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जस्टिस भानुमति ने चिन्मयानंद केस की सुनवाई से खुद को किया अलग

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Published : Mar 2, 2020, 11:56 AM IST

Updated : Mar 3, 2020, 3:29 AM IST

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस आर भानुमति ने चिन्मयानंद मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट में चिन्मयानंद को जमानत देने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई होगी. जानें विस्तार से...

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चिन्मयानंद (फाइल फोटो)

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस आर भानुमति ने चिन्मयानंद मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है. भारतीय जनता पार्टी के पूर्व नेता चिन्मयानंद पर बलात्कार का आरोप है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट चिन्मयानंद को जमानत देने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने वाला है.

बता दें कि उच्च न्यायालय ने तीन फरवरी को पूर्व केन्द्रीय मंत्री चिन्मयानंद को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था. चिन्मयानंद को उप्र के शाहजहांपुर में उनके ट्रस्ट के एक कालेज में कानून की पढ़ाई कर रही छात्रा द्वारा यौन शोषण के आरोप लगाए जाने पर गिरफ्तार किया गया था.

गौरतलब है कि चिन्मयानंद को पिछले वर्ष 20 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था. उसका न्यास शाहजहांपुर लॉ कॉलेज का संचालन करता है. उसी कॉलेज में पीड़िता पढ़ती थी. चिन्मयानंद ने कथित तौर पर उसका बलात्कार किया था.

लॉ की 23 वर्षीय छात्रा ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर डाली थी, उसके बाद पिछले वर्ष अगस्त में कुछ दिन तक उसका कोई पता नहीं लगा था जिसके बाद शीर्ष अदालत ने इस मामले में दखल दिया था.

इसे भी पढ़ें- शाहजहांपुर जेल से स्वामी चिन्मयानंद रिहा

शीर्ष अदालत के निर्देश पर गठित उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष जांच दल ने चिन्मयानंद को गिरफ्तार किया था. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तीन फरवरी को उसे जमानत दे दी थी.

पीड़ित छात्रा के खिलाफ भी शिकायत मिली थी कि उसने और उसके दोस्तों ने कथित तौर पर चिन्मयानंद से पांच करोड़ रुपये की उगाही करने की कोशिश की थी. उसने पूर्व मंत्री के मालिश करवाते वीडियो सार्वजनिक करने की भी कथित धमकी दी थी. इसके बाद एसआईटी ने छात्रा को भी गिरफ्तार कर लिया था.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस आर भानुमति ने चिन्मयानंद मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है. भारतीय जनता पार्टी के पूर्व नेता चिन्मयानंद पर बलात्कार का आरोप है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट चिन्मयानंद को जमानत देने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने वाला है.

बता दें कि उच्च न्यायालय ने तीन फरवरी को पूर्व केन्द्रीय मंत्री चिन्मयानंद को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था. चिन्मयानंद को उप्र के शाहजहांपुर में उनके ट्रस्ट के एक कालेज में कानून की पढ़ाई कर रही छात्रा द्वारा यौन शोषण के आरोप लगाए जाने पर गिरफ्तार किया गया था.

गौरतलब है कि चिन्मयानंद को पिछले वर्ष 20 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था. उसका न्यास शाहजहांपुर लॉ कॉलेज का संचालन करता है. उसी कॉलेज में पीड़िता पढ़ती थी. चिन्मयानंद ने कथित तौर पर उसका बलात्कार किया था.

लॉ की 23 वर्षीय छात्रा ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर डाली थी, उसके बाद पिछले वर्ष अगस्त में कुछ दिन तक उसका कोई पता नहीं लगा था जिसके बाद शीर्ष अदालत ने इस मामले में दखल दिया था.

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शीर्ष अदालत के निर्देश पर गठित उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष जांच दल ने चिन्मयानंद को गिरफ्तार किया था. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तीन फरवरी को उसे जमानत दे दी थी.

पीड़ित छात्रा के खिलाफ भी शिकायत मिली थी कि उसने और उसके दोस्तों ने कथित तौर पर चिन्मयानंद से पांच करोड़ रुपये की उगाही करने की कोशिश की थी. उसने पूर्व मंत्री के मालिश करवाते वीडियो सार्वजनिक करने की भी कथित धमकी दी थी. इसके बाद एसआईटी ने छात्रा को भी गिरफ्तार कर लिया था.

Last Updated : Mar 3, 2020, 3:29 AM IST
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