रांची: 23 जून को विश्वभर में विश्व ओलंपिक दिवस मनाया जा रहा है. झारखंड के लिए ओलंपिक दिवस कई मायनों में खास है. क्योंकि ओलंपिक शब्द मस्तिष्क में आने मात्र से ही सबसे पहला नाम मारांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा का आता है. उसके बाद तो झारखंड ने कई ओलंपियन दिए. हॉकी में सबसे अधिक ओलंपियन झारखंड की धरती ने ही दिए हैं.
1948 से ओलंपिक डे पहली बार प्रचलन में आया था, लेकिन ओलंपिक गेम्स की शुरुआत इससे कई वर्ष पूर्व 23 जून 1894 को सोरबोन पेरिस में हो चुकी थी और 23 जून को 1948 से हर बार अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और हर वर्ग के लोगों की भागीदारीता को बढ़ावा देना. सबसे पहले अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के 9 देशों ने इस दिन को मनाया था, जिसमें ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, कनाडा, ग्रेट ब्रिटेन, ग्रीस, पुर्तगाल, स्वीटजरलैंड, उरुगुया और वेनेजुएला शामिल है. उसके बाद तो इस दिवस को पूरे विश्व भर में मनाया जाने लगा.
भारत ने 1928 में पहली बार लिया हिस्सा
ओलंपिक गेम्स में झारखंड के खिलाड़ियों का अब दबदबा धीरे-धीरे बढ़ने लगा है. हॉकी की बात करें तो अब तक झारखंड में कुल 6 हॉकी खिलाड़ियों ने ओलंपिक तक का सफर तय किया है, जिसमें जयपाल सिंह मुंडा, माइकल किंडो, मनोहर टोपनो , सिल्वानुस डुंगडुंग, अजीत लकड़ा और निक्की प्रधान का भी नाम शामिल हो चुका है. वहीं, तीरंदाजी में भी झारखंड के खिलाड़ियों का ओलंपिक गेम्स में दबदबा पिछले कुछ वर्षों से दिख रहा है. आर्चरी में रीना कुमारी, पूर्णिमा महतो और अब दीपिका कुमारी का नाम भी ओलंपियन में शामिल है. बास्केटबॉल में हरभजन सिंह ने ओलंपिक तक का सफर तय किया है. अब तक झारखंड के कुल ऐसे 10 खिलाड़ी हैं, जो ओलंपिक तक का सफर तय कर चुके हैं.
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'आने वाले समय में भी झारखंड का दबदबा'
ईटीवी भारत की टीम ने पूर्व ओलंपियन मनोहर टोपनो से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने जयपाल सिंह मुंडा को याद करते हुए अपने पुराने दिन को भी याद किया. वहीं, हॉकी झारखंड के अध्यक्ष भोला सिंह कहते हैं कि झारखंड में लगातार प्रतिभा सामने आ रहे हैं. आने वाले समय में ओलंपिक में झारखंड का दबदबा रहेगा और इसके लिए हॉकी झारखंड अपने हॉकी खिलाड़ियों को तैयार करने में जुटी है. वहीं, हॉकी के इंटरनेशनल खिलाड़ी शशि टोपनो ने भी महान हॉकी खिलाड़ी जयपाल सिंह मुंडा को याद करते हुए कहा कि किसी भी खिलाड़ी का सपना ओलंपिक होता है और ओलंपिक का सफर तय करने के लिए ही वह मेहनत करता है.