नई दिल्ली: भारत-म्यांमार के संयुक्त 'ऑपरेशन सनराइज' को कई लोगों ने सराहा. मणिपुर के एक कानून निर्माता ने केंद्र सरकार से सभी विद्रोही समूहों को लाने की अपील की है.
गौरतलब है कि भारतीय और म्यांमार सेना ने 16 मई से म्यांमार से पूर्वोत्तर आधारित उग्रवादी संगठनों को बाहर निकालने के लिए तीन सप्ताह तक संयुक्त अभियान चलाया.
इसी तरह का संयुक्त ऑपरेशन तीन महीने पहले किया गया था.
इस संबंध में मणिपुर के सांसद लोरो एस पफोजे ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की है. उन्होंने बताया कि विद्रोही समूहों के खिलाफ संयुक्त अभियान ठीक है लेकिन यह एक स्थायी समाधान नहीं है. उन्होंने कहा है कि समूह फिर से एकजुट हो सकते हैं.
आपको बता दें कि भारत और म्यांमार की सेनाओं ने मणिपुर, नगालैंड और असम में सक्रिय विभिन्न उग्रवादी समूहों को निशाना बनाते हुए बड़ी कार्रवाई की.
MP Pfoze ने आगे कहा कि बॉर्डर सड़कों को भी विकसित किया जाना चाहिए.
बता दें म्यांमार भारत के रणनीतिक पड़ोसी में से एक है जो लगभग 1640 किलोमीटर की सीमा साझा करता है.
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पफोजे ने आगे कहा कि सरकार को कदम उठाने चाहिए ताकि सीमा सड़कें विकसित हों. इससे न केवल कनेक्टिविटी में सुधार होगा, बल्कि भारत और म्यांमार के बीच व्यापार में भी सुधार होगा.
इसमें दोनों ने अपने-अपने सीमावर्ती क्षेत्रों में 16 मई से तीन हफ्ते तक साझा अभियान चलाया, जिसे 'ऑपरेशन सनराइज' नाम दिया गया. अभियान के दौरान कम से कम 70 उग्रवादियों को दबोच लिया गया और उनके कई ठिकाने तबाह कर दिए गए थे.