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जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों ने डोमिसाइल कानून में संशोधन को 'दिखावटी' बताया - जम्मू कश्मीर के राजनीतिक दल

केंद्र सरकार ने अपने दो दिन पुराने आदेश में बदलाव किया और जम्मू कश्मीर में सारी नौकरियों को केंद्र शासित क्षेत्र के मूल निवासियों के लिए आरक्षित कर दिया, जो राज्य में कम से कम 15 साल रहे हैं. इस पर जम्मू कश्मीर के विभिन्न राजनीतिक दलों ने तीखी प्रतिक्रिया जताई है. जानें विस्तार से...

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Published : Apr 4, 2020, 11:19 PM IST

श्रीनगर : जम्मू कश्मीर के विभिन्न राजनीतिक दलों ने केंद्र शासित प्रदेश के लिए डोमिसाइल (अधिवास) कानून में संशोधन पर तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि यह महज 'दिखावटी' हैं. साथ ही कहा कि यह अपेक्षा के अनुरूप नहीं है.

पीडीपी ने संशोधनों को मामूली बदलाव बताते हुए कहा कि केंद्र को जम्मू कश्मीर की जनसांख्यिकी पर 'प्रहार' के संबंध में आशंकाओं का समाधान करना चाहिए.

पीडीपी ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, 'हमारे युवाओं का भविष्य सुरक्षित करना महत्वपूर्ण है लेकिन भारत सरकार को जम्मू कश्मीर की जनसांख्यिकी पर हमला के संबंध में आशंकाओं का समाधान करना चाहिए. मामूली फेरबदल से एक दरवाजा खुला रख दिया गया है.'

पीडीपी के प्रवक्ता और पूर्व विधायक फिरदौस टाक ने कहा कि 1.2 करोड़ की आबादी वाले जम्मू कश्मीर के लिए जल्दबाजी में ऐसा कानून बनाया गया जिसे केंद्र सरकार को 72 घंटे में ही बदलना पड़ गया.

नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि इसका फैसला करने का अधिकार जम्मू कश्मीर के लोगों के पास होना चाहिए कि कौन सा कानून उन्हें चाहिए.

पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्विटर पर लिखा, 'जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए यह विचार करने का वक्त है कि कौन से कानून उनपर थोपे जा रहे हैं क्योंकि यह केंद्र की इच्छा से हो रहा है. सुबह आदेश जारी किया जाता है और शाम में उसमें बदलाव होता है. राज्य का दर्जा वापस करें और चुनाव करवाएं.'

उमर की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने एक बयान में कहा कि दिखावटी किस्म के बदलाव किए गए हैं और इसमें कोई संदेह नहीं है कि अधिवास कानून जम्मू कश्मीर की जनसांख्यिकी को बदल देगा और स्थानीय लोगों के नौकरी के अधिकार में सेंध लगेगी.

केंद्र सरकार ने अपने दो दिन पुराने आदेश में बदलाव किया और जम्मू कश्मीर में सारी नौकरियों को केंद्र शासित क्षेत्र के मूल निवासियों के लिए आरक्षित कर दिया जो राज्य में कम से कम 15 साल रहे हैं.

बुधवार को निवासियों के लिए नियम तय करते हुए सरकार ने केवल समूह चार तक के लिए नौकरियां आरक्षित की थी.

हालांकि, सियासी दलों की तीखी प्रतिक्रिया के बाद आदेश में बदलाव किया गया है.

इसे भी पढ़ें- भारत में कोरोना : 3000 से ज्यादा संक्रमित, 212 को मिली अस्पताल से छुट्टी

उन्होंने कहा कि डोमिसाइल कानून संशोधित रूप में भी खतरनाक है और यह सत्ता के गलियारे में बैठे लोगों के इरादों को जाहिर करता है.

हाल में गठित जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी (जेकेएपी) के अध्यक्ष सैयद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी ने केंद्र के कदम का स्वागत किया, लेकिन कहा कि जम्मू कश्मीर के लोगों की आकांक्षा के मुताबिक बाकी खामियां दूर किए जाने तक पार्टी लगातार प्रयास करती रहेगी.

