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विशेष लेख : भारत के लिए कितनी सार्थक ऑनलाइन शिक्षा, जानें क्या है चुनौतियां

कोरोना वायरस ने मानव जीवन के लगभग सभी क्षेत्रों को प्रभावित किया है. दूसरे क्षेत्रों पर इसके व्यापक प्रभाव धीरे-धीरे सामने आएंगे, लेकिन शिक्षा व्यवस्था में तो अभी से इसका असर दिखने लगा है. अब ऐसे में देश के पास ऑनलाइन शिक्षा एकमात्र विकल्प है. लेकिन क्या देश इसके लिए तैयार है? यही सबसे बड़ा सवाल है...

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प्रतीकात्मक तस्वीर.
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Published : May 6, 2020, 3:08 PM IST

Updated : May 6, 2020, 3:21 PM IST

हैदराबाद : कोरोना वायरस से उत्पन्न महामारी ने इंसानी जीवन को प्रभावित किया है. 24 मार्च को इस महामारी के मद्देनजर देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की गई. इससे देश की अर्थव्यवस्था गिरती चली गई और शिक्षा जगत पर इसका गहरा असर पड़ा. देश अब ऑनलाइन शिक्षा की ओर अग्रसर हुआ है. हालांकि मौजूदा समय में भारत ऐसी शिक्षा को लेकर कितना तैयार है, इसे समझना आवश्यक है.

बता दें कि 24 मार्च से स्कूलों, कॉलेजों की गेट पर ताला लगा हुआ है. क्योंकि देश लॉकडाउन मोड पर है.

जैसा कि सबको पता है, कोरोना वायरस एक संक्रामक रोग है. इससे बचने का फिलहाल सोशल डिस्टेंसिंग के अलावा और कोई दुसरा उपाय भारत सहित पुरे विश्व के पास नहीं है. क्योंकि कोरोना के इलाज के लिए दवाई की खोज अभी तक नहीं हुई है.

लॉकडाउन में कोई भी समूह में नहीं रह सकता है. इससे कोरोना फैलने का खतरा अधिक होता है. सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार लोगों को घर पर रहने की सलाह दी गई है.

ऐसी परिस्थिति में स्कूलों, कॉलेजों और अन्य शिक्षण संस्थानों का सामान्य रूप से कार्य करना मुश्किल हो जाएगा. क्योंकि स्कूल, कॉलेज में बच्चों का एक जगह पर जमा होना आवश्यक होता है, जो कि लॉकडाउन में मुमकिन नहीं है. ऐसे में अब ऑनलाइन शिक्षा की मांग जोर पकड़ने लगा है.

पर सवाल यह कि भारत ऑनलाइन शिक्षा को एक विकल्प के तौर पर तो ले सकता है, लेकिन क्या इसे वह अपनाने को तैयार होगा?

हम मानते हैं लॉकडाउन में ऑनलाइन शिक्षा, सामान्य तौर पर दी जाने वाली शिक्षा का बेहतरीन विकल्प हो सकता है. लेकिन यहां कई तरह कीं मुश्किलें सामने आ सकतीं हैं. क्योंकि भारत में बच्चे एक साथ स्कूलों, कॉलेजों में पढ़ाई करने के अभ्यस्त हैं.

शिक्षक भी बच्चों के आमने-सामने रहकर ही पढ़ाते हैं. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या भारत आमने-सामने की पढ़ाई से अलग हटकर ऑनलाइन शिक्षा के लिए तैयार है? क्या ऑनलाइन कक्षा जैसे बड़े बदलाव इस देश में लाए जा सकते हैं?

बच्चों की पढ़ाई-लिखाई को लेकर होने वाले नुकसान को कम से कम करने के लिए केंद्र सरकार ने ऑनलाइन योजना पर काम शुरू कर दिया है. इसे और बेहतर बनाने के लिए उसने जनता से सुझाव भी मांगे हैं.

एक अच्छी बात यह है, या हम इसे एक उम्मीद की एक किरण कह सकते हैं, क्योंकि कुछ शिक्षक बड़े पैमाने पर खुले ऑनलाइन पाठ्यक्रमों जैसे पोर्टल का उपयोग कर रहे हैं. छात्र भी इसकी तरफ आकर्षित होने लगे हैं.

क्यूएस की रिपोर्ट के अनुसार कोरोना के कारण देशव्यापी लॉकडाउन के बाद से भारत ने ऑनलाइन पाठ्यक्रमों को अपनाया तो है, लेकिन वह इसके लिए पूरी तरह से तैयार नहीं है. हालत ऐसी है कि कुछ शिक्षक बड़े पैमाने पर खुले ऑनलाइन पाठ्यक्रमों जैसे पोर्टल का उपयोग कर रहे हैं.

