ETV Bharat / bharat

बंगाल : लंबी दूरी से बचने को जान जोखिम में डाल रहे लोग, देखें वीडियो

पश्चिम बंगाल के बर्दमान में तीन गांवों के सैकड़ों लोग जान जोखिम में डालकर रेलवे पुल पार करने के लिए मजबूर हैं. रेलवे पुल पर साइकिल, बाइक या पैदल जा रहे लोगों को ट्रेन की सीटी बजते ही मौत सामने दिखाई दे जाती है. स्थानीय लोगों ने एक और पुल को मांग की है. इस पर टीएमसी विधायक मलय घटक ने मदद का आश्वासन दिया है. मलय प्रदेश के विधि मंत्री भी हैं.

रेलवे पुल
रेलवे पुल
author img

By

Published : Oct 19, 2020, 3:04 AM IST

Updated : Oct 19, 2020, 6:31 AM IST

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में दामोदर नदी के एक तरफ पश्चिम बर्धमान और दूसरी तरफ बांकुरा और पुरुलिया हैं. आद्रा रेल डिवीजन के अंतर्गत एक रेलवे पुल दामोदर नदी पर बनाया गया है. हालांकि, आम तौर से लोगों की राहत के लिए बनाए जाने वाले पुल व अन्य संरचनाओं से अलग यह पुल लोगों की जान के लिए खतरनाक है.

दरअसल, बर्धमान, बांकुरा और पुरुलिया, इन तीनों जिलों के सैकड़ों निवासियों को जान जोखिम में डालकर पैदल ही रेलवे पुल को पार करना पड़ता है.

दामोदर नदी के दोनों किनारों पर बसे लोग पुल से गुजरते समय हर पल खतरे से जूझते हैं. कुछ पैदल पुल पार करते है, कुछ साइकिल से और अन्य मोटर बाइक से. इन सबके बीच सबसे अहम सवाल यह कि यहां के लोग इस रेलवे पुल को अपनी जान जोखिम में डालकर पार क्यों करते हैं?

जान जोखिम में डालकर पुर पार करने को मजबूर लोग.

ईटीवी भारत ने जब जवाब जानने की पहल की तो स्थानीय लोगों ने कहा कि बांकुरा, शालतोला, पुरुलिया, मुधु कुंडा में बहुत सारे गांव हैं. यदि ग्रामीण आसनसोल पहुंचना चाहते हैं, तो उन्हें एक और लंबे मार्ग से जाना होगा. उन्हें लगभग 65 किलोमीटर जाना होता है. इसलिए उन्हें जोखिम उठाना पड़ता है. लोगों का कहना है कि पिछले दिनों ट्रेन दुर्घटना में कई लोगों की मौतें भी हुई हैं.

इस संबंध में सरकार का क्या रूख है ? इस सवाल पर स्थानीय लोगों का कहना है कि तीनों जिलों के निवासियों ने अधिकारियों को सूचित किया है, कि उन्हें एक और पुल की आवश्यकता है, जिससे पैदल व अन्य परिवहन में मदद मिले.

लोगों का कहना है कि उनके इलाके का प्रतिनिधित्व करने वाले टीएमसी विधायक और ममता बनर्जी की सरकार में कानून मंत्री मलय घटक ने हरसंभव मदद करने का भरोसा दिया है.

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में दामोदर नदी के एक तरफ पश्चिम बर्धमान और दूसरी तरफ बांकुरा और पुरुलिया हैं. आद्रा रेल डिवीजन के अंतर्गत एक रेलवे पुल दामोदर नदी पर बनाया गया है. हालांकि, आम तौर से लोगों की राहत के लिए बनाए जाने वाले पुल व अन्य संरचनाओं से अलग यह पुल लोगों की जान के लिए खतरनाक है.

दरअसल, बर्धमान, बांकुरा और पुरुलिया, इन तीनों जिलों के सैकड़ों निवासियों को जान जोखिम में डालकर पैदल ही रेलवे पुल को पार करना पड़ता है.

दामोदर नदी के दोनों किनारों पर बसे लोग पुल से गुजरते समय हर पल खतरे से जूझते हैं. कुछ पैदल पुल पार करते है, कुछ साइकिल से और अन्य मोटर बाइक से. इन सबके बीच सबसे अहम सवाल यह कि यहां के लोग इस रेलवे पुल को अपनी जान जोखिम में डालकर पार क्यों करते हैं?

जान जोखिम में डालकर पुर पार करने को मजबूर लोग.

ईटीवी भारत ने जब जवाब जानने की पहल की तो स्थानीय लोगों ने कहा कि बांकुरा, शालतोला, पुरुलिया, मुधु कुंडा में बहुत सारे गांव हैं. यदि ग्रामीण आसनसोल पहुंचना चाहते हैं, तो उन्हें एक और लंबे मार्ग से जाना होगा. उन्हें लगभग 65 किलोमीटर जाना होता है. इसलिए उन्हें जोखिम उठाना पड़ता है. लोगों का कहना है कि पिछले दिनों ट्रेन दुर्घटना में कई लोगों की मौतें भी हुई हैं.

इस संबंध में सरकार का क्या रूख है ? इस सवाल पर स्थानीय लोगों का कहना है कि तीनों जिलों के निवासियों ने अधिकारियों को सूचित किया है, कि उन्हें एक और पुल की आवश्यकता है, जिससे पैदल व अन्य परिवहन में मदद मिले.

लोगों का कहना है कि उनके इलाके का प्रतिनिधित्व करने वाले टीएमसी विधायक और ममता बनर्जी की सरकार में कानून मंत्री मलय घटक ने हरसंभव मदद करने का भरोसा दिया है.

Last Updated : Oct 19, 2020, 6:31 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.