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मणिपुर के सांसद ने सराहा 'ऑपरेशन सनराइज', वार्ता के लिए की अपील

भारत-म्यांमार के बीच संयुक्त 'ऑपरेशन सनराइज' का संचालन किया गया. इस बारे में मणिपुर के सांसद ने कहा कि विद्रोही समूहों के खिलाफ संयुक्त अभियान ठीक है लेकिन यह एक स्थायी समाधान नहीं है. जानें क्या है 'ऑपरेशन सनराइज'

मणिपुर के सांसद ने ईटीवी भारत से बाततचीत की
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Published : Jun 19, 2019, 6:22 PM IST

नई दिल्ली: भारत-म्यांमार के संयुक्त 'ऑपरेशन सनराइज' को कई लोगों ने सराहा. मणिपुर के एक कानून निर्माता ने केंद्र सरकार से सभी विद्रोही समूहों को लाने की अपील की है.

गौरतलब है कि भारतीय और म्यांमार सेना ने 16 मई से म्यांमार से पूर्वोत्तर आधारित उग्रवादी संगठनों को बाहर निकालने के लिए तीन सप्ताह तक संयुक्त अभियान चलाया.
इसी तरह का संयुक्त ऑपरेशन तीन महीने पहले किया गया था.

मणिपुर के सांसद ने ईटीवी भारत से बाततचीत की

इस संबंध में मणिपुर के सांसद लोरो एस पफोजे ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की है. उन्होंने बताया कि विद्रोही समूहों के खिलाफ संयुक्त अभियान ठीक है लेकिन यह एक स्थायी समाधान नहीं है. उन्होंने कहा है कि समूह फिर से एकजुट हो सकते हैं.

आपको बता दें कि भारत और म्यांमार की सेनाओं ने मणिपुर, नगालैंड और असम में सक्रिय विभिन्न उग्रवादी समूहों को निशाना बनाते हुए बड़ी कार्रवाई की.

MP Pfoze ने आगे कहा कि बॉर्डर सड़कों को भी विकसित किया जाना चाहिए.

बता दें म्यांमार भारत के रणनीतिक पड़ोसी में से एक है जो लगभग 1640 किलोमीटर की सीमा साझा करता है.

पढ़ेंः मणिपुर में स्कूल जलाने वाले 2 युवक गिरफ्तार

पफोजे ने आगे कहा कि सरकार को कदम उठाने चाहिए ताकि सीमा सड़कें विकसित हों. इससे न केवल कनेक्टिविटी में सुधार होगा, बल्कि भारत और म्यांमार के बीच व्यापार में भी सुधार होगा.

इसमें दोनों ने अपने-अपने सीमावर्ती क्षेत्रों में 16 मई से तीन हफ्ते तक साझा अभियान चलाया, जिसे 'ऑपरेशन सनराइज' नाम दिया गया. अभियान के दौरान कम से कम 70 उग्रवादियों को दबोच लिया गया और उनके कई ठिकाने तबाह कर दिए गए थे.

नई दिल्ली: भारत-म्यांमार के संयुक्त 'ऑपरेशन सनराइज' को कई लोगों ने सराहा. मणिपुर के एक कानून निर्माता ने केंद्र सरकार से सभी विद्रोही समूहों को लाने की अपील की है.

गौरतलब है कि भारतीय और म्यांमार सेना ने 16 मई से म्यांमार से पूर्वोत्तर आधारित उग्रवादी संगठनों को बाहर निकालने के लिए तीन सप्ताह तक संयुक्त अभियान चलाया.
इसी तरह का संयुक्त ऑपरेशन तीन महीने पहले किया गया था.

मणिपुर के सांसद ने ईटीवी भारत से बाततचीत की

इस संबंध में मणिपुर के सांसद लोरो एस पफोजे ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की है. उन्होंने बताया कि विद्रोही समूहों के खिलाफ संयुक्त अभियान ठीक है लेकिन यह एक स्थायी समाधान नहीं है. उन्होंने कहा है कि समूह फिर से एकजुट हो सकते हैं.

आपको बता दें कि भारत और म्यांमार की सेनाओं ने मणिपुर, नगालैंड और असम में सक्रिय विभिन्न उग्रवादी समूहों को निशाना बनाते हुए बड़ी कार्रवाई की.

MP Pfoze ने आगे कहा कि बॉर्डर सड़कों को भी विकसित किया जाना चाहिए.

बता दें म्यांमार भारत के रणनीतिक पड़ोसी में से एक है जो लगभग 1640 किलोमीटर की सीमा साझा करता है.

पढ़ेंः मणिपुर में स्कूल जलाने वाले 2 युवक गिरफ्तार

पफोजे ने आगे कहा कि सरकार को कदम उठाने चाहिए ताकि सीमा सड़कें विकसित हों. इससे न केवल कनेक्टिविटी में सुधार होगा, बल्कि भारत और म्यांमार के बीच व्यापार में भी सुधार होगा.

इसमें दोनों ने अपने-अपने सीमावर्ती क्षेत्रों में 16 मई से तीन हफ्ते तक साझा अभियान चलाया, जिसे 'ऑपरेशन सनराइज' नाम दिया गया. अभियान के दौरान कम से कम 70 उग्रवादियों को दबोच लिया गया और उनके कई ठिकाने तबाह कर दिए गए थे.

Intro:New Delhi: Even as Indo-Myanmar joint "Operation Sunrise" was hailed by many, a law maker from Manipur has appealed the central government to bring all insurgent groups for talks .


Body:"The joint operation against the insurgent groups are ok, but this is not a permanent solution. The groups may again reunite...so it's better to bring all the insurgent outfits to the negotiation table," said MP from Manipur Lorho S Pfoze to ETV Bharat.

The Indian and Myanmer army carried three week long joint operation from May 16 to flush out Northeast based militant outfits from Myanmar. Code named Operation Sunrise, the joint effort was able to nabb around 70 militants from different organisation including Ulfa, NSCN, KLO among others.

Similar joint operation was carried three months back.

Myanmar is one of the strategic neighbour of India that share around 1640 kms border.


Conclusion:MP Pfoze further said that the border roads should also be developed.

"Government should take steps so that the border roads are developed. This will not only improve connectivity, but also improve trade between India and Myanmar," said Pfoze.

end.
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