सर्वेक्षण में बताया गया है कि भारत में प्रौद्योगिकी के बुनियादी ढांचे में गुणवत्ता की कमी है. इससे देश भर के छात्रों के लिए ऑनलाइन शिक्षा में कई तरह की परेशानियां उत्पन्न हो सकती हैं.

मार्च 2019 के एक आंकड़ों के मुताबिक वैश्विक स्तर पर 4.4 बिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं, जिनमें से केवल 56 करोड़ भारत में हैं.

भारत में ऑनलाइन शिक्षा के कार्यान्वयन में प्रमुख बाधाएं

देश में अभी भी कई समस्याएं हैं, जिनमें से एक इंटरनेट सुविधाएं प्रमुख हैं. देश में कनेक्टिविटी और सिग्नल मुद्दे छात्रों की सबसे प्रचलित समस्याएं हैं.

इसके बावजूद इससे संबंधित राज्य और निजी क्षेत्र के खिलाड़ी अभी तक इन तकनीकी चुनौतियों से पार पाने में सफल नहीं हुए हैं. उचित बुनियादी ढांचे में कमी के कारण ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर कुल निर्भरता फिलहाल एक सपना ही है.

शिक्षा पर नेशनल सैंपल सर्वे रिपोर्ट 2017 -18 के अनुसार, 66% भारतीय गांवों में रहते हैं, केवल 15% ग्रामीण घरों में इंटरनेट का उपयोग होता है. वहीं 42% शहरी घरों में इंटरनेट की पहुंच है. यहां घर और इंटरनेट के सामान्य उपयोग के बीच अंतर करना महत्वपूर्ण है.
पश्चिम बंगाल और बिहार में केवल सात से आठ प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास इंटरनेट की पहुंच है. विश्वविद्यालय के 85 प्रतिशत छात्र जो शहरी घरों से आते हैं, 41 प्रतिशत इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. हालांकि ऐसी संभावना है कि वे घर पर इसका ज्यादा इस्तेमाल करते हैं.

सबसे अलग हटकर एक बात तो सच है कि हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, नेटवर्क उपकरण, कनेक्टिविटी और चौबीस घंटे, सात दिन विश्वसनीय जानकारी की उपलब्धता शिक्षा में डिजिटल विभाजन को खत्म करने की एकमात्र कुंजी है.

देश में ऑनलाइन शिक्षा एक अच्छी और बेहतरीन सोच है. इसके लिए देश को अपनी क्षमता का विकास तेजी से करना होगा, जिससे बच्चों का सुनहरा कल संवर सके.

हैदराबाद : कोरोना वायरस से उत्पन्न महामारी ने इंसानी जीवन को प्रभावित किया है. 24 मार्च को इस महामारी के मद्देनजर देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की गई. इससे देश की अर्थव्यवस्था गिरती चली गई और शिक्षा जगत पर इसका गहरा असर पड़ा. देश अब ऑनलाइन शिक्षा की ओर अग्रसर हुआ है. हालांकि मौजूदा समय में भारत ऐसी शिक्षा को लेकर कितना तैयार है, इसे समझना आवश्यक है.

बता दें कि 24 मार्च से स्कूलों, कॉलेजों की गेट पर ताला लगा हुआ है. क्योंकि देश लॉकडाउन मोड पर है.

जैसा कि सबको पता है, कोरोना वायरस एक संक्रामक रोग है. इससे बचने का फिलहाल सोशल डिस्टेंसिंग के अलावा और कोई दुसरा उपाय भारत सहित पुरे विश्व के पास नहीं है. क्योंकि कोरोना के इलाज के लिए दवाई की खोज अभी तक नहीं हुई है.

लॉकडाउन में कोई भी समूह में नहीं रह सकता है. इससे कोरोना फैलने का खतरा अधिक होता है. सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार लोगों को घर पर रहने की सलाह दी गई है.

ऐसी परिस्थिति में स्कूलों, कॉलेजों और अन्य शिक्षण संस्थानों का सामान्य रूप से कार्य करना मुश्किल हो जाएगा. क्योंकि स्कूल, कॉलेज में बच्चों का एक जगह पर जमा होना आवश्यक होता है, जो कि लॉकडाउन में मुमकिन नहीं है. ऐसे में अब ऑनलाइन शिक्षा की मांग जोर पकड़ने लगा है.

पर सवाल यह कि भारत ऑनलाइन शिक्षा को एक विकल्प के तौर पर तो ले सकता है, लेकिन क्या इसे वह अपनाने को तैयार होगा?

