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उदार लोकतांत्रिक संस्थाओं को संविधान की रक्षा करनी चाहिए : मनमोहन सिंह - अश्विनी कुमार की किताब

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा है कि भारत में उदार लोकतांत्रिक संस्थाओं को संविधान की रक्षा करनी चाहिए. वह पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार की किताब के विमोचन कार्यक्रम में अपने उद्बोधन के दौरान सीएए को लेकर सरकार को नसीहत दी. जानें उन्होंने क्या कुछ कहा...

manmohan singh on anti caa protests
मनमोहन सिंह
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Published : Jan 20, 2020, 12:12 AM IST

नई दिल्ली : पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ देशभर में जारी प्रदर्शनों के बीच बयान दिया है. उन्होंने कहा कि भारत में उदार लोकतंत्र की संस्थाओं को मजबूत करने और उनके द्वारा संविधान की दृढ़तापूर्वक रक्षा किए जाने की जरूरत है.

डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि युवा लोगों ने हाल में देश को याद दिलाया कि देश की आजादी प्रबुद्ध नागरिकों के हाथों में सुरक्षित है और वह भी तब, जब यह सबके लिए समान रूप से हो.

पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार की किताब 'ह्यूमन डिगनिटी- अ परपज इन परपेच्युटी' के विमोचन कार्यक्रम में सिंह ने कहा, 'हमारे उदार एवं उन्मुक्त लोकतंत्र' की संस्थाओं की कई मौकों पर परीक्षा ली गई, जब मौलिक स्वतंत्रताएं जोखिम में थी.'

अश्विनी कुमार की किताब के विमोचन कार्यक्रम में पहुंचे पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह.

उन्होंने कहा कि वर्षों तक विकसित इन संस्थानों को मजबूत करने और उन्हें संविधान की रक्षा में लगाए रखने की जरूरत है.

पढ़ें : सीएए आवश्यक नहीं पर यह भारत का आंतरिक मामला : शेख हसीना

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि वास्तव में आजादी का विचार हमारे लोगों के जीवन में तभी आकार ले सकता है, जब कानून के तहत वे सभी समान नागरिक की तरह जिएं.

गौरतलब है कि उनकी यह टिप्पणी संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ तेज होते विरोध और केरल सरकार के सीएए के खिलाफ उच्चतम न्यायालय चले जाने के बीच आई है.

नई दिल्ली : पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ देशभर में जारी प्रदर्शनों के बीच बयान दिया है. उन्होंने कहा कि भारत में उदार लोकतंत्र की संस्थाओं को मजबूत करने और उनके द्वारा संविधान की दृढ़तापूर्वक रक्षा किए जाने की जरूरत है.

डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि युवा लोगों ने हाल में देश को याद दिलाया कि देश की आजादी प्रबुद्ध नागरिकों के हाथों में सुरक्षित है और वह भी तब, जब यह सबके लिए समान रूप से हो.

पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार की किताब 'ह्यूमन डिगनिटी- अ परपज इन परपेच्युटी' के विमोचन कार्यक्रम में सिंह ने कहा, 'हमारे उदार एवं उन्मुक्त लोकतंत्र' की संस्थाओं की कई मौकों पर परीक्षा ली गई, जब मौलिक स्वतंत्रताएं जोखिम में थी.'

अश्विनी कुमार की किताब के विमोचन कार्यक्रम में पहुंचे पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह.

उन्होंने कहा कि वर्षों तक विकसित इन संस्थानों को मजबूत करने और उन्हें संविधान की रक्षा में लगाए रखने की जरूरत है.

पढ़ें : सीएए आवश्यक नहीं पर यह भारत का आंतरिक मामला : शेख हसीना

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि वास्तव में आजादी का विचार हमारे लोगों के जीवन में तभी आकार ले सकता है, जब कानून के तहत वे सभी समान नागरिक की तरह जिएं.

गौरतलब है कि उनकी यह टिप्पणी संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ तेज होते विरोध और केरल सरकार के सीएए के खिलाफ उच्चतम न्यायालय चले जाने के बीच आई है.

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MANMOHAN-LD INSTITUTIONS
Liberal democracy institutions must defend Constitution: Ex-PM Manmohan Singh
(Eds: Adds quotes)
         New Delhi, Jan 19 (PTI) Institutions of India's liberal democracy need to be strengthened and must assert themselves in defence of the Constitution, former prime minister Manmohan Singh said on Sunday amid nationwide protests against the amended citizenship law.
         Young people have recently reminded the country that freedom is best secured in the custody of enlightened citizens and when it is protected for all, he said.
         In his address at the launch of former Union minister Ashwini Kumar's book 'Human Dignity -- A purpose in perpetuity' here, Singh said institutions of "our liberal and libertarian democracy" have been put to test on several occasions when fundamental freedoms were threatened.
         These institutions, nurtured over the years, need to be strengthened and must assert themselves in defence of the Constitution, he said.
         Indeed, the idea of freedom can acquire shape and form in the lives of our people only if they can live as equal citizens under the law, the former prime minister said.
         His remarks came amid raging protests against the amended citizenship law and the Kerala government approaching the Supreme Court against the CAA.
         Kumar, in his remarks, said somewhere along the line, the institutional response to challenging situations has been found wanting.
         "In the pages of this book, I have endeavoured to articulate the aberrations that have slowed our march towards the realization of human dignity in the hope that a purposive reflection thereon will assist to remedy the situation in these times of change and challenge," he said.
         "After all, the cause of human dignity must be our purpose in perpetuity," Kumar said. PTI ASK SKC ASK
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