कोलकाता : जादवपुर यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (जुटा) ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से आग्रह किया है कि अंतिम सेमेस्टर की परीक्षा आयोजित करने के लिए संस्थान को आवश्यक स्वायत्तता दी जाए. जादवपुर यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन ने हाल ही में बनर्जी को लिखे पत्र में यह भी कहा कि 31 अक्टूबर की निर्धारित तिथि पर परिणाम घोषित करना संभव नहीं है क्योंकि यह दुर्गा पूजा उत्सव के ठीक बाद आती है.
जुटा के महासचिव पार्थ प्रतिम रॉय ने कहा कि मूल्यांकन की तारीखों और परिणामों की घोषणा के निर्णय लेने के लिए विश्वविद्यालय को स्वायत्तता दी जानी चाहिए.
उन्होंने कहा कि शिक्षक निकाय पूरी मूल्यांकन प्रक्रिया को जल्द पूरा करना चाहता है, लेकिन इसका फैसला विश्वविद्यालय को ही करना चाहिए. शिक्षकों के निकाय ने कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा 30 सितंबर तक अनिवार्य रूप से अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाएं आयोजित करने की सलाह छात्रों को तनाव में डाल रही है.
वहीं राज्य उच्च शिक्षा विभाग विश्वविद्यालयों को एक से 18 अक्टूबर के बीच अंतिम सेमेस्टर परीक्षाएं आयोजित करने और 31 अक्टूबर तक परिणाम घोषित करने के लिए कह रही है, जिससे छात्रों को और असुविधा हो रही है.
उन्होंने कहा कि 22 अक्टूबर से राज्य भर में दुर्गा पूजा मनाई जाएगी. जैसा कि उच्च शिक्षा विभाग की ओर से कहा जा रहा है कि अक्टूबर की शुरुआत में मूल्यांकन प्रक्रिया शुरू की जाए और 18 अक्टूबर तक पूरी कर ली जाए तो इससे बहुत सारे छात्र उच्च शिक्षण संस्थानों में दाखिला लेने से चूक जाएंगे.
जुटा ने मुख्यमंत्री को याद दिलाया कि जादवपुर यूनिवर्सिटी (जेयू) ने अप्रैल में जारी उच्च शिक्षा विभागों की सलाह के आधार पर मूल्यांकन के लिए एक प्रोटोकॉल तैयार किया था, जिसके तहत विश्वविद्यालयों को मूल्यांकन के लिए अपनी प्रक्रिया खुद तैयार करने की अनुमति दी थी.
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परंतु जब जेयू में अधिकांश आंकलन का कार्य पूरा हो चुका था तब शिक्षा विभाग ने 27 जून को एक नई एडवाइजरी जारी की जिसमें 80-20 सूत्र का प्रस्ताव दिया गया. इसके तहत 20 प्रतिशत अंक छात्रों को अंतिम परीक्षा में प्रदर्शन के आधार पर दिए जाएंगे और 80 प्रतिशत पिछले सेमेस्टर की परीक्षाओं में उसके परिणामों के आधार पर दिया जाएंगे.
परिणामस्वरूप जेयू को संपूर्ण मूल्यांकन प्रक्रिया को बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा. जुटा ने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग ने राज्य के विश्वविद्यालयों को अक्टूबर में परीक्षाएं आयोजित करने के लिए जो पिछली सलाह दी थी ऐसा लगता है कि यह जल्दबाजी में लिया गया निर्णय था.