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किसानों की मिसाल हैं कृष्णा यादव, इनका सफरनामा आपको करेगा प्रेरित

हरियाणा के गुरुग्राम की रहने वाली कृष्णा यादव ने 500 रुपए से करोड़ों का कारोबार खड़ा कर दिया. अपने व्यापार को इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए उन्हें किन मुश्किलों का सामना करना पड़ा. इस पर बातचीत की ईटीवी भारत के संवाददाता ने.

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Published : Jun 26, 2019, 2:16 PM IST

Updated : Jun 26, 2019, 3:48 PM IST

दूसरों के लिए मिसाल है ये महिला किसान.

गुरुग्राम: कहते हैं कि परिंदों को नहीं दी जाती तालीम उड़ानों की, वो खुद ही तय करते है मंजिल आसमानों की. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है हरियाणा के गुरुग्राम में एक छोटे से गांव भजेडा की रहने वाली कृष्णा यादव ने. कृष्णा ने सिर्फ 500 रुपए से शुरुआत की और आज करोड़ों का कारोबार करने वाली चार कंपनियां खड़ी कर दीं.

देखें वीडियो.

थोड़ी सी जमीन पर शुरू की खेती
कृष्णा यादव एक किसान परिवार में जन्मी है. कृष्णा शुरू से ही अपने पिता की खेती करने में मदद करती थी. जब कृष्णा की शादी हुई तो 1995-96 में वो यूपी से हरियाणा के एक गांव में आकर बस गए थे. रोजगार न होने के कारण उनके पति गोवर्धन यादव और उसने थोड़ी सी जमीन पर सब्जी उगानी शुरू की. लेकिन मंडी में इन सब्जियों के भाव कम मिलते थे.

पढ़ें: AP: भाइयों के बीच विवाद, भाभी की उतार दी साड़ी

कृष्णा ने अचार का व्यापार किया शुरू
कृष्णा ने अपने खेत की सब्जियों से अचार बनाना शुरू किया, फिर मार्केटिंग की दिक्कत खड़ी हो गई. लेकिन कृष्णा ने हार नहीं मानी और सेल्फ मार्केटिंग करनी शुरू की. अचार की गुणवत्ता और स्वाद लोगों को इतना पसंद आया कि उन्होंने वहीं से अचार लेना शुरू किया. धीरे-धीरे कृष्णा का व्यापार बढ़ा और अपनी मेहनत और लगन के दम पर लोगों के लिए मिसाल बन गई.

अचार बनाने का आइडिया कहां से मिला?
एक दिन कृष्णा ने एक चैनल पर किसानों का प्रोग्राम देखा, जिसमें किसानों के लिए नई तकनीक बताई जा रही थी. जिसके बाद कृष्णा ने अचार बनाने की ट्रेनिंग कृषि विभाग से ली और धीरे-धीरे खुद ही खेत में सब्जियों उगाकर अचार डाला. आज कृष्णा यादव के कई शोरूम दिल्ली और गुरुग्राम जैसे शहरों में हैं. साथ ही आज भी वह उन्हीं साधारण महिलाओं की तरह रहती हैं और खुद खेती करके अचार बनाकर लोगों का दिल जीत रही हैं.

