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केदारनाथ यात्रा सुचारु रूप से संपन्न कराना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती

केदारनाथ यात्रा भी इस साल आसान नहीं होने वाली है. बर्फबारी के कारण सड़कें दुर्घटनाग्रस्त हो गई हैं. इस कारण प्रशासन के सामने यात्रा व्यवस्थाओं को दुरुस्त करना चुनौती बन गया है.

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प्रतीकात्मक चित्र
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Published : Feb 8, 2020, 7:04 PM IST

Updated : Feb 29, 2020, 4:14 PM IST

रुद्रप्रयाग : देवभूमि में चारधाम यात्रा शुरू होने में तीन महीने से भी कम का वक्त बचा है. ऐसे में इस बार उत्तराखंड में जमकर हो रही बर्फबारी यात्रा में खलल डाल सकती है. केदारपुरी को जाने वाले कई पैदल मार्ग और सड़कें बारिश के कारण क्षतिग्रस्त हो गई हैं, जिस कारण प्रशासन के सामने एक बड़ी चुनौती सामने आने वाली है कि अप्रैल महीने में शुरू होने वाली यात्रा को कैसे सुगम बनाया जाए.

बता दें कि पिछले साल 2019 की यात्रा भी भारी चुनौतियों से भरी रही. पैदल मार्ग से बर्फ हटाना ही प्रशासन के लिए चुनौती बना रहा, लेकिन 9 मई को भगवान केदारनाथ के कपाट खुलने के बाद देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे, जिन्हें पैदल मार्ग पर बड़े-बड़े ग्लेशियरों का सामना करना पड़ा. साल 2019 में यात्रा सीजन के दौरान सैकड़ों तीर्थयात्रियों को चोट लगीं, तो वहीं एक तीर्थयात्री की ग्लेशियर टूटने से मौत हो गई.

मीडिया से बात करते हुए डीएम

इस बार भी गौरीकुंड से केदारनाथ धाम तक यात्रा करना किसी मुसीबत से कम नहीं होने वाली है. दिसम्बर माह से हो रही बर्फबारी और बारिश के कारण पैदल मार्ग सहित केदारपुरी बर्फ से लकदक है. मंदिर परिसर में 10 से 15 फीट तक बर्फ जमा है. इस कारण दिसंबर महीने से ही धाम का जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग से सम्पर्क कटा हुआ है.

ये भी पढ़ें: भारी बर्फबारी के कारण थल-मुनस्यारी मार्ग बंद, अंधेरे में डूबा मुनस्यारी

गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग के रामबाड़ा से रुद्रा प्वॉइंट तक 10 फीट से अधिक बर्फ है. यहां छह-सात जगहों पर विशालकाय हिमखंड जोन भी हैं, जिन्हें पार करना मुश्किल है. केदारपुरी में भी एमआई-26 हेलीपैड से लेकर मंदिर मार्ग और मंदिर परिसर तक 10 से 15 फीट तक बर्फ जमा है. धाम में बिजली, पानी और संचार सेवा ठप पड़ी है. साथ ही पुनर्निर्माण कार्य भी नहीं हो रहे हैं.

रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने इस बाबत कहा कि एक टीम को केदारनाथ भेजा जा रहा है, जो वहां के हालातों का जायजा लेगी. इसके बाद पैदल मार्ग और धाम में सफाई का कार्य शुरू कर दिया जाएगा. सभी कार्यदायी संस्थाओं को पुनर्निर्माण कार्यों को लेकर 15 फरवरी तक अपने स्थानों पर पहुंचने को कहा गया है. प्रशासन का प्रयास रहेगा कि कपाट खुलने से 10 दिन पहले यात्रा व्यवस्थाओं को पूरा कर लिया जाए.

रुद्रप्रयाग : देवभूमि में चारधाम यात्रा शुरू होने में तीन महीने से भी कम का वक्त बचा है. ऐसे में इस बार उत्तराखंड में जमकर हो रही बर्फबारी यात्रा में खलल डाल सकती है. केदारपुरी को जाने वाले कई पैदल मार्ग और सड़कें बारिश के कारण क्षतिग्रस्त हो गई हैं, जिस कारण प्रशासन के सामने एक बड़ी चुनौती सामने आने वाली है कि अप्रैल महीने में शुरू होने वाली यात्रा को कैसे सुगम बनाया जाए.

बता दें कि पिछले साल 2019 की यात्रा भी भारी चुनौतियों से भरी रही. पैदल मार्ग से बर्फ हटाना ही प्रशासन के लिए चुनौती बना रहा, लेकिन 9 मई को भगवान केदारनाथ के कपाट खुलने के बाद देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे, जिन्हें पैदल मार्ग पर बड़े-बड़े ग्लेशियरों का सामना करना पड़ा. साल 2019 में यात्रा सीजन के दौरान सैकड़ों तीर्थयात्रियों को चोट लगीं, तो वहीं एक तीर्थयात्री की ग्लेशियर टूटने से मौत हो गई.

मीडिया से बात करते हुए डीएम

इस बार भी गौरीकुंड से केदारनाथ धाम तक यात्रा करना किसी मुसीबत से कम नहीं होने वाली है. दिसम्बर माह से हो रही बर्फबारी और बारिश के कारण पैदल मार्ग सहित केदारपुरी बर्फ से लकदक है. मंदिर परिसर में 10 से 15 फीट तक बर्फ जमा है. इस कारण दिसंबर महीने से ही धाम का जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग से सम्पर्क कटा हुआ है.

ये भी पढ़ें: भारी बर्फबारी के कारण थल-मुनस्यारी मार्ग बंद, अंधेरे में डूबा मुनस्यारी

गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग के रामबाड़ा से रुद्रा प्वॉइंट तक 10 फीट से अधिक बर्फ है. यहां छह-सात जगहों पर विशालकाय हिमखंड जोन भी हैं, जिन्हें पार करना मुश्किल है. केदारपुरी में भी एमआई-26 हेलीपैड से लेकर मंदिर मार्ग और मंदिर परिसर तक 10 से 15 फीट तक बर्फ जमा है. धाम में बिजली, पानी और संचार सेवा ठप पड़ी है. साथ ही पुनर्निर्माण कार्य भी नहीं हो रहे हैं.

रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने इस बाबत कहा कि एक टीम को केदारनाथ भेजा जा रहा है, जो वहां के हालातों का जायजा लेगी. इसके बाद पैदल मार्ग और धाम में सफाई का कार्य शुरू कर दिया जाएगा. सभी कार्यदायी संस्थाओं को पुनर्निर्माण कार्यों को लेकर 15 फरवरी तक अपने स्थानों पर पहुंचने को कहा गया है. प्रशासन का प्रयास रहेगा कि कपाट खुलने से 10 दिन पहले यात्रा व्यवस्थाओं को पूरा कर लिया जाए.

Intro:इस वर्ष भी मुसीबत भरी रहेगी भगवान केदारनाथ की यात्रा
प्रशासन के सामने यात्रा व्यवस्थाओं को दुरूस्त करना चुनौती
गौरीकुण्ड से केदारनाथ धाम तक जमी है दस से पन्द्रह फीट बर्फ
रुद्रप्रयाग। इस वर्ष भी बाबा केदारनाथ की यात्रा आसान नहीं होगी। गौरीकुण्ड से केदारनाथ पैदल मार्ग पर बर्फ जमी है तो पैदल मार्ग बारिश के कारण जगह-जगह क्षतिग्रस्त हालत में है। अप्रैल माह में संभवतः भगवान केदारनाथ के कपाट खुल जायेंगे। ऐसे में प्रशासन के सामने चुनौती है कि वह किस तरह से देश-विदेश के श्रद्धालुओं को सुगम व सरल यात्रा का अहसास कराती है।Body:
बता दें कि पिछले वर्ष 2019 की यात्रा भी भारी चुनौतियों भरी रही। पैदल मार्ग से बर्फ हटाना ही प्रशासन के लिए चुनौती बन गया। 9 मई को भगवान केदारनाथ के कपाट खुले तो देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे, जिन्हें पैदल मार्ग पर बड़े-बड़े ग्लेशियरों का सामना करना पड़ा। यात्रा सीजन के दौरान सैकड़ों तीर्थयात्रियों को चोट लगी तो एक तीर्थयात्री की ग्लेशियर टूटने से मौत हो गई। इस बार भी गौरीकुण्ड से केदारनाथ धाम तक यात्रा करना किसी मुसीबत से कम नहीं है। दिसम्बर माह से हो रही बर्फवारी और बारिश के कारण पैदल मार्ग सहित केदारपुरी बर्फ से लकदक है। मंदिर परिसर में दस से पन्द्रह फीट तक बर्फ जमा है। दिसंबर माह से ही धाम का जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग से संपर्क कटा हुआ है। इन हालातों में आगामी यात्रा की तैयारियों को समय पर पूरा करना चुनौती से कम नहीं है। प्रदेश के चारधामों में तीन धामों गंगोत्री, यमुनोत्री और बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि घोषित हो चुकी है। इन धामों के कपाट क्रमशः 26 (अक्षया तृतीया) और 30 अप्रैल को खुलने हैं। ऐसे में 11,750 फीट की ऊंचाई पर मेरु-सुमेरु पर्वत की तलहटी पर विराजमान भगवान आशुतोष के ग्याहरवें ज्योतिर्लिंग केदारनाथ धाम के कपाट भी 26 से 29 अप्रैल के बीच खुलने की संभावना है। भले ही कपाट खुलने की तिथि 20 फरवरी महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर तय होनी है, लेकिन इन सबके बीच भारी बर्फबारी के चलते यात्रा तैयारियों को समय पर पूरा करना प्रशासन के लिए कठिन चुनौती के समान है। गौरीकुण्ड-केदारनाथ पैदलमार्ग के रामबाड़ा से रुद्रा प्वाइंट तक दस फीट से अधिक बर्फ है। यहां छह-सात जगहों पर विशालकाय हिमखंड जोन भी हैं, जिन्हें पार करना मुश्किल है। केदारपुरी में भी एमआई-26 हेलीपैड से लेकर मंदिर मार्ग और मंदिर परिसर तक दस से पन्द्रह फीट तक बर्फ जीम है। धाम में बिजली, पानी और संचार सेवा ठप पड़ी है। साथ ही पुनर्निर्माण कार्य भी नहीं हो रहे हैं। आपदा के छः वर्षो बाद ऐसा हुआ है कि केदारनाथ धाम में प्रशासन, पुलिस और कार्यदायी संस्थाओं के अधिकारी व कर्मचारी और मजदूर भी नहीं हैं। इन विषम हालातों में केदारनाथ यात्रा तैयारियों को समय पर पूरा करना शासन-प्रशासन के लिए आसान नहीं है। बता दें कि बीते वर्ष केदारनाथ धाम की यात्रा नौ मई को शुरू हुई थी। उस दौरान भी पैदल मार्ग पर भीमबली से ही बर्फ मौजूद थी। रामबाड़ा से रुद्रा प्वाइंट के बीच छः जगहों पर 45 फीट से अधिक लंबाई तक के ग्लेशियर फैले हुए थे। जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने कहा कि एक टीम को केदारनाथ भेजा जा रहा है, जो वहां के हालातों का जायजा लेगी। इसके बाद पैदल मार्ग और धाम में बर्फ सफाई का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। सभी कार्यदायी संस्थाओं को पुनर्निर्माण कार्यों को लेकर पन्द्रह फरवरी तक अपने स्थानों पर पहुंचने को कहा गया है। प्रशासन का प्रयास रहेगा कि कपाट खुलने से दस दिन पहले यात्रा व्यवस्थाओं को पूरा किया जाय।
बाइट - मंगेश घिल्डियाल, जिलाधिकारी Conclusion:
Last Updated : Feb 29, 2020, 4:14 PM IST
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