नई दिल्ली : मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन(डब्ल्यूएचओ) द्वारा कोरोना वायरस को महामारी घोषित किए जाने के बावजूद लॉकडाउन लागू करने में देरी की गई. कमलनाथ ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, 'यह जाहिर है कि सबकुछ सामान्य दिखाने के लिए संसद को चलाया गया और जब शिवराज सिंह चौहान ने शपथ ले ली, तो लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई.'
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, 'संसद उस समय चल रही थी, जब ओडिशा और छत्तीसगढ़ में सदनों को निलंबित कर दिया गया और मध्यप्रदेश के स्पीकर ने भी कोरोना वायरस की वजह सदन को स्थगित कर दिया था. इसलिए यह दिखाया गया कि जब संसद की कार्यवाही चल सकती है, तो विधानसभा की क्यों नहीं,'
उन्होंने कहा कि राज्य में स्थिति ऐसी हो गई है कि कैबिनेट विस्तार नहीं हो रहा है और स्वास्थ्य अपातकाल के बावजूद राज्य में कोई स्वास्थ्य मंत्री नहीं है.
कमलनाथ ने कहा कि कांग्रेस विधायकों को लालच दिया गया. भाजपा में जितने विधायक गए, उनमें से सभी ज्योतिरादित्य के समर्थक नहीं हैं.
उन्होंने कहा, 'सभी सिधिया समर्थक नहीं हैं, कइयों को पैसे से लुभाया गया है. इनमें से कई विधायकों ने हमें इस तरह के प्रलोभनों के बारे में बताया था. लेकिन उन्हें मतदाताओं का सामना करना पड़ेगा. इसके अलावा स्थानीय भाजपा उम्मीदवारों में भी असंतोष होगा.'
उन्होंने कहा कि चौहान के कैबिनेट विस्तार में देरी भाजपा में कलह की वजह से हो रही है.
मध्य प्रदेश से राज्यसभा सदस्य और कांग्रेस नेता विवेक तनखा ने शनिवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखा कि यदि भाजपा के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल का गठन नहीं कर पाते हैं तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया जाए.
तनखा ने इसे एक असंवैधानिक शासन करार देते हुए चौहान पर हमला किया और कहा कि मध्य प्रदेश के लोग एक मंत्रिमंडल के साथ एक बेहतर शासन के हकदार हैं, खासतौर से एक महामारी के दज्ञैररान, जब राज्य में रोज मौतें हो रही हैं.