कासरगोड : संविधान के मूल ढांचे का सिद्धांत दिलाने वाले संत केशवानंद भारती का केरल के कासरगोड में निधन हो गया.
पुलिस ने बताया कि केरल निवासी संत केशवानंद भारती श्रीपदगवरु का इदानीर मठ में उम्र संबंधी बीमारियों की वजह से 79 साल की उम्र में निधन हो गया.
पुलिस ने कहा, ' हमें मिली सूचना के मुताबिक रविवार तड़के करीब तीन बजकर 30 मिनट पर उनका निधन हुआ.'
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केशवानंद के निधन पर शोक व्यक्त किया है.
बेंगलुरु सेंट्रल से भाजपा सांसद पीसी मोहन ने भी केशवानंद के निधन पर दुख जताया है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि केशवानंद भारती बनाम केरल सरकार का मुकदमा आज भी सबसे लंबे समय तक चलने वाली अदालती कार्यवाही है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और बीजेपी नेता एसजी सूर्या ने भी केशवानंद भारती के निधन पर शोक व्यक्त किया. उनके ट्वीट पर डीएमके पार्टी ने कथित तौर से भारती को 'संघी' कहा.
सूर्या ने डीएमके के सदस्य की टिप्पणी को आपत्तिजनक करार दिया और कहा कि यह कैंसर की तरह है, इसका इलाज करना जरुरी है. देश को ऐसे लोगों से मुक्त कराया जाना जरूरी है.
उल्लेखनीय है कि चार दशक पहले भारती ने केरल भूमि सुधार कानून को चुनौती दी थी जिसपर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने संविधान के मूल ढांचे का सिद्धांत दिया और यह फैसला शीर्ष अदालत की अब तक सबसे बड़ी पीठ ने दिया था जिसमें 13 न्यायधीश शामिल थे.
केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य मामले पर 68 दिन तक सुनवाई हुई थी और अब तक उच्चतम न्यायालय में सबसे अधिक समय तक किसी मुकदमे पर चली सुनवाई के मामले में यह शीर्ष पर है.
इस मामले की सुनवाई 31 अक्टूबर 1972 को शुरू हुई और 23 मार्च 1973 को सुनवाई पूरी हुई. भारतीय संवैधानिक कानून में इस मामले की सबसे अधिक चर्चा होती है.
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मद्रास उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के चंद्रू से इस मामले के महत्व के बारे में जब पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'केशवानंद भारती मामले का महत्व इसपर आए फैसले की वजह से है जिसके मुताबिक संविधान में संशोधन किया जा सकता है लेकिन इसके मूल ढांचे में नहीं.'