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कश्मीर के हिमस्खलन में शहीद हुए थे राइफलमैन लक्ष्मण बीसी, वाराणसी में हुआ अंतिम संस्कार - नरेंद्र मोदी

कश्‍मीर में बीते दिनों हिमस्खलन में शहीद हुए लक्ष्मण बीसी के पार्थिव शरीर को उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के हरिशचंद्र घाट पर मुखाग्नि दी गई. जानें विस्तार से...

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देश के लाल लक्ष्मण को मुखाग्नि
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Published : Jan 19, 2020, 8:40 PM IST

वाराणसी : 14 जनवरी, 2020 को जब सैनिक जम्मू कश्मीर स्थित कुपवाड़ा के तंगधार में अपनी ड्यूटी कर रहे थे, तभी अचानक हिमस्खलन हो जाने के बाद सेना के कई सैनिक बर्फ में दब गए. उन्हीं सैनिकों में एक थे लक्ष्मण बीसी. बर्फ में दबने से घायल हुए भारतीय सेना के जवान ने देश की सेवा करते हुए अपनी कुर्बानी दे दी. रविवार को उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के हरीशचंद्र घाट पर शहीद को मुखाग्नि दी गई.

बर्फ में दबे हुए कई सैनिक देश की सेवा करते हुए शहीद हो गए. बर्फ में दबे हुए सैनिकों में से एक सैनिक लक्ष्मण बीसी भी थे, जो नेपाल के रहने वाले थे. लक्ष्मण बीसी 39 जीटीसी वाराणसी में ट्रेनिंग प्राप्त कर जम्मू कश्मीर स्थित कुपवाड़ा के तंगधार में देश की सेवा कर रहे थे. 14 जनवरी को हुए हिमस्खलन में उन्होंने अपने जान की आहुति दे दी.

शहीद लक्ष्मण बीसी को दी गई श्रद्धांजलि.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस पूरे घटनाक्रम को देखते हुए अपनी संवेदना सैनिकों के परिवारों के साथ जताई है. शहीद का पार्थिव शरीर 39 जीटीसी पहुंचा तो मां-बाप और भाई का रो-रो कर बुरा हाल था. लक्ष्मण बीसी महज 2 साल ट्रेनिंग करने के बाद देश को अपनी सेवा दे रहे थे, जिनकी शादी भी कुछ साल पहले हुई थी. उनकी 15 दिन की बेटी भी है, जिसे वे अलविदा कह गए.

कश्मीर में शहीद सलारिया का सैन्य सम्मान से अंतिम संस्कार, दो महीने की बेटी ने दी मुखाग्नि

हिमस्खलन होने के बाद काफी देर तक जद्दोजहद करने के बाद सैनिकों के पार्थिव शरीर को खोज निकाला था. सैनिक ने जिस जगह ट्रेनिंग की है, उसी जगह उनके पार्थिव शरीर को भेजा गया. लक्ष्मण बीसी का परिवार नेपाल में रहता है और उनके बड़े भाई नेपाल आर्मी में काम करते हैं. लक्ष्मण बीसी अपनी सेवा भारतीय सेना में दे रहे थे.

वाराणसी : 14 जनवरी, 2020 को जब सैनिक जम्मू कश्मीर स्थित कुपवाड़ा के तंगधार में अपनी ड्यूटी कर रहे थे, तभी अचानक हिमस्खलन हो जाने के बाद सेना के कई सैनिक बर्फ में दब गए. उन्हीं सैनिकों में एक थे लक्ष्मण बीसी. बर्फ में दबने से घायल हुए भारतीय सेना के जवान ने देश की सेवा करते हुए अपनी कुर्बानी दे दी. रविवार को उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के हरीशचंद्र घाट पर शहीद को मुखाग्नि दी गई.

बर्फ में दबे हुए कई सैनिक देश की सेवा करते हुए शहीद हो गए. बर्फ में दबे हुए सैनिकों में से एक सैनिक लक्ष्मण बीसी भी थे, जो नेपाल के रहने वाले थे. लक्ष्मण बीसी 39 जीटीसी वाराणसी में ट्रेनिंग प्राप्त कर जम्मू कश्मीर स्थित कुपवाड़ा के तंगधार में देश की सेवा कर रहे थे. 14 जनवरी को हुए हिमस्खलन में उन्होंने अपने जान की आहुति दे दी.

शहीद लक्ष्मण बीसी को दी गई श्रद्धांजलि.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस पूरे घटनाक्रम को देखते हुए अपनी संवेदना सैनिकों के परिवारों के साथ जताई है. शहीद का पार्थिव शरीर 39 जीटीसी पहुंचा तो मां-बाप और भाई का रो-रो कर बुरा हाल था. लक्ष्मण बीसी महज 2 साल ट्रेनिंग करने के बाद देश को अपनी सेवा दे रहे थे, जिनकी शादी भी कुछ साल पहले हुई थी. उनकी 15 दिन की बेटी भी है, जिसे वे अलविदा कह गए.

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हिमस्खलन होने के बाद काफी देर तक जद्दोजहद करने के बाद सैनिकों के पार्थिव शरीर को खोज निकाला था. सैनिक ने जिस जगह ट्रेनिंग की है, उसी जगह उनके पार्थिव शरीर को भेजा गया. लक्ष्मण बीसी का परिवार नेपाल में रहता है और उनके बड़े भाई नेपाल आर्मी में काम करते हैं. लक्ष्मण बीसी अपनी सेवा भारतीय सेना में दे रहे थे.

Intro:एंकर: 14 जनवरी 2020 को जब सैनिक बर्फ पर अपनी ड्यूटी दे रहे थे उसी समय हिमस्खलन हो जाने के बाद कई सैनिक बर्फ में दब गए। दबे हुए सैनिकों ने देश की सेवा में शहादत दे दी। बर्फ में दबे हुए सैनिकों में से एक सैनिक लक्ष्मण बीसी जो नेपाल का था जिसने 39 जीटीसी में ट्रेनिंग प्राप्त कर जम्मू कश्मीर स्थित कुपवाड़ा के तंगधार में देश की सेवा करते हुए अपने जान की आहुति दे दी।


Body:वीओ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस पूरे घटनाक्रम को देखते हुए अपनी संवेदना सैनिकों के परिवार से जताई थी यही नहीं जब पार्थिव शरीर 39 जीटीसी पहुंचा तो मां-बाप और भाई का रो रो कर बुरा हाल था। लक्ष्मण बीसी महज 2 साल ट्रेनिंग कर देश को अपनी सेवा दे रहे थे जिनकी शादी भी कुछ साल पहले हुई थी और महज 15 दिन की बेटी को अलविदा कह जिसका मुंह तक लक्ष्मण किसी ने नहीं देखा था और अपने देश के ऊपर अपनी जान निछावर कर दी।


Conclusion:वीओ: हिमस्खलन होने के बाद काफी देर तक जद्दोजहद करने के बाद सैनिकों के पार्थिव शरीर को खोज निकाला गया था। जिसके बाद जिस जगह सैनिक ने ट्रेनिंग की है उस जगह पार्थिव शरीर को भेजा गया जहां लक्ष्मण बीसी का परिवार नेपाल में रहता है और उनके बड़े भाई नेपाल आर्मी में काम करते हैं वही लक्ष्मण बीसी ने अपनी सेवा भारतीय सेना को देने के लिए जताई थी।

बाइट: हुकुम सिंह बैंसला 39 जीटीसी कमांडेंट


अमित दत्ता वाराणसी
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