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राज्य के बजट में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए कुछ नहीं : सतीश महालदार - अल्पसंख्यक कश्मीरी पंडित

प्रवासियों की वापसी, सुलह व पुनर्वास मामलों से संबंधित समिति के अध्यक्ष सतीश महालदार ने केंद्र सरकार से कश्मीर घाटी के 10 जिलों में कश्मीरी पंडितों के भौतिक पुनर्वास के लिए तुरंत जमीन के संबंध में अधिसूचित करने को कहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के बजट में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए कुछ नहीं है. पढ़ें पूरी खबर...

फाइल फोटो
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Published : May 5, 2020, 6:29 PM IST

नई दिल्ली : प्रवासियों के हिमायती एक संगठन ने केंद्र से आग्रह किया है कि वह विशेष प्रावधानों के साथ चालू वित्तीय वर्ष में कश्मीरी पंडितों के भौतिक और आर्थिक पुनर्वास के लिए तुरंत तीन लाख करोड़ रुपये का बजट आवंटित करे. प्रवासियों की वापसी, सुलह व पुनर्वास मामलों से संबंधित समिति के अध्यक्ष सतीश महालदार ने केंद्र सरकार से कश्मीर घाटी के 10 जिलों में कश्मीरी पंडितों के भौतिक पुनर्वास के लिए तुरंत जमीन के संबंध में अधिसूचित करने को कहा है.

पत्र में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि इस वर्ष के बजट 'जम्मू-कश्मीर बजट, 2020' में कश्मीरी पंडितों के लिए उनके भौतिक और आर्थिक पुनर्वास, राहत और कल्याण के लिए कुछ भी नहीं है. पत्र में कहा गया, 'हमें लगता है कि हमें धोखा दिया गया है. हमारे संवैधानिक और मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित और संरक्षित नहीं किया गया है.'

वर्तमान वित्तीय वर्ष के दौरान बजट में, 1705 करोड़ रुपये डीबीटी के माध्यम से 45 लाख लाभार्थियों को दिए गए हैं. 60,000 नए पेंशन मामले प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से कवर किए जाएंगे. महालदार ने कहा, 'लेकिन, आज तक एक भी कश्मीरी पंडित को इस योजना के तहत कोई लाभ नहीं मिला है.'

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में कहा कि कश्मीरी पंडित प्रवासियों का पुनर्वास उनके संसदीय क्षेत्र के अनुसार उनके प्रवासी कार्ड के आधार पर किया जाना चाहिए.

पत्र में कहा गया, 'कश्मीर में आतंकवाद का पहला शिकार, अल्पसंख्यक कश्मीरी पंडित पिछले 30 वर्षों से निर्वासन में हैं. इन 30 वर्षों में हमसे कई वादे किए गए. हमारा मामला कुछ लोगों के लिए चुनावी रणनीति का एक हिस्सा बन गया है और हमें अंतर्राष्ट्रीय मोचरें पर पाकिस्तान की आतंकी रणनीति के शिकार के तौर पर पेश किया गया है, लेकिन इस समुदाय ने आज तक कोई ठोस नीति नहीं देखी है जो हमारे आर्थिक उत्थान, शैक्षिक और संवैधानिक गारंटी और घाटी में हमारी वापसी के बारे में बात करे.'

महालदार ने कहा, 'मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को लगभग छह साल बीत चुके हैं, लेकिन घाटी में कश्मीरी पंडितों को वापस लाने और उनके पुनर्वास के लिए भारत सरकार द्वारा कोई प्रस्ताव नहीं तैयार किया गया है.'

पढ़ें : अर्थव्यवस्था को शुरू करते समय, आपूर्ति श्रृंखलाओं के बारे में सोचें : राहुल गांधी

उन्होंने कहा कि 419 कश्मीरी पंडित परिवारों के एक स्वयंसेवक समूह को वापसी और पुनर्वास प्रक्रिया के तहत कश्मीर में भूमि और घर देने का वादा किया गया था, लेकिन इस संबंध में कुछ भी नहीं किया गया है. लगभग 100 कश्मीरी पंडितों का गैर प्रवासी परिवार कश्मीर में रह रहा है. वह किराए के घरों में रह रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस पैकेज में उन्हें भी शामिल किया जाना चाहिए.

