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कर्नाटक विधानसभा में नहीं हो सका विश्वास मत पर फैसला, सदन के अंदर भाजपा का धरना - मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने सदन में विश्वास प्रस्ताव पेश किया

कर्नाटक विधानसभा में सत्ताधारी गठबंधन और विपक्षी भाजपा सदस्यों के बीच आरोप-प्रत्यारोप व हंगामे की वजह से विश्वास मत पर फैसला नहीं हो सका, जिसके बाद भाजपा के विधायक सदन के अंदर ही धरने पर बैठ गए. पढ़ें पूरी खबर...

सदन के अंदर भाजपा का धरना
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Published : Jul 19, 2019, 11:08 AM IST

बेंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा में मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली 14 महीने पुरानी गठबंधन सरकार का भविष्य तय करने वाले विश्वास प्रस्ताव पर गुरुवार को विधानसभा में मतदान नही हो सका. सत्ताधारी गठबंधन और विपक्षी भाजपा सदस्यों के बीच आरोप-प्रत्यारोप व हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया. वहीं भाजपा के सदस्यों ने सदन के अंदर रातभर ‘धरना’ देने का फैसला किया है.

वहीं प्रदेश के राज्यपाल वजुभाई वाला ने मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी को शुक्रवार दोपहर डेढ़ बजे से पहले विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिये कहा

सदन के अंदर और बाहर दिन भर चले तमाम उतार-चढ़ाव भरे घटनाक्रम के बीच मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने सदन में विश्वास प्रस्ताव पेश किया. 16 बागी विधायकों के इस्तीफे के कारण प्रदेश सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.
मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने एक वाक्य का प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि सदन उनके नेतृत्व वाली 14 महीने पुरानी सरकार में विश्वास व्यक्त करता है.

सरगर्मी भरे माहौल में गुरुवार को शुरू हुई सदन की कार्यवाही में 20 विधायक नहीं पहुंचे. इनमें 17 सत्तारूढ़ गठबंधन के हैं. बागी विधायकों में से 12 फिलहाल मुंबई के एक होटल में ठहरे हुए हैं.
पूरे दिन सदन में चलता रहा हंगामा.

सदन में प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान बमुश्किल कई बार सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक और नारेबाजी देखने को मिली. कांग्रेसी सदस्यों ने विपक्ष के खिलाफ काफी देर तक नारेबाजी की. हंगामे की वजह से सदन की कार्यवाही को दिन भर के लिये स्थगित करने के पहले तीन बार कार्यवाही को थोड़ी-थोड़ी देर के लिये रोकना पड़ा था.

सदन की कार्यवाही स्थगित होने से पहले, भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा ने घोषणा की कि उनकी पार्टी के सदस्य रातभर सदन में ही रहेंगे और विश्वास प्रस्ताव पर फैसला होने तक सदन में ही डटे रहेंगे.
येदियुरप्पा ने कहा, 'हम विश्वास मत के प्रस्ताव पर फैसला होने तक रूके रहेंगे.’’

उन्होंने कहा कि विश्वास प्रस्ताव पर ठीक तरह से 15 मिनट भी चर्चा नहीं हुई है और सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्य अन्य मुद्दों को उठा रहे हैं ताकि विश्वास प्रस्ताव को टाला जा सके.

भाजपा सदस्यों के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल वजुभाई वाला से मुलाकात कर उनके अनुरोध किया कि वो विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार से कहें कि वह शक्तिपरीक्षण की प्रक्रिया दिन के खत्म होने से पहले पूरी करें.

इस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि वह विश्वास प्रस्ताव की मतदान की प्रक्रिया को दिन के अंत तक पूरी करें. राज्यपाल के संदेश पर सत्ताधारी पक्ष ने आपत्ति जताई.

बाद में राज्यपाल ने मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी को शुक्रवार दोपहर डेढ़ बजे से पहले विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिये कहा.

भाजपा नेताओं ने कहा कि गुरुवार को हुए घटनाक्रम के संबंध में वे सर्वोच्च न्यायालय जाने पर विचार कर रहे हैं.

कांग्रेस-जद(एस) के सत्ताधारी गठबंधन के 16 विधायकों द्वारा इस्तीफा देने और दो निर्दलीय विधायकों के गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली सरकार पर संकट के बाद मंडरा रहे हैं.

हालांकि इस बीच एक बागी कांग्रेसी विधायक रामलिंगा रेड्डी ने पलटते हुए कहा कि वह सरकार का समर्थन करेंगे.

