नई दिल्ली : खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष को पत्र लिखकर उनसे यह सुनिश्चित करने की अपील की है. इस राष्ट्रीय परिवाहक से देश के शिल्पकारों को मिले 39 करोड़ रुपये का आपूर्ति आर्डर रद्द न हो, क्योंकि इससे अपूरणीय क्षति होगी.
यह पत्र ऐसे समय में आया है जब भारतीय रेलवे ने वातानुकूलित डिब्बों में सफर कर रहे यात्रियों को कोरोना वायरस महमारी के मद्देनजर बेडशीट, तकिया का खोल या कोई अन्य लिनेन नहीं देने का निर्णय लिया है.
केवीआईसी के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने 15 सितंबर को रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी वी के यादव को पत्र लिखकर कहा कि खादी इंडिया को लिनेन उपलब्ध कराने का रेलवे से 39.25 करोड़ रुपये का आर्डर मिला था तथा ये आर्डर विभिन्न खादी संस्थानों को दे दिये गये.
सक्सेना ने लिखा कि ये उत्पाद पोलीवस्त्र बेडशीट, तकिया का खोल, तौलिया एवं अन्य उत्पाद हैं, जिन पर संबंधित रेलवे जोन के नाम और लोगों एवं निर्माण की तारीख है तथा वे आपूर्ति के लिए तैयार हैं.
उन्होंने कहा कि मेरे संज्ञान में आया है कि कुछ मामलों में तो सामानों की आपूर्ति की जा चुकी है, लेकिन आर-नोट जारी नहीं किया गया. कुछ मामलों में चीजें आपूर्ति के लिए तैयार हैं, लेकिन रेलवे ने आपूर्ति अवधि अगले वित्त वर्ष तक बढ़ा दी है.
उन्होंने कहा कि आश्चर्य है कि कुछ मामलों में सामान आपूर्ति के लिए तैयार है, लेकिन रेलवे ने आर्डर रद्द कर दिया है, जबकि ये खादी सामान खासकर रेलवे के लिए बनाये गये हैं. उन पर उनके निशान एवं विनिर्माण तारीख हैं. ऐसे में केवीआईसी के पास उन्हें किसी और को बेचने का विकल्प नहीं है.
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सक्सेना ने कहा कि रेलवे को इस कार्य से जुड़े बुनकर एवं अनय शिल्पकारों के प्रयासों एवं संघर्षों पर गौर करना चाहिए.
इस पत्र पर रेलवे के प्रवक्ता डी जे नारायण ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी ने हमसभी खासकर राष्ट्र की जीवन रेखा कही जाने वाली रेलवे के सामने अप्रत्याशित एवं अकल्पित चुनौतियां पेश की हैं.
उन्होंने कहा कि ट्रेनों में लिनेन का वितरण रोकना, ट्रेन यात्रा के दौरान इस वायरस को फैलने से रोकने के साधनों में एक है. केवल जनहित में यह निर्णय लिया गया है.
रेलवे केवीआईसी एवं शिल्पकारों का सम्मान करता है तथा केवीआईसी के साथ परस्पर संवाद से यथासंभव हल निकाला जाएगा.