नई दिल्ली : प्रवासियों के हिमायती एक संगठन ने केंद्र से आग्रह किया है कि वह विशेष प्रावधानों के साथ चालू वित्तीय वर्ष में कश्मीरी पंडितों के भौतिक और आर्थिक पुनर्वास के लिए तुरंत तीन लाख करोड़ रुपये का बजट आवंटित करे. प्रवासियों की वापसी, सुलह व पुनर्वास मामलों से संबंधित समिति के अध्यक्ष सतीश महालदार ने केंद्र सरकार से कश्मीर घाटी के 10 जिलों में कश्मीरी पंडितों के भौतिक पुनर्वास के लिए तुरंत जमीन के संबंध में अधिसूचित करने को कहा है.

पत्र में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि इस वर्ष के बजट 'जम्मू-कश्मीर बजट, 2020' में कश्मीरी पंडितों के लिए उनके भौतिक और आर्थिक पुनर्वास, राहत और कल्याण के लिए कुछ भी नहीं है. पत्र में कहा गया, 'हमें लगता है कि हमें धोखा दिया गया है. हमारे संवैधानिक और मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित और संरक्षित नहीं किया गया है.'

वर्तमान वित्तीय वर्ष के दौरान बजट में, 1705 करोड़ रुपये डीबीटी के माध्यम से 45 लाख लाभार्थियों को दिए गए हैं. 60,000 नए पेंशन मामले प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से कवर किए जाएंगे. महालदार ने कहा, 'लेकिन, आज तक एक भी कश्मीरी पंडित को इस योजना के तहत कोई लाभ नहीं मिला है.'

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में कहा कि कश्मीरी पंडित प्रवासियों का पुनर्वास उनके संसदीय क्षेत्र के अनुसार उनके प्रवासी कार्ड के आधार पर किया जाना चाहिए.

पत्र में कहा गया, 'कश्मीर में आतंकवाद का पहला शिकार, अल्पसंख्यक कश्मीरी पंडित पिछले 30 वर्षों से निर्वासन में हैं. इन 30 वर्षों में हमसे कई वादे किए गए. हमारा मामला कुछ लोगों के लिए चुनावी रणनीति का एक हिस्सा बन गया है और हमें अंतर्राष्ट्रीय मोचरें पर पाकिस्तान की आतंकी रणनीति के शिकार के तौर पर पेश किया गया है, लेकिन इस समुदाय ने आज तक कोई ठोस नीति नहीं देखी है जो हमारे आर्थिक उत्थान, शैक्षिक और संवैधानिक गारंटी और घाटी में हमारी वापसी के बारे में बात करे.'

महालदार ने कहा, 'मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को लगभग छह साल बीत चुके हैं, लेकिन घाटी में कश्मीरी पंडितों को वापस लाने और उनके पुनर्वास के लिए भारत सरकार द्वारा कोई प्रस्ताव नहीं तैयार किया गया है.'

पढ़ें : अर्थव्यवस्था को शुरू करते समय, आपूर्ति श्रृंखलाओं के बारे में सोचें : राहुल गांधी

उन्होंने कहा कि 419 कश्मीरी पंडित परिवारों के एक स्वयंसेवक समूह को वापसी और पुनर्वास प्रक्रिया के तहत कश्मीर में भूमि और घर देने का वादा किया गया था, लेकिन इस संबंध में कुछ भी नहीं किया गया है. लगभग 100 कश्मीरी पंडितों का गैर प्रवासी परिवार कश्मीर में रह रहा है. वह किराए के घरों में रह रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस पैकेज में उन्हें भी शामिल किया जाना चाहिए.

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