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खुद इलाज को तरस रहा बिहार का एकमात्र कुष्ठ रोग अस्पताल, प्रशासन मौन - leprosy hospital in dilapidated condition

1941 में बना बिहार के गया का कुष्ठ रोग अस्पताल खुद बीमार है, यहां की हालत को देखकर यही लगता है. वहीं, अस्पताल प्रशासन ने नया आदेश जारी किया है. पढ़ें पूरी खबर...

gaya's leprosy hospital
जर्जर हालत में है गया का कुष्ठ अस्पताल
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Published : Dec 14, 2020, 2:05 PM IST

गया: बिहार के गया जिले का कुष्ठ रोग अस्पताल खुद इलाज के लिए तरस रहा है. यहां का जर्जर भवन, टूटे हुए बेड, गंदे शौचालय और पीने के पानी को तरसते लोग खुद हकीकत बयां कर रहे हैं. बता दें, यह इस क्षेत्र का अकेला कुष्ठ रोग अस्पताल है, जहां सुविधाओं का टोटा है. यहां के प्रशासन ने अब बाहरी कुष्ठ रोगियों को खाना देना बंद कर दिया है.

गया का कुष्ठ रोग अस्पताल ब्रिटिश शासनकाल के दौरान बना था, लेकिन अब इस अस्पताल को खुद इलाज की जरूरत है. अधिकारियों के कई आश्वासन के बाद भी यह अस्पताल सुविधाओं से अछूता है.

दिनभर की मेहनत के बाद कई कुष्ठ रोगी यहां शाम को भोजन की तलाश में आते हैं, लेकिन उन्हें अब मायूसी हाथ लग रही है. अस्पताल प्रशासन का कहना है कि यहां सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं. इस वजह से यह फैसला लिया गया है कि अब से सिर्फ यहां भर्ती रोगियों को ही भोजन दिया जाएगा. बाहर से आए कुष्ठ रोगियों के लिए यहां कोई व्यवस्था नहीं है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए अस्पताल के विनोद मंडल ने कहा कि उन्होंने कई बार सरकार से संपर्क किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. विनोद ने बताया कि गया के कुष्ठ रोग अस्पताल में इस समय 100 से अधिक मरीज भर्ती हैं, लेकिन कुछ दिनों पहले यहां चिकित्सा अधिकारी आए और कुछ रोगियों के नामों को लिस्ट से काट दिया. पूछने पर उन्होंने कहा कि ये कुष्ठ रोगी अब इस अस्पताल में भर्ती नहीं हैं.

लिस्ट से नाम हटाने के बाद चिकित्साधिकारी ने कहा कि इन रोगियों को अब अस्पताल की तरफ से कोई सुविधा प्रदान नहीं की जाएगी. वहीं, प्रशासन से आग्रह करने के बाद भी अभी तक कोई जवाब नहीं आया है.

उन्होंने आगे कहा कि गया के कुष्ठ रोग अस्पताल में वार्ड तो हैं, लेकिन बेड नहीं है, अस्पताल का भवन जर्जर हालत में है. हमने सिविल सर्जन और डीएम से भी शिकायत की है, लेकिन अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.

इसके अलावा यहां भर्ती एक मरीज ने भी अस्पताल में सुविधाओं के बारे में अफसोस जताते हुए कहा कि ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर अस्पताल में सिर्फ अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए आते हैं. यहां हमारे बारे में किसी को भी कोई चिंता नहीं है.

पढ़ें: दांव हार जुआरियों को सौंपी पत्नी, फिर तेजाब से नहला दिया

बता दें कि गया का कुष्ठ रोग अस्पताल 1941 में बना था. यह राज्य का एकमात्र कुष्ठ रोग अस्पताल है, लेकिन हालात बहुत बुरे हैं. 2014 में बिहार के तत्कालीन सीएम जीतनराम मांझी ने अस्पताल का दौरा किया था और प्रशासन को अस्पताल की मरम्मत और सेवाओं को बेहतर करने के आदेश दिए थे, लेकिन अभी तक कोई संज्ञान नहीं लिया गया है.

गया: बिहार के गया जिले का कुष्ठ रोग अस्पताल खुद इलाज के लिए तरस रहा है. यहां का जर्जर भवन, टूटे हुए बेड, गंदे शौचालय और पीने के पानी को तरसते लोग खुद हकीकत बयां कर रहे हैं. बता दें, यह इस क्षेत्र का अकेला कुष्ठ रोग अस्पताल है, जहां सुविधाओं का टोटा है. यहां के प्रशासन ने अब बाहरी कुष्ठ रोगियों को खाना देना बंद कर दिया है.

गया का कुष्ठ रोग अस्पताल ब्रिटिश शासनकाल के दौरान बना था, लेकिन अब इस अस्पताल को खुद इलाज की जरूरत है. अधिकारियों के कई आश्वासन के बाद भी यह अस्पताल सुविधाओं से अछूता है.

दिनभर की मेहनत के बाद कई कुष्ठ रोगी यहां शाम को भोजन की तलाश में आते हैं, लेकिन उन्हें अब मायूसी हाथ लग रही है. अस्पताल प्रशासन का कहना है कि यहां सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं. इस वजह से यह फैसला लिया गया है कि अब से सिर्फ यहां भर्ती रोगियों को ही भोजन दिया जाएगा. बाहर से आए कुष्ठ रोगियों के लिए यहां कोई व्यवस्था नहीं है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए अस्पताल के विनोद मंडल ने कहा कि उन्होंने कई बार सरकार से संपर्क किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. विनोद ने बताया कि गया के कुष्ठ रोग अस्पताल में इस समय 100 से अधिक मरीज भर्ती हैं, लेकिन कुछ दिनों पहले यहां चिकित्सा अधिकारी आए और कुछ रोगियों के नामों को लिस्ट से काट दिया. पूछने पर उन्होंने कहा कि ये कुष्ठ रोगी अब इस अस्पताल में भर्ती नहीं हैं.

लिस्ट से नाम हटाने के बाद चिकित्साधिकारी ने कहा कि इन रोगियों को अब अस्पताल की तरफ से कोई सुविधा प्रदान नहीं की जाएगी. वहीं, प्रशासन से आग्रह करने के बाद भी अभी तक कोई जवाब नहीं आया है.

उन्होंने आगे कहा कि गया के कुष्ठ रोग अस्पताल में वार्ड तो हैं, लेकिन बेड नहीं है, अस्पताल का भवन जर्जर हालत में है. हमने सिविल सर्जन और डीएम से भी शिकायत की है, लेकिन अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.

इसके अलावा यहां भर्ती एक मरीज ने भी अस्पताल में सुविधाओं के बारे में अफसोस जताते हुए कहा कि ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर अस्पताल में सिर्फ अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए आते हैं. यहां हमारे बारे में किसी को भी कोई चिंता नहीं है.

पढ़ें: दांव हार जुआरियों को सौंपी पत्नी, फिर तेजाब से नहला दिया

बता दें कि गया का कुष्ठ रोग अस्पताल 1941 में बना था. यह राज्य का एकमात्र कुष्ठ रोग अस्पताल है, लेकिन हालात बहुत बुरे हैं. 2014 में बिहार के तत्कालीन सीएम जीतनराम मांझी ने अस्पताल का दौरा किया था और प्रशासन को अस्पताल की मरम्मत और सेवाओं को बेहतर करने के आदेश दिए थे, लेकिन अभी तक कोई संज्ञान नहीं लिया गया है.

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