जम्मू कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के मुख्य प्रवक्ता जुनैद अजीम मट्टू ने कहा कि संशोधन के बावजूद डोमिसाइल आदेश अभी भी आंकाक्षाओं के अनुरूप नहीं है.

माकपा के वरिष्ठ नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी ने कहा कि कानून को लेकर जम्मू कश्मीर में फैले आक्रोश ने केंद्र सरकार को इसमें बदलाव करने के लिए बाध्य कर दिया.

श्रीनगर : जम्मू कश्मीर के विभिन्न राजनीतिक दलों ने केंद्र शासित प्रदेश के लिए डोमिसाइल (अधिवास) कानून में संशोधन पर तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि यह महज 'दिखावटी' हैं. साथ ही कहा कि यह अपेक्षा के अनुरूप नहीं है.

पीडीपी ने संशोधनों को मामूली बदलाव बताते हुए कहा कि केंद्र को जम्मू कश्मीर की जनसांख्यिकी पर 'प्रहार' के संबंध में आशंकाओं का समाधान करना चाहिए.

पीडीपी ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, 'हमारे युवाओं का भविष्य सुरक्षित करना महत्वपूर्ण है लेकिन भारत सरकार को जम्मू कश्मीर की जनसांख्यिकी पर हमला के संबंध में आशंकाओं का समाधान करना चाहिए. मामूली फेरबदल से एक दरवाजा खुला रख दिया गया है.'

पीडीपी के प्रवक्ता और पूर्व विधायक फिरदौस टाक ने कहा कि 1.2 करोड़ की आबादी वाले जम्मू कश्मीर के लिए जल्दबाजी में ऐसा कानून बनाया गया जिसे केंद्र सरकार को 72 घंटे में ही बदलना पड़ गया.

नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि इसका फैसला करने का अधिकार जम्मू कश्मीर के लोगों के पास होना चाहिए कि कौन सा कानून उन्हें चाहिए.

पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्विटर पर लिखा, 'जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए यह विचार करने का वक्त है कि कौन से कानून उनपर थोपे जा रहे हैं क्योंकि यह केंद्र की इच्छा से हो रहा है. सुबह आदेश जारी किया जाता है और शाम में उसमें बदलाव होता है. राज्य का दर्जा वापस करें और चुनाव करवाएं.'

उमर की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने एक बयान में कहा कि दिखावटी किस्म के बदलाव किए गए हैं और इसमें कोई संदेह नहीं है कि अधिवास कानून जम्मू कश्मीर की जनसांख्यिकी को बदल देगा और स्थानीय लोगों के नौकरी के अधिकार में सेंध लगेगी.

केंद्र सरकार ने अपने दो दिन पुराने आदेश में बदलाव किया और जम्मू कश्मीर में सारी नौकरियों को केंद्र शासित क्षेत्र के मूल निवासियों के लिए आरक्षित कर दिया जो राज्य में कम से कम 15 साल रहे हैं.

बुधवार को निवासियों के लिए नियम तय करते हुए सरकार ने केवल समूह चार तक के लिए नौकरियां आरक्षित की थी.

हालांकि, सियासी दलों की तीखी प्रतिक्रिया के बाद आदेश में बदलाव किया गया है.

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उन्होंने कहा कि डोमिसाइल कानून संशोधित रूप में भी खतरनाक है और यह सत्ता के गलियारे में बैठे लोगों के इरादों को जाहिर करता है.

हाल में गठित जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी (जेकेएपी) के अध्यक्ष सैयद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी ने केंद्र के कदम का स्वागत किया, लेकिन कहा कि जम्मू कश्मीर के लोगों की आकांक्षा के मुताबिक बाकी खामियां दूर किए जाने तक पार्टी लगातार प्रयास करती रहेगी.

जम्मू कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के मुख्य प्रवक्ता जुनैद अजीम मट्टू ने कहा कि संशोधन के बावजूद डोमिसाइल आदेश अभी भी आंकाक्षाओं के अनुरूप नहीं है.

माकपा के वरिष्ठ नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी ने कहा कि कानून को लेकर जम्मू कश्मीर में फैले आक्रोश ने केंद्र सरकार को इसमें बदलाव करने के लिए बाध्य कर दिया.

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