नई दिल्ली : उत्तर पूर्वी दिल्ली में फरवरी में हुई हिंसा मामले में जेएनयू पूर्व छात्र उमर खालिद के खिलाफ साजिश रचने का मुकदमा चलेगा. मुकदमा चलाने को लेकर पुलिस की तरफ से आई अर्जी को दिल्ली सरकार ने मंजूरी दे दी है. बता दें कि दिल्ली हिंसा से संबंधित मामला पूर्वी दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट में चल रहा है.
उमर खालिद के खिलाफ राजद्रोह, हत्या, हत्या का प्रयास, धर्म के आधार पर विभिन्न समुदायों के बीच द्वेष पैदा करने और दंगा भड़काने के आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया है. प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि खालिद ने कथित रूप से दो अलग-अलग जगहों पर भड़काऊ भाषण दिये और लोगों से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यात्रा के दौरान सड़कों पर उतरने और उन्हें जाम करने की अपील की, ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह दुष्प्रचार किया जा सके कि भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार किया जा रहा है. खालिद को 13 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था.
पुलिस ने प्राथमिकी में दावा किया था कि सांप्रदायिक हिंसा पूर्व-नियोजित साजिश थी, जिसे कथित रूप से खालिद और दो अन्य लोगों ने अंजाम दिया था. इस षडयंत्र को अंजाम तक पहुंचाने के लिये कई घरों में हथियार, पेट्रोल बम, तेजाब की बोतलें और पत्थर जमा किए गए.
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उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 24 फरवरी को नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसा भड़कने के बाद सांप्रदायिक झड़पें शुरू हो गई थीं. इस दौरान कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 200 लोग घायल हो गए थे.
क्या है गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून (यूएपीए)
गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) एक्ट, 1967 का उद्देश्य भारत विरोधी (भारत और विदेशी जमीन पर) गैरकानूनी गतिविधियों की प्रभावी रोकथाम करना है. अर्थात यह एक्ट भारत की अखंडता और संप्रभुता के लिए खतरा पैदा करने वाली गतिविधियों से निपटने के लिए शक्तियां उपलब्ध कराता है. संसद ने इस एक्ट में संशोधन कर इसे और सख्त बनाया है.यह बिल गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) एक्ट, 1967 में संशोधन करता है. यह एक्ट आतंकी और नक्सलवादी गतिविधियों को काबू में करने के लिए पुराने एक्ट में कुछ बदलाव करता है ताकि भारत के खिलाफ होने वाली आतंकी गतिविधियों से कड़ाई से निपटा जा सके.
यह कानून कुछ संवैधानिक अधिकारों पर ‘उचित’ प्रतिबंध लगाता है, जैसे कि:
- भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता,
- शांतिपूर्वक और हथियारों के बिना एकत्र होने का अधिकार
- एसोसिएशन या यूनियन बनाने का अधिकार