सत्ताधारी गठबंधन की कुल क्षमता 117- कांग्रेस 78, जद(एस) 37, बसपा-1 और नामित-1- हैं. इसके अलावा अध्यक्ष हैं.

यह भी पढ़ें-कर्नाटक संकट: संविधान के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं- संविधान विशेषज्ञ

दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन के साथ विपक्षी भाजपा के पास 107 विधायक हैं. कर्नाटक विधानसभा में एक नामित सदस्य और विधानसभा अध्यक्ष समेत कुल 225 सदस्य हैं.

अगर 15 विधायकों (12 कांग्रेसी और तीन जद(एस) से) के इस्तीफे स्वीकार किये जाते हैं तो सत्ताधारी गठबंधन की संख्या घटकर 101 रह जाएगी और सरकार अल्पमत में आ जाएगी.

सत्तारूढ़ गठबंधन की मुश्किलें उस वक्त और बढ़ गईं जब कांग्रेस के एक अन्य विधायक श्रीमंत पाटिल सदन से गैर-हाजिर दिखे. उनके बारे में ऐसी खबरें आ रही हैं कि उन्हें मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

एक बार कांग्रेसी सदस्य सदन में पाटिल की तस्वीर लेकर अध्यक्ष के आसन के समक्ष आ गए और “भाजपा हाय-हाय' और “ऑपरेशन कमल हाय-हाय' के नारे लगाने लगे.
कांग्रेस-जद(एस) सरकार को समर्थन दे रहे बसपा विधायक महेश भी सदन में नहीं आए. उनके बारे में खबरें आ रही हैं कि वह सदन से गैर-हाजिर इसलिए हैं क्योंकि उन्हें विश्वास मत पर कोई रुख तय करने को लेकर पार्टी प्रमुख मायावती से कोई निर्देश नहीं मिला है.

कुमारस्वामी ने जोर दिया कि कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन के बारे में संशय पैदा किया गया है और इसे देश के सामने लाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, 'हमें सच बताना होगा.’’
उन्होंने कहा, “कर्नाटक में जो हो रहा है उसे पूरा देश देख रहा है.'

यह भी पढ़ें-कर्नाटक विधानसभा फ्लोर टेस्ट में नहीं होंगे 15 बागी विधायक शामिल

जैसे ही प्रस्ताव लाया गया विपक्षी भाजपा नेता बी एस येद्दियुरप्पा खड़े हो गए और उन्होंने कहा कि विश्वास मत की प्रक्रिया एक ही दिन में पूरी होनी चाहिए.
इस पर कुमारस्वामी ने येद्दियुरप्पा पर तंज कसते हुए कहा, 'विपक्ष के नेता काफी जल्दबाजी में दिख रहे हैं.’’

कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धरमैया ने मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी द्वारा लाए गए विश्वास प्रस्ताव को टालने की मांग करते हुए कहा कि प्रदेश के सियासी संकट को लेकर उच्चतम न्यायालय के फैसले को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष जब तक व्हिप के मुद्दे पर फैसला नहीं कर लेते तब तक के लिये इसे अमल में न लाया जाए.

कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धरमैया ने कहा कि मुंबई में ठहरे 15 बागी विधायक उच्चतम न्यायालय के आदेश से प्रभावित हैं कि वे विधानसभा की कार्यवाही से दूर रह सकते हैं और विधानसभाध्यक्ष के आर रमेश से कहा कि वे कांग्रेस विधायक दल के नेता के तौर पर जारी व्हिप के भविष्य को लेकर कोई फैसला दें.

सदन में विश्वास मत पर जैसे ही चर्चा शुरू हुई सिद्धरमैया ने अध्यक्ष के आर रमेश कुमार से कहा, “अगर यह प्रस्ताव लिया जाता है तो यह संवैधानिक नहीं होगा. यह संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करता है. मैं आपसे इसे टालने का अनुरोध करता हूं. मैं इस व्यवस्था के विषय पर आपका फैसला चाहता हूं.'

विधानसभा अध्यक्ष ने इस पर कहा कि वह इस पर महाधिवक्ता से परामर्श करेंगे.

सदन में इस बात को लेकर भी कांग्रेस सदस्यों ने आरोप लगाते हुए हंगामा किया कि विधायक श्रीमंत पाटिल उनके साथ एक रिसॉर्ट में रहने के बाद अचानक गायब हो गए और उसके बाद उनसे कोई संपर्क नहीं हो सका. कांग्रेसी सदस्यों का आरोप था कि गठबंधन सरकार को 'गिराने' के प्रयासों के तहत उनका “अपहरण' किया गया.

