नई दिल्ली : लोकपाल को 2019-20 में कुल 1,427 शिकायतें मिलीं, जिनमें से 613 राज्य सरकार के अधिकारियों से संबंधित थीं और चार शिकायतें केंद्रीय मंत्रियों तथा संसद सदस्यों के खिलाफ थीं.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, लोकपाल को मिलीं 245 शिकायतें केंद्र सरकार के अधिकारियों के विरुद्ध, 200 सार्वजनिक उपक्रमों, वैधानिक इकाइयों, न्यायिक संस्थाओं तथा केंद्र स्तर की स्वायत्त संस्थाओं के खिलाफ, वहीं 135 शिकायतें निजी क्षेत्र के लोगों और संगठनों के विरुद्ध थीं.
लोकपाल के आंकड़ों के अनुसार, छह शिकायतें राज्य सरकारों के मंत्रियों और विधानसभा सदस्यों के खिलाफ थीं.
इसमें कहा गया कि कुल शिकायतों में से 220 अनुरोध/टिप्पणियां/सुझाव थे.
लोकपाल के अनुसार कुल शिकायतों में से 1,347 का निस्तारण किया गया. 1,152 शिकायतें लोकपाल के अधिकार क्षेत्र से बाहर की थीं.
आंकड़ों के मुताबिक कुल 78 शिकायतों को निर्दिष्ट प्रारूप में दाखिल करने की सलाह दी गई.
लोकपाल सार्वजनिक पदाधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों में जांच करने वाली शीर्ष संस्था है.
केंद्र सरकार ने इस साल मार्च में लोकपाल में शिकायत दाखिल करने का एक प्रारूप अधिसूचित किया था. इसके अधिसूचित किये जाने से पहले लोकपाल को किसी भी प्रारूप में मिली सभी शिकायतों की छानबीन की जाती थी.
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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पिछले साल 23 मार्च को न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष को लोकपाल के प्रमुख के रूप में शपथ दिलाई थी.
लोकपाल के आठ सदस्यों को न्यायमूर्ति घोष ने 27 मार्च को पद की शपथ दिलाई थी.
हालांकि, लोकपाल के सदस्य न्यायमूर्ति अजय कुमार त्रिपाठी का इस साल मई में निधन हो गया. एक अन्य सदस्य न्यायमूर्ति दिलीप बी भोसले ने इस साल जनवरी में पद से इस्तीफा दे दिया था.
नियमों के अनुसार, लोकपाल में एक अध्यक्ष और अधिकतम आठ सदस्यों के होने का प्रावधान है.