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जानें, द्वितीय विश्व युद्ध में क्या थी जापान की 'कामीकेज रणनीति'

जापान ने लेटे खाड़ी की लड़ाई के दौरान पहली बार अमेरिकी युद्धपोतों के खिलाफ आत्मघाती हमलावरों को तैनात किया था. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कई जापानी पायलट दुश्मन को धूल चटाने के लिए जानबूझकर आत्मघाती हमलों को अंजाम देते थे. इन्हीं पायलटों को कामीकेज (The Kamikaze) कहा जाता है. जापानी भाषा में कामीकेज शब्द का अर्थ 'दिव्य पवन' या 'पवित्र वायु' होता है. पढ़ें यह विशेष लेख...

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द्वितीय विश्व युद्ध में क्या थी जापान की 'कामीकेज रणनीति'
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Published : Sep 1, 2020, 3:44 PM IST

Updated : Sep 1, 2020, 4:12 PM IST

हैदराबाद : द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कई जापानी पायलट दुश्मन को धूल चटाने के लिए जानबूझकर आत्मघाती हमलों को अंजाम देते थे. इन्हीं पायलटों को कामीकेज (The Kamikaze) कहा जाता है. विशेष तौर पर यह जापानी स्पेशल अटैक यूनिट्स का हिस्सा थे, जो सामान्य हवाई हमलों की तुलना में अधिक प्रभावी ढंग से युद्धपोतों को नष्ट करने का कार्य किया करते थे.

जापानी भाषा में कामीकेज शब्द का अर्थ 'दिव्य पवन' या 'पवित्र वायु' होता है.

कामीकेज (The Kamikaze)
यह हमले अक्टूबर 1944 में ऐसे समय में शुरू हुए, जब युद्ध जापानियों के लिए भारी पड़ रहा था और वह कई महत्वपूर्ण लड़ाइयां हार चुके थे. यहां तक कि उनके कई बेहतरीन पायलट भी मारे जा चुके थे और उनके विमान पुराने हो गए थे.

इन्हीं कारकों की वजह से जापान ने कामीकेज रणनीति का उपयोग करने की योजना बनाई और अपनी सेना को दोबारा से मजबूत किया.

कामीकेज हमलों का मुख्य उद्देश्य
आत्मघाती हमलावरों को नियोजित करने का यह निर्णय फिलीपींस के एक द्वीप लेटे पर अमेरिकी बेड़े के खिलाफ लिया गया था. जापान ने अमेरिका से हारने के बाद यह फैसला लिया था.

इसे प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका को हराने के लिए टोक्यो के इंपीरियल जनरल हेडक्वार्टर द्वारा बनाई गई रणनीति माना जाता है, जिसे ऑपरेशन टेन-गो (Operation Ten-Go) भी कहा जाता है.

उस दौरान जापानी नौसैनिक कैप्टन मोटोहारा ओकामुरा (Motoharu Okamura) ने कहा था कि इस समय युद्ध को हमारे पक्ष में करने के लिए हमें क्रैश-डाइव हमलों का सहारा लेना होगा.

यह योजना उन सभी जहाजों को डुबोने के लिए बनाई गई थी, जिन्हें अमेरिका अपनी पांचवीं खेप में भेजने वाला था. जापान अपनी इस रणनीति से यह चाहता था कि अमेरिका ओकिनावा (Okinawa) से अपने जहाजों को वापस ले ले और पीछे हट जाए, जिससे जापान की जीत हो सके.

हालांकि, कई कामीकेज हमले विफल भी रहे. जैसