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उत्तराखंड : केदारनाथ रावल ऊखीमठ पहुंचे, एकांतवास में रहेंगे, कपाट खुलने पर अभी संशय

केदारनाथ के रावल भीमा शंकर लिंग ऊखीमठ पहुंच चुके हैं. फिलहाल रावल अपने सेवकों के साथ एकांत में ही रहेंगे. बता दें कि 29 अप्रैल को भगवान केदारनाथ के कपाट खोले जाने हैं और इस बार कोरोना वैश्विक महामारी के कारण गिनती के ही श्रद्धालु धाम में मौजूद रहेंगे. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Apr 19, 2020, 6:21 PM IST

रुद्रप्रयाग : केदारनाथ के रावल 1008 जगतगुरू भीमा शंकर लिंग महास्वामी भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल ऊखीमठ पहुंच गए हैं. वह ऊखीमठ में क्वारंटाइन रहेंगे. उन्होंने बताया कि वे अपने आश्रम महाराष्ट्र के नांदेड़ में अपने सेवकों के साथ एकांतवास कर रहे थे.

वहां से चलने से पहले उनका स्वस्थ परीक्षण हुआ और मठ पहुंचने के बाद भी स्वास्थ्य परीक्षण हुआ है. रावल भीमा शंकर लिंग और उनके सेवकों का स्वास्थ्य बिल्कुल ठीक है.

देखें ईटीवी भारत की रिपोर्ट

बता दें कि 29 अप्रैल को भगवान केदारनाथ के कपाट खोले जाने हैं और इस बार कोरोना वैश्विक महामारी के कारण गिनती के ही श्रद्धालु धाम में मौजूद रहेंगे. 25 अप्रैल की रात्रि को शीतकालीन गद्दीस्थल में भैरवनाथ की पूजा-अर्चना की जाएगी.

26 अप्रैल को डोली केदारनाथ के लिए रवाना होगी. वर्षों से चली आ रही परंपरानुसार रावल की मौजूदगी में ही बाबा केदार के कपाट खोले जाते हैं.

ऐसे में रावल भीमा शंकर लिंग दो दिन में दो हजार किलोमीटर का सफर करके शीतकालीन गद्दीस्थल ऊखीमठ पहुंचे. भीमा शंकर लिंग केदारनाथ के 324वें रावल हैं.

उनका कहना है कि धर्म और मठ की परंपरा की रक्षा के लिए वे अपने पूर्व रावलों और गुरुओं की भांति कभी भी अपनी जान की परवाह नहीं करेंगे.

रुद्रप्रयाग : केदारनाथ के रावल 1008 जगतगुरू भीमा शंकर लिंग महास्वामी भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल ऊखीमठ पहुंच गए हैं. वह ऊखीमठ में क्वारंटाइन रहेंगे. उन्होंने बताया कि वे अपने आश्रम महाराष्ट्र के नांदेड़ में अपने सेवकों के साथ एकांतवास कर रहे थे.

वहां से चलने से पहले उनका स्वस्थ परीक्षण हुआ और मठ पहुंचने के बाद भी स्वास्थ्य परीक्षण हुआ है. रावल भीमा शंकर लिंग और उनके सेवकों का स्वास्थ्य बिल्कुल ठीक है.

देखें ईटीवी भारत की रिपोर्ट

बता दें कि 29 अप्रैल को भगवान केदारनाथ के कपाट खोले जाने हैं और इस बार कोरोना वैश्विक महामारी के कारण गिनती के ही श्रद्धालु धाम में मौजूद रहेंगे. 25 अप्रैल की रात्रि को शीतकालीन गद्दीस्थल में भैरवनाथ की पूजा-अर्चना की जाएगी.

26 अप्रैल को डोली केदारनाथ के लिए रवाना होगी. वर्षों से चली आ रही परंपरानुसार रावल की मौजूदगी में ही बाबा केदार के कपाट खोले जाते हैं.

ऐसे में रावल भीमा शंकर लिंग दो दिन में दो हजार किलोमीटर का सफर करके शीतकालीन गद्दीस्थल ऊखीमठ पहुंचे. भीमा शंकर लिंग केदारनाथ के 324वें रावल हैं.

उनका कहना है कि धर्म और मठ की परंपरा की रक्षा के लिए वे अपने पूर्व रावलों और गुरुओं की भांति कभी भी अपनी जान की परवाह नहीं करेंगे.

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