ETV Bharat / bharat

डोमिसाइल सर्टिफिकेट के लिए जम्मू-कश्मीर में आए रिकॉर्ड तोड़ आवेदन

जम्मू और कश्मीर में कुल 21,13,879 व्यक्तियों ने डोमिसाइल सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया है. डोमिसाइल सर्टिफिकेट (प्रक्रिया) नियम, 2020 के जम्मू-कश्मीर अनुदान के नियम पांच में कुछ दस्तावेजों को अनिवार्य किया गया है, जिन्हें आवेदन के साथ संलग्न किया जाना है. जिन आवेदनों में निर्धारित दस्तावेजों का अभाव है, उन्हें खारिज कर दिया गया है.

Kashmir Domicile certificates
डोमिसाइल सर्टिफिकेट
author img

By

Published : Sep 23, 2020, 12:53 PM IST

Updated : Sep 23, 2020, 1:59 PM IST

हैदराबाद : जम्मू और कश्मीर सरकार को कुल 2113879 व्यक्तियों ने डोमिसाइल प्रमाणपत्र के लिए आवेदन किया है. अभी तक तकरीबन 16 लाख 79 हजार 520 लोगों को डोमिसाइल प्रमाणपत्र दिए जा चुके हैं. इसके अलावा आवश्यक दस्तावेज जमा नहीं करा पाने के चलते कुल आवेदनों में से 1,21630 आवेदन खारिज भी किए गए हैं.

प्रांतीय पुनर्वास अधिकारी (पीआरओ), जम्मू और कश्मीर के साथ बनाए गए पंजीकरण रिकॉर्ड के अनुसार 1071 के भारत-पाक युद्ध के दौरान छंब नायबत क्षेत्र से विस्थापित परिवारों के रूप में कुल 6565 परिवारों को पंजीकृत किया गया था. 1971 के विस्थापित परिवारों के लिए चार एकड़ (सिंचित) या छह एकड़ (असिंचित) की दर से कृषि भूमि आवंटित की गई थी. इसके साथ ही प्रति परिवार 7,500 रुपये का नकद मुआवजे का भुगतान किया गया था. विस्थापित परिवारों के पुनर्वास की पूरी प्रक्रिया छंब विस्थापित व्यक्ति पुनर्वास प्राधिकरण (सीडीपीआरए) द्वारा देखरेख में की गई थी.

26,319 परिवार पंजीकृत
1947 के भारत-पाक युद्ध के कारण कुल 31,619 परिवार पाक अधिकृत जम्मू और कश्मीर (पीओजेके) से विस्थापित हो गए, जिसमें से 26,319 परिवार पंजीकृत हो गए और पूर्व में जम्मू और कश्मीर राज्य में बस गए. कुल 5,300 परिवार जो शुरुआत में पीआरओ, जम्मू-कश्मीर के साथ पंजीकृत थे, बाद में देश के अन्य हिस्सों में चले गए.

विस्थापितों की सहायता
1947 के विस्थापित परिवारों के लिए जो जम्मू-कश्मीर में रहे उनको सरकार ने प्रत्येक परिवार चार से आठ एकड़ कृषि भूमि आवंटित की थी. शहरी क्षेत्रों में बसने वालों को नकद पूर्व अनुदान के अलावा भूखंड/क्वार्टर प्रदान किए गए थे. इसके साथ ही प्रति परिवार 3500 रूपए दिए गए, उन परिवारों को जिन्हें निर्धारित पैमानों के अनुसार जमीन आवंटित नहीं की गई थी, भूमि की कमी के बदले भारत सरकार द्वारा नकद मुआवजा स्वीकृत किया गया था. अन्य लोगों को उनके पुनर्वास के लिए निश्चित पैमाने के अनुसार भूमि/भूखंड/तिमाही आवंटित किया गया था. जम्मू और कश्मीर में बसने वाले विस्थापित परिवारों को रुपये का एक अतिरिक्त भुगतान किया गया था. उनके पंजीकरण के समय 3500 रूपए प्रति परिवार दिया गया.

पढ़ें: आधिकारिक भाषा विधेयक पारित होने पर शाह ने पीएम का जताया आभार

पुनर्वास पैकेज को मंजूरी
पीओजेके और छंब के विस्थापित परिवारों की कठिनाइयों को कम करने के लिए प्रधानमंत्री विकास पैकेज 2015 के तहत भारत सरकार ने रुपये के परिव्यय के साथ पुनर्वास पैकेज को मंजूरी दी. 22 दिसंबर 2016 को 2000 करोड़ रुपये के पैकेज के तहत एक बार की वित्तीय सहायता के तौर पर 5.5 लाख प्रति परिवार (केंद्रीय शेयर 5,49,692 रुपए और राज्य का हिस्सा विस्थापित परिवारों को 308 रुपए) दिया गया.