कांग्रेसी सदस्यों ने एक सुर में कहा कि विधायक डर में जी रहे हैं और पाटिल का अपहरण कर उन्हें एक कमरे में रखा गया और एक विशेष विमान से मुंबई ले जाकर उन्हें अस्पताल में भर्ती करा दिया गया.

इस बीच पाटिल का एक वीडियो संदेश सामने आया जिसमें उन्होंने कहा कि किसी ने उनका “अपहरण' नहीं किया है.

बेंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा में मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली 14 महीने पुरानी गठबंधन सरकार का भविष्य तय करने वाले विश्वास प्रस्ताव पर गुरुवार को विधानसभा में मतदान नही हो सका. सत्ताधारी गठबंधन और विपक्षी भाजपा सदस्यों के बीच आरोप-प्रत्यारोप व हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया. वहीं भाजपा के सदस्यों ने सदन के अंदर रातभर ‘धरना’ देने का फैसला किया है.

वहीं प्रदेश के राज्यपाल वजुभाई वाला ने मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी को शुक्रवार दोपहर डेढ़ बजे से पहले विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिये कहा

सदन के अंदर और बाहर दिन भर चले तमाम उतार-चढ़ाव भरे घटनाक्रम के बीच मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने सदन में विश्वास प्रस्ताव पेश किया. 16 बागी विधायकों के इस्तीफे के कारण प्रदेश सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.
मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने एक वाक्य का प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि सदन उनके नेतृत्व वाली 14 महीने पुरानी सरकार में विश्वास व्यक्त करता है.

सरगर्मी भरे माहौल में गुरुवार को शुरू हुई सदन की कार्यवाही में 20 विधायक नहीं पहुंचे. इनमें 17 सत्तारूढ़ गठबंधन के हैं. बागी विधायकों में से 12 फिलहाल मुंबई के एक होटल में ठहरे हुए हैं.
पूरे दिन सदन में चलता रहा हंगामा.

सदन में प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान बमुश्किल कई बार सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक और नारेबाजी देखने को मिली. कांग्रेसी सदस्यों ने विपक्ष के खिलाफ काफी देर तक नारेबाजी की. हंगामे की वजह से सदन की कार्यवाही को दिन भर के लिये स्थगित करने के पहले तीन बार कार्यवाही को थोड़ी-थोड़ी देर के लिये रोकना पड़ा था.

सदन की कार्यवाही स्थगित होने से पहले, भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा ने घोषणा की कि उनकी पार्टी के सदस्य रातभर सदन में ही रहेंगे और विश्वास प्रस्ताव पर फैसला होने तक सदन में ही डटे रहेंगे.
येदियुरप्पा ने कहा, 'हम विश्वास मत के प्रस्ताव पर फैसला होने तक रूके रहेंगे.’’

उन्होंने कहा कि विश्वास प्रस्ताव पर ठीक तरह से 15 मिनट भी चर्चा नहीं हुई है और सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्य अन्य मुद्दों को उठा रहे हैं ताकि विश्वास प्रस्ताव को टाला जा सके.

भाजपा सदस्यों के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल वजुभाई वाला से मुलाकात कर उनके अनुरोध किया कि वो विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार से कहें कि वह शक्तिपरीक्षण की प्रक्रिया दिन के खत्म होने से पहले पूरी करें.

इस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि वह विश्वास प्रस्ताव की मतदान की प्रक्रिया को दिन के अंत तक पूरी करें. राज्यपाल के संदेश पर सत्ताधारी पक्ष ने आपत्ति जताई.

बाद में राज्यपाल ने मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी को शुक्रवार दोपहर डेढ़ बजे से पहले विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिये कहा.

भाजपा नेताओं ने कहा कि गुरुवार को हुए घटनाक्रम के संबंध में वे सर्वोच्च न्यायालय जाने पर विचार कर रहे हैं.

कांग्रेस-जद(एस) के सत्ताधारी गठबंधन के 16 विधायकों द्वारा इस्तीफा देने और दो निर्दलीय विधायकों के गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली सरकार पर संकट के बाद मंडरा रहे हैं.

हालांकि इस बीच एक बागी कांग्रेसी विधायक रामलिंगा रेड्डी ने पलटते हुए कहा कि वह सरकार का समर्थन करेंगे.

सत्ताधारी गठबंधन की कुल क्षमता 117- कांग्रेस 78, जद(एस) 37, बसपा-1 और नामित-1- हैं. इसके अलावा अध्यक्ष हैं.

यह भी पढ़ें-कर्नाटक संकट: संविधान के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं- संविधान विशेषज्ञ

दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन के साथ विपक्षी भाजपा के पास 107 विधायक हैं. कर्नाटक विधानसभा में एक नामित सदस्य और विधानसभा अध्यक्ष समेत कुल 225 सदस्य हैं.

