर से दक्षिण एशियाई संगठनों के साथ काम करती है.
मादी ने ही यूरोपीय संसद के चयनित सदस्यों को आमंत्रण पत्र लिखा और बताया कि वह 'भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ प्रतिष्ठित वीआईपी बैठक का आयोजन कर रही हैं.'
उन्होंने आगे लिखा, 'जैसा कि आप अवगत है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में हाल के चुनावों में बड़ी जीत हासिल की थी और उनकी भारत और भारत के लोगों के लिए विकास के पथ पर बने रहने की योजना है.'
आमंत्रण पत्र में लिखा है, 'उस संबंध में वह यूरोपीय संघ के प्रभावी नीति निर्माताओं से मिलना चाहेंगे. मैं जानना चाहती हूं कि क्या आप दिल्ली के दौरे में रुचि लेंगे.'
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात 28 अक्टूबर को, कश्मीर का दौरा 29 अक्टूबर को और प्रेस कांफ्रेंस 30 अक्टूबर को निर्धारित है.
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मादी शर्मा ने एक ईमेल आमंत्रण में लिखा, 'यूरोपीय राजनेताओं का यह तीन दिवसीय दौरा होगा (इसमें आने-जाने के लिए फ्लाईट का खर्च और रहने-खाने का पूरा खर्च प्रदान किया जाएगा और यह इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर नॉन-अलाइंड स्टडीज द्वारा प्रायोजित है). आपकी भागीदारी हमारे वीआईपी अतिथि के तौर पर होगी और यूरोपीय संसद के आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल के रूप में नहीं होगी.'