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कर्नाटक : इंफ्लुएंजा जैसे लक्षण वाले मरीज की मौत, 18 निजी अस्पतालों को नोटिस

कर्नाटक में इंफ्लुएंजा जैसी बीमारी के लक्षण दिखने वाले 52 वर्षीय मरीज की मौत के बाद 18 निजी अस्पतालों को सरकार ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है. अस्पतालों पर आरोप है कि उन्होंने बिस्तरों की अनुपलब्धता का हवाला देते हुए मरीज को भर्ती करने से कथित तौर पर इनकार कर दिया था.

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कर्नाटक सरकार
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Published : Jul 2, 2020, 7:07 AM IST

बेंगलुरु : कर्नाटक में इंफ्लुएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) के लक्षण दिखने वाले 52 वर्षीय मरीज की मौत के बाद 18 निजी अस्पतालों को सरकार ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है.

आपको बता दें कि 52 वर्षीय भावरलाल सुजानी नाम के मरीज की उस समय मौत हो गई थी, जब उसे निजी अस्पतालों द्वारा प्रवेश से वंचित कर दिया गया.

अस्पतालों पर आरोप है कि उन्होंने बिस्तरों की अनुपलब्धता का हवाला देते हुए मरीज को भर्ती करने से कथित तौर पर इनकार कर दिया था.

स्वास्थ्य मंत्री बी श्रीरामुलु ने भी कहा थी कि इलाज मुहैया कराने से इनकार करना न केवल अमानवीय है बल्कि गैरकानूनी भी है.

उन्होंने अपने ट्वीट में नोटिस की एक कॉपी भी टैग की है. उन्होंने एक ट्वीट में कहा, 'आपात स्थिति वाले मरीज को भर्ती से इनकार करने वाली मीडिया खबरों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए अस्पतालों को नोटिस भेजा गया है.

पढे़ं : पिता-पुत्र मौत मामला, एनएचआरसी ने तमिलनाडु के डीजीपी को भेजा नोटिस

आपात स्थिति में इलाज मुहैया कराने से इनकार करना न केवल अमानवीय है बल्कि गैरकानूनी भी है. एक खबर के अनुसार मरीज के बेटे और भतीजे बीते दिनों उन्हें 18 अस्पतालों में ले गए लेकिन बिस्तर नहीं होने और वेटिंलेटर की अनुपलब्धता का हवाला देते हुए मरीज को भर्ती करने से इनकार कर दिया गया.

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण आयुक्त ने अस्पतालों के अधिकारियों को कर्नाटक निजी चिकित्सा प्रतिष्ठान अधिनियम, 2007 के तहत यह कारण बताओ नोटिस जारी किया और 24 घंटे के भीतर जवाब मांगा है कि उन पर कार्रवाई क्यों नहीं की जाए. सरकार द्वारा बार-बार निजी अस्पतालों से कोविड-19 से पीड़ित या उसके लक्षण दिखने वाले मरीजों को भर्ती करने के निर्देश के बाद यह घटना हुई.

बेंगलुरु : कर्नाटक में इंफ्लुएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) के लक्षण दिखने वाले 52 वर्षीय मरीज की मौत के बाद 18 निजी अस्पतालों को सरकार ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है.

आपको बता दें कि 52 वर्षीय भावरलाल सुजानी नाम के मरीज की उस समय मौत हो गई थी, जब उसे निजी अस्पतालों द्वारा प्रवेश से वंचित कर दिया गया.

अस्पतालों पर आरोप है कि उन्होंने बिस्तरों की अनुपलब्धता का हवाला देते हुए मरीज को भर्ती करने से कथित तौर पर इनकार कर दिया था.

स्वास्थ्य मंत्री बी श्रीरामुलु ने भी कहा थी कि इलाज मुहैया कराने से इनकार करना न केवल अमानवीय है बल्कि गैरकानूनी भी है.

उन्होंने अपने ट्वीट में नोटिस की एक कॉपी भी टैग की है. उन्होंने एक ट्वीट में कहा, 'आपात स्थिति वाले मरीज को भर्ती से इनकार करने वाली मीडिया खबरों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए अस्पतालों को नोटिस भेजा गया है.

पढे़ं : पिता-पुत्र मौत मामला, एनएचआरसी ने तमिलनाडु के डीजीपी को भेजा नोटिस

आपात स्थिति में इलाज मुहैया कराने से इनकार करना न केवल अमानवीय है बल्कि गैरकानूनी भी है. एक खबर के अनुसार मरीज के बेटे और भतीजे बीते दिनों उन्हें 18 अस्पतालों में ले गए लेकिन बिस्तर नहीं होने और वेटिंलेटर की अनुपलब्धता का हवाला देते हुए मरीज को भर्ती करने से इनकार कर दिया गया.

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण आयुक्त ने अस्पतालों के अधिकारियों को कर्नाटक निजी चिकित्सा प्रतिष्ठान अधिनियम, 2007 के तहत यह कारण बताओ नोटिस जारी किया और 24 घंटे के भीतर जवाब मांगा है कि उन पर कार्रवाई क्यों नहीं की जाए. सरकार द्वारा बार-बार निजी अस्पतालों से कोविड-19 से पीड़ित या उसके लक्षण दिखने वाले मरीजों को भर्ती करने के निर्देश के बाद यह घटना हुई.

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