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नेपाल की संसद का निचला सदन 20 जनवरी तक स्थगित, विपक्ष का विरोध

नेपाल की संसद का निचला सदन रविवार को नये अध्यक्ष के निर्वाचन को लेकर दिसंबर से अब तक तीसरी बार स्थगित कर दिया गया. विपक्ष ने संसद की बैठक 20 जनवरी तक स्थगित करने के उपाध्यक्ष के फैसले पर ऐतराज जताया है.

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नेपाली संसद
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Published : Jan 12, 2020, 5:39 PM IST

Updated : Jan 12, 2020, 11:41 PM IST

काठमांडू : नेपाल की संसद का निचला सदन रविवार को नये अध्यक्ष के निर्वाचन को लेकर दिसंबर से अब तक तीसरी बार स्थगित कर दिया गया. उपाध्यक्ष शिवमाया तुंबाहंफे ने प्रतिनिधि सभा को 20 जनवरी तक स्थगित करने की घोषणा की.

सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा अध्यक्ष पद के लिये उम्मीदवार तय नहीं कर पाने के बाद सदन को एक बार फिर स्थगित करना पड़ा. शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर को शुरू हुआ था.

सत्तारूढ़ दल की सचिवालय बैठक में शनिवार को उपाध्यक्ष से इस्तीफा देने को कहा गया था. लेकिन उन्होंने यह कहते हुए पार्टी का निर्देश मानने से इनकार कर दिया था कि जबतक पार्टी उन्हें संसद के अध्यक्ष पद का उम्मीदवार नहीं बनाती है तबतक वह इस्तीफा नहीं देंगी.

कृष्ण बहादुर महरा के संसद के अध्यक्ष पद से हट जाने के बाद से यह पद खाली है. उन्होंने पिछले साल सात अक्टूबर को अपने विरूद्ध बलात्कार के प्रयास का आरोप लगने के बाद पद छोड़ दिया था.

नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी अध्यक्ष के लिए नये उम्मीदवार का निर्वाचन चाहती है और उसने तुंबाहंफे से इस्तीफा देने को कहा है. नेपाल के संविधान के मुताबिक संसद के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष एक ही दल के नहीं हो सकते हैं.

इस बीच विपक्षी नेपाली कांग्रेस ने संसद की बैठक 20 जनवरी तक स्थगित करने के उपाध्यक्ष के फैसले पर ऐतराज किया है. दिसंबर में यह बैठक दो बार स्थगित की गयी थी क्योंकि सत्तारूढ़ दल अध्यक्ष का अपना उम्मीदवार तय नहीं कर पायी थी.

काठमांडू : नेपाल की संसद का निचला सदन रविवार को नये अध्यक्ष के निर्वाचन को लेकर दिसंबर से अब तक तीसरी बार स्थगित कर दिया गया. उपाध्यक्ष शिवमाया तुंबाहंफे ने प्रतिनिधि सभा को 20 जनवरी तक स्थगित करने की घोषणा की.

सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा अध्यक्ष पद के लिये उम्मीदवार तय नहीं कर पाने के बाद सदन को एक बार फिर स्थगित करना पड़ा. शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर को शुरू हुआ था.

सत्तारूढ़ दल की सचिवालय बैठक में शनिवार को उपाध्यक्ष से इस्तीफा देने को कहा गया था. लेकिन उन्होंने यह कहते हुए पार्टी का निर्देश मानने से इनकार कर दिया था कि जबतक पार्टी उन्हें संसद के अध्यक्ष पद का उम्मीदवार नहीं बनाती है तबतक वह इस्तीफा नहीं देंगी.

कृष्ण बहादुर महरा के संसद के अध्यक्ष पद से हट जाने के बाद से यह पद खाली है. उन्होंने पिछले साल सात अक्टूबर को अपने विरूद्ध बलात्कार के प्रयास का आरोप लगने के बाद पद छोड़ दिया था.

नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी अध्यक्ष के लिए नये उम्मीदवार का निर्वाचन चाहती है और उसने तुंबाहंफे से इस्तीफा देने को कहा है. नेपाल के संविधान के मुताबिक संसद के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष एक ही दल के नहीं हो सकते हैं.

इस बीच विपक्षी नेपाली कांग्रेस ने संसद की बैठक 20 जनवरी तक स्थगित करने के उपाध्यक्ष के फैसले पर ऐतराज किया है. दिसंबर में यह बैठक दो बार स्थगित की गयी थी क्योंकि सत्तारूढ़ दल अध्यक्ष का अपना उम्मीदवार तय नहीं कर पायी थी.

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आजादी के बाद लिखे गये इतिहास में कई बड़े पहलुओं की की गयी अनदेखी: नरेंद्र मोदी



कोलकाता, 11 जनवरी (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि आजादी के बाद देश के इतिहास के बारे में जिन इतिहासकारों ने लिखा, उन्होंने विषय की गहराई में उतरे बिना उसके कई महत्वपूर्ण पहलुओं की अनदेखी की.



उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण के महत्वपूर्ण पहलुओं में एक देश की धरोहर को संजोकर रखना होता है.



प्रधानमंत्री ने कहा, ' हम दुनिया को अपने देश की धरोहर दिखाना चाहते हैं, भारत को धरोहर पर्यटन का केंद्र बनाना चाहते हैं. देश के पांच प्रतिष्ठित संग्रहालयों को अंतरराष्ट्रीय मानक के आधार पर विकसित किया जाएगा, कोलकाता में भारतीय संग्रहालय से शुरुआत होगी.'



मोदी ने शहर के चार पुनर्विकसित धरोहर भवनों-- ओल्ड करेंसी बिल्डिंग, बेल्वेदेरे हाउस, मेटकॉफ हाउस और विक्टोरिया मेमोरियल हाल को राष्ट्र को समर्पित किया.



उन्होंने कहा, 'यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि ब्रिटिश शासन के दौरान और आजादी के बाद भी जो इतिहास लिखा गया उनमें कई महत्वपूर्ण अध्यायों की अनदेखी की गयी.'



प्रधानमंत्री ने ओल्ड करेंसी बिल्डिंग में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि गुरूदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने 1903 में लिखा था कि भारत का इतिहास वह नहीं है जिसे विद्यार्थी परीक्षाओं के लिए पढ़ते हैं.



उन्होंने कहा, ' कुछ लोग बाहर से आये, उन्होंने सिंहासन की खातिर अपने रिश्तेदारों, भाइयों को मार डाला..... यह हमारा इतिहास नहीं है. यह स्वयं गुरूदेव ने कहा था. उन्होंने कहा था कि इस इतिहास में इसका उल्लेख नहीं है कि देश के लोग क्या कर रहे हैं. क्या उनका कोई अस्तित्व नहीं है.'


Conclusion:
Last Updated : Jan 12, 2020, 11:41 PM IST
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