कृष्णा का सफर

  • कृष्णा यादव बताती हैं कि 1995-96 वे यूपी से हरियाणा के एक गांव में आकर बस गए थे
  • रोजगार न होने के कारण उसके पति गोवर्धन यादव और उसने थोड़ी सी जमीन पर सब्जी उगानी शुरू की
  • 2001 में कृषि विज्ञान केंद्र, उजवा में खाद्य प्रसंस्करण तकनीक का तीन महीने का प्रशिक्षण लिया
  • प्रशिक्षण लेने के बाद अपने खेत की सब्जी से ही अचार बनाना शुरू कर दिया.
  • तीन हजार रुपए के शुरुआती निवेश पर 100 किलो करौंदे का अचार और पांच किलो मिर्च का अचार तैयार किया
  • इस अचार को बेचकर 5250 रुपए का लाभ हुआ
  • अचार बनाना शुरू कर दिया लेकिन फिर मार्केटिंग की दिक्कत खड़ी हो गई
  • ऐसे में उन्होंने सेल्फ मार्केटिंग करनी शुरू की और सड़क पर ही अचार बेचना शुरू कर दिया
  • गुणवत्ता अच्छी होने के कारण धीरे-धीरे अचार बिकना शुरू हुआ
  • कृष्णा यादव बताती हैं कि वे किसानों से उच्च गुणवत्ता वाले बीज देकर खुद सब्जियां उगवाती हैं
  • उन्हीं सब्जियों का इस्तेमाल अचार बनाने के लिए किया जाता है
  • जो उत्पाद किसानों से उपलब्ध नहीं हो पाता उसी उत्पाद को मंडी से खरीदते हैं
  • पीएम नरेंद्र मोदी, पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार तक कर चुके हैं सम्मानित
  • उन्हें आईसीएआर द्वारा दिए जाने वाले एनजी रंगा कृषि अवार्ड से वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी द्वारा सम्मानित किया जा चुका है
  • इसके साथ-साथ पंजाब विश्वविद्यालय द्वारा सम्मानित किया जा चुका है
  • पूर्व कृषि मंत्री शरद पंवार द्वारा चैंपियन अवार्ड दिया जा चुका है
  • इसके अतिरिक्त भी कई कृषि पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी हैं
  • राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा भी कृष्णा को सम्मानित किया गया है

गुरुग्राम: कहते हैं कि परिंदों को नहीं दी जाती तालीम उड़ानों की, वो खुद ही तय करते है मंजिल आसमानों की. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है हरियाणा के गुरुग्राम में एक छोटे से गांव भजेडा की रहने वाली कृष्णा यादव ने. कृष्णा ने सिर्फ 500 रुपए से शुरुआत की और आज करोड़ों का कारोबार करने वाली चार कंपनियां खड़ी कर दीं.

देखें वीडियो.

थोड़ी सी जमीन पर शुरू की खेती
कृष्णा यादव एक किसान परिवार में जन्मी है. कृष्णा शुरू से ही अपने पिता की खेती करने में मदद करती थी. जब कृष्णा की शादी हुई तो 1995-96 में वो यूपी से हरियाणा के एक गांव में आकर बस गए थे. रोजगार न होने के कारण उनके पति गोवर्धन यादव और उसने थोड़ी सी जमीन पर सब्जी उगानी शुरू की. लेकिन मंडी में इन सब्जियों के भाव कम मिलते थे.

पढ़ें: AP: भाइयों के बीच विवाद, भाभी की उतार दी साड़ी

कृष्णा ने अचार का व्यापार किया शुरू
कृष्णा ने अपने खेत की सब्जियों से अचार बनाना शुरू किया, फिर मार्केटिंग की दिक्कत खड़ी हो गई. लेकिन कृष्णा ने हार नहीं मानी और सेल्फ मार्केटिंग करनी शुरू की. अचार की गुणवत्ता और स्वाद लोगों को इतना पसंद आया कि उन्होंने वहीं से अचार लेना शुरू किया. धीरे-धीरे कृष्णा का व्यापार बढ़ा और अपनी मेहनत और लगन के दम पर लोगों के लिए मिसाल बन गई.

अचार बनाने का आइडिया कहां से मिला?
एक दिन कृष्णा ने एक चैनल पर किसानों का प्रोग्राम देखा, जिसमें किसानों के लिए नई तकनीक बताई जा रही थी. जिसके बाद कृष्णा ने अचार बनाने की ट्रेनिंग कृषि विभाग से ली और धीरे-धीरे खुद ही खेत में सब्जियों उगाकर अचार डाला. आज कृष्णा यादव के कई शोरूम दिल्ली और गुरुग्राम जैसे शहरों में हैं. साथ ही आज भी वह उन्हीं साधारण महिलाओं की तरह रहती हैं और खुद खेती करके अचार बनाकर लोगों का दिल जीत रही हैं.