अगर 15 विधायकों (12 कांग्रेसी और तीन जद(एस) से) के इस्तीफे स्वीकार किये जाते हैं तो सत्ताधारी गठबंधन की संख्या घटकर 101 रह जाएगी और सरकार अल्पमत में आ जाएगी.

सत्तारूढ़ गठबंधन की मुश्किलें उस वक्त और बढ़ गईं जब कांग्रेस के एक अन्य विधायक श्रीमंत पाटिल सदन से गैर-हाजिर दिखे. उनके बारे में ऐसी खबरें आ रही हैं कि उन्हें मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

एक बार कांग्रेसी सदस्य सदन में पाटिल की तस्वीर लेकर अध्यक्ष के आसन के समक्ष आ गए और “भाजपा हाय-हाय' और “ऑपरेशन कमल हाय-हाय' के नारे लगाने लगे.
कांग्रेस-जद(एस) सरकार को समर्थन दे रहे बसपा विधायक महेश भी सदन में नहीं आए. उनके बारे में खबरें आ रही हैं कि वह सदन से गैर-हाजिर इसलिए हैं क्योंकि उन्हें विश्वास मत पर कोई रुख तय करने को लेकर पार्टी प्रमुख मायावती से कोई निर्देश नहीं मिला है.

कुमारस्वामी ने जोर दिया कि कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन के बारे में संशय पैदा किया गया है और इसे देश के सामने लाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, 'हमें सच बताना होगा.’’
उन्होंने कहा, “कर्नाटक में जो हो रहा है उसे पूरा देश देख रहा है.'

यह भी पढ़ें-कर्नाटक विधानसभा फ्लोर टेस्ट में नहीं होंगे 15 बागी विधायक शामिल

जैसे ही प्रस्ताव लाया गया विपक्षी भाजपा नेता बी एस येद्दियुरप्पा खड़े हो गए और उन्होंने कहा कि विश्वास मत की प्रक्रिया एक ही दिन में पूरी होनी चाहिए.
इस पर कुमारस्वामी ने येद्दियुरप्पा पर तंज कसते हुए कहा, 'विपक्ष के नेता काफी जल्दबाजी में दिख रहे हैं.’’

कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धरमैया ने मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी द्वारा लाए गए विश्वास प्रस्ताव को टालने की मांग करते हुए कहा कि प्रदेश के सियासी संकट को लेकर उच्चतम न्यायालय के फैसले को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष जब तक व्हिप के मुद्दे पर फैसला नहीं कर लेते तब तक के लिये इसे अमल में न लाया जाए.

कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धरमैया ने कहा कि मुंबई में ठहरे 15 बागी विधायक उच्चतम न्यायालय के आदेश से प्रभावित हैं कि वे विधानसभा की कार्यवाही से दूर रह सकते हैं और विधानसभाध्यक्ष के आर रमेश से कहा कि वे कांग्रेस विधायक दल के नेता के तौर पर जारी व्हिप के भविष्य को लेकर कोई फैसला दें.

सदन में विश्वास मत पर जैसे ही चर्चा शुरू हुई सिद्धरमैया ने अध्यक्ष के आर रमेश कुमार से कहा, “अगर यह प्रस्ताव लिया जाता है तो यह संवैधानिक नहीं होगा. यह संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करता है. मैं आपसे इसे टालने का अनुरोध करता हूं. मैं इस व्यवस्था के विषय पर आपका फैसला चाहता हूं.'

विधानसभा अध्यक्ष ने इस पर कहा कि वह इस पर महाधिवक्ता से परामर्श करेंगे.

सदन में इस बात को लेकर भी कांग्रेस सदस्यों ने आरोप लगाते हुए हंगामा किया कि विधायक श्रीमंत पाटिल उनके साथ एक रिसॉर्ट में रहने के बाद अचानक गायब हो गए और उसके बाद उनसे कोई संपर्क नहीं हो सका. कांग्रेसी सदस्यों का आरोप था कि गठबंधन सरकार को 'गिराने' के प्रयासों के तहत उनका “अपहरण' किया गया.

कांग्रेसी सदस्यों ने एक सुर में कहा कि विधायक डर में जी रहे हैं और पाटिल का अपहरण कर उन्हें एक कमरे में रखा गया और एक विशेष विमान से मुंबई ले जाकर उन्हें अस्पताल में भर्ती करा दिया गया.

इस बीच पाटिल का एक वीडियो संदेश सामने आया जिसमें उन्होंने कहा कि किसी ने उनका “अपहरण' नहीं किया है.

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