हम मानते हैं लॉकडाउन में ऑनलाइन शिक्षा, सामान्य तौर पर दी जाने वाली शिक्षा का बेहतरीन विकल्प हो सकता है. लेकिन यहां कई तरह कीं मुश्किलें सामने आ सकतीं हैं. क्योंकि भारत में बच्चे एक साथ स्कूलों, कॉलेजों में पढ़ाई करने के अभ्यस्त हैं.

शिक्षक भी बच्चों के आमने-सामने रहकर ही पढ़ाते हैं. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या भारत आमने-सामने की पढ़ाई से अलग हटकर ऑनलाइन शिक्षा के लिए तैयार है? क्या ऑनलाइन कक्षा जैसे बड़े बदलाव इस देश में लाए जा सकते हैं?

बच्चों की पढ़ाई-लिखाई को लेकर होने वाले नुकसान को कम से कम करने के लिए केंद्र सरकार ने ऑनलाइन योजना पर काम शुरू कर दिया है. इसे और बेहतर बनाने के लिए उसने जनता से सुझाव भी मांगे हैं.

एक अच्छी बात यह है, या हम इसे एक उम्मीद की एक किरण कह सकते हैं, क्योंकि कुछ शिक्षक बड़े पैमाने पर खुले ऑनलाइन पाठ्यक्रमों जैसे पोर्टल का उपयोग कर रहे हैं. छात्र भी इसकी तरफ आकर्षित होने लगे हैं.

क्यूएस की रिपोर्ट के अनुसार कोरोना के कारण देशव्यापी लॉकडाउन के बाद से भारत ने ऑनलाइन पाठ्यक्रमों को अपनाया तो है, लेकिन वह इसके लिए पूरी तरह से तैयार नहीं है. हालत ऐसी है कि कुछ शिक्षक बड़े पैमाने पर खुले ऑनलाइन पाठ्यक्रमों जैसे पोर्टल का उपयोग कर रहे हैं.

सर्वेक्षण में बताया गया है कि भारत में प्रौद्योगिकी के बुनियादी ढांचे में गुणवत्ता की कमी है. इससे देश भर के छात्रों के लिए ऑनलाइन शिक्षा में कई तरह की परेशानियां उत्पन्न हो सकती हैं.

मार्च 2019 के एक आंकड़ों के मुताबिक वैश्विक स्तर पर 4.4 बिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं, जिनमें से केवल 56 करोड़ भारत में हैं.

भारत में ऑनलाइन शिक्षा के कार्यान्वयन में प्रमुख बाधाएं

देश में अभी भी कई समस्याएं हैं, जिनमें से एक इंटरनेट सुविधाएं प्रमुख हैं. देश में कनेक्टिविटी और सिग्नल मुद्दे छात्रों की सबसे प्रचलित समस्याएं हैं.

इसके बावजूद इससे संबंधित राज्य और निजी क्षेत्र के खिलाड़ी अभी तक इन तकनीकी चुनौतियों से पार पाने में सफल नहीं हुए हैं. उचित बुनियादी ढांचे में कमी के कारण ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर कुल निर्भरता फिलहाल एक सपना ही है.

शिक्षा पर नेशनल सैंपल सर्वे रिपोर्ट 2017 -18 के अनुसार, 66% भारतीय गांवों में रहते हैं, केवल 15% ग्रामीण घरों में इंटरनेट का उपयोग होता है. वहीं 42% शहरी घरों में इंटरनेट की पहुंच है. यहां घर और इंटरनेट के सामान्य उपयोग के बीच अंतर करना महत्वपूर्ण है.
पश्चिम बंगाल और बिहार में केवल सात से आठ प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास इंटरनेट की पहुंच है. विश्वविद्यालय के 85 प्रतिशत छात्र जो शहरी घरों से आते हैं, 41 प्रतिशत इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. हालांकि ऐसी संभावना है कि वे घर पर इसका ज्यादा इस्तेमाल करते हैं.

सबसे अलग हटकर एक बात तो सच है कि हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, नेटवर्क उपकरण, कनेक्टिविटी और चौबीस घंटे, सात दिन विश्वसनीय जानकारी की उपलब्धता शिक्षा में डिजिटल विभाजन को खत्म करने की एकमात्र कुंजी है.

देश में ऑनलाइन शिक्षा एक अच्छी और बेहतरीन सोच है. इसके लिए देश को अपनी क्षमता का विकास तेजी से करना होगा, जिससे बच्चों का सुनहरा कल संवर सके.

Last Updated : May 6, 2020, 3:21 PM IST
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