कृष्णा का सफर

  • कृष्णा यादव बताती हैं कि 1995-96 वे यूपी से हरियाणा के एक गांव में आकर बस गए थे
  • रोजगार न होने के कारण उसके पति गोवर्धन यादव और उसने थोड़ी सी जमीन पर सब्जी उगानी शुरू की
  • 2001 में कृषि विज्ञान केंद्र, उजवा में खाद्य प्रसंस्करण तकनीक का तीन महीने का प्रशिक्षण लिया
  • प्रशिक्षण लेने के बाद अपने खेत की सब्जी से ही अचार बनाना शुरू कर दिया.
  • तीन हजार रुपए के शुरुआती निवेश पर 100 किलो करौंदे का अचार और पांच किलो मिर्च का अचार तैयार किया
  • इस अचार को बेचकर 5250 रुपए का लाभ हुआ
  • अचार बनाना शुरू कर दिया लेकिन फिर मार्केटिंग की दिक्कत खड़ी हो गई
  • ऐसे में उन्होंने सेल्फ मार्केटिंग करनी शुरू की और सड़क पर ही अचार बेचना शुरू कर दिया
  • गुणवत्ता अच्छी होने के कारण धीरे-धीरे अचार बिकना शुरू हुआ
  • कृष्णा यादव बताती हैं कि वे किसानों से उच्च गुणवत्ता वाले बीज देकर खुद सब्जियां उगवाती हैं
  • उन्हीं सब्जियों का इस्तेमाल अचार बनाने के लिए किया जाता है
  • जो उत्पाद किसानों से उपलब्ध नहीं हो पाता उसी उत्पाद को मंडी से खरीदते हैं
  • पीएम नरेंद्र मोदी, पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार तक कर चुके हैं सम्मानित
  • उन्हें आईसीएआर द्वारा दिए जाने वाले एनजी रंगा कृषि अवार्ड से वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी द्वारा सम्मानित किया जा चुका है
  • इसके साथ-साथ पंजाब विश्वविद्यालय द्वारा सम्मानित किया जा चुका है
  • पूर्व कृषि मंत्री शरद पंवार द्वारा चैंपियन अवार्ड दिया जा चुका है
  • इसके अतिरिक्त भी कई कृषि पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी हैं
  • राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा भी कृष्णा को सम्मानित किया गया है
Intro:नॉट-इसको रेडी टू प्ले पैकज की तरह शूट किया गया है


हरियाणा की महिला किसान बनी मिसाल जी हां हम बात कर रहे हैं साइबर सिटी गुरुग्राम के बजेड़ा गांव की रहने वाली एक साधारण सी महिला की जिन्होंने उधार पर पैसे लेकर खेती करना शुरू किया और आज करोड़ों रुपए की मालकिन है




Body:कौन कहता है आसमान में छेद नहीं होता जरा एक पत्थर तो उछालो यारो... ऐसा ही कुछ गुरुग्राम के भजेडा गांव की रहने वाली एक महिला किसान कृष्णा यादव ने कर दिखाया है....

कब से कर रही है खेती

दरअसल कृष्णा यादव किसान परिवार में जन्मी और करीब 8- 9 साल से ही अपने पिता की खेती में हाथ बटाने लगी थी... फिर कुछ समय बाद कृष्णा यादव की शादी किसान परिवार में ही हुई लेकिन घर के हालात ठीक न होने के चलते कृष्णा उनको अपना गांव छोड़ बजेड़ा में खेती करने आना पड़ा....लेकिन खेती करने के बावजूद भी घर का खर्च नहीं चल पा रहा था.....

अचार बनाने का आइडिया कहा से मिला?

एक दिन कृष्णा ने डीडी चैनल पर किसानों का प्रोग्राम देखा जिसमें किसानों के लिए नई तकनीक बताई जा रही थी जिसके बाद कृष्णा ने अचार बनाने की ट्रेनिंग कृषि विभाग से ली और धीरे-धीरे खुद ही खेत में सब्जियों उगा कर अचार डाला करती थी लेकिन उसमें भी कामयाबी नहीं मिल पा रही थी जिसके बाद धीरे-धीरे कृष्णा यादव और उनके पति ने लोगों के दिल में जगह बना ली और आज कृष्णा यादव के कहीं शोरूम दिल्ली और गुरुग्राम जैसे शहरों में है साथ ही आज भी वह उन्हीं साधारण महिलाओं की तरह रहती हैं और खुद खेती कर अचार बनाकर लोगों का दिल जीत रही है


Conclusion:कृष्णा ने पूरे हरियाणा की किसानों के लिए मिसाल कायम कर दी ह.... वहीं हरियाणा के किसानों को भी कृष्णा ट्रेनिंग देती रहती हैं और प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक सभी से कई बार सम्मानित भी हो चुकी है...
Last Updated : Jun 26, 2019, 3:48 PM IST
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