विस्थापित परिवारों को शामिल करने की मंजूरी
सितंबर 2019 में भारत सरकार ने 5,300 परिवारों में से पीओजेके के उन विस्थापित परिवारों को शामिल करने को मंजूरी दे दी, जो शुरू में जम्मू-कश्मीर से बाहर चले गए, लेकिन बाद में वापस लौट आए और जम्मू-कश्मीर में ही बस गए, ऐसे परिवार भी एक बार की वित्तीय सहायता के लिए पात्र हैं, उन्हें प्रति परिवार 5.5 लाख रूपए दिए गए.

हैदराबाद : जम्मू और कश्मीर सरकार को कुल 2113879 व्यक्तियों ने डोमिसाइल प्रमाणपत्र के लिए आवेदन किया है. अभी तक तकरीबन 16 लाख 79 हजार 520 लोगों को डोमिसाइल प्रमाणपत्र दिए जा चुके हैं. इसके अलावा आवश्यक दस्तावेज जमा नहीं करा पाने के चलते कुल आवेदनों में से 1,21630 आवेदन खारिज भी किए गए हैं.

प्रांतीय पुनर्वास अधिकारी (पीआरओ), जम्मू और कश्मीर के साथ बनाए गए पंजीकरण रिकॉर्ड के अनुसार 1071 के भारत-पाक युद्ध के दौरान छंब नायबत क्षेत्र से विस्थापित परिवारों के रूप में कुल 6565 परिवारों को पंजीकृत किया गया था. 1971 के विस्थापित परिवारों के लिए चार एकड़ (सिंचित) या छह एकड़ (असिंचित) की दर से कृषि भूमि आवंटित की गई थी. इसके साथ ही प्रति परिवार 7,500 रुपये का नकद मुआवजे का भुगतान किया गया था. विस्थापित परिवारों के पुनर्वास की पूरी प्रक्रिया छंब विस्थापित व्यक्ति पुनर्वास प्राधिकरण (सीडीपीआरए) द्वारा देखरेख में की गई थी.

26,319 परिवार पंजीकृत
1947 के भारत-पाक युद्ध के कारण कुल 31,619 परिवार पाक अधिकृत जम्मू और कश्मीर (पीओजेके) से विस्थापित हो गए, जिसमें से 26,319 परिवार पंजीकृत हो गए और पूर्व में जम्मू और कश्मीर राज्य में बस गए. कुल 5,300 परिवार जो शुरुआत में पीआरओ, जम्मू-कश्मीर के साथ पंजीकृत थे, बाद में देश के अन्य हिस्सों में चले गए.

विस्थापितों की सहायता
1947 के विस्थापित परिवारों के लिए जो जम्मू-कश्मीर में रहे उनको सरकार ने प्रत्येक परिवार चार से आठ एकड़ कृषि भूमि आवंटित की थी. शहरी क्षेत्रों में बसने वालों को नकद पूर्व अनुदान के अलावा भूखंड/क्वार्टर प्रदान किए गए थे. इसके साथ ही प्रति परिवार 3500 रूपए दिए गए, उन परिवारों को जिन्हें निर्धारित पैमानों के अनुसार जमीन आवंटित नहीं की गई थी, भूमि की कमी के बदले भारत सरकार द्वारा नकद मुआवजा स्वीकृत किया गया था. अन्य लोगों को उनके पुनर्वास के लिए निश्चित पैमाने के अनुसार भूमि/भूखंड/तिमाही आवंटित किया गया था. जम्मू और कश्मीर में बसने वाले विस्थापित परिवारों को रुपये का एक अतिरिक्त भुगतान किया गया था. उनके पंजीकरण के समय 3500 रूपए प्रति परिवार दिया गया.

पढ़ें: आधिकारिक भाषा विधेयक पारित होने पर शाह ने पीएम का जताया आभार

पुनर्वास पैकेज को मंजूरी
पीओजेके और छंब के विस्थापित परिवारों की कठिनाइयों को कम करने के लिए प्रधानमंत्री विकास पैकेज 2015 के तहत भारत सरकार ने रुपये के परिव्यय के साथ पुनर्वास पैकेज को मंजूरी दी. 22 दिसंबर 2016 को 2000 करोड़ रुपये के पैकेज के तहत एक बार की वित्तीय सहायता के तौर पर 5.5 लाख प्रति परिवार (केंद्रीय शेयर 5,49,692 रुपए और राज्य का हिस्सा विस्थापित परिवारों को 308 रुपए) दिया गया.

विस्थापित परिवारों को शामिल करने की मंजूरी
सितंबर 2019 में भारत सरकार ने 5,300 परिवारों में से पीओजेके के उन विस्थापित परिवारों को शामिल करने को मंजूरी दे दी, जो शुरू में जम्मू-कश्मीर से बाहर चले गए, लेकिन बाद में वापस लौट आए और जम्मू-कश्मीर में ही बस गए, ऐसे परिवार भी एक बार की वित्तीय सहायता के लिए पात्र हैं, उन्हें प्रति परिवार 5.5 लाख रूपए दिए गए.

Last Updated : Sep 23, 2020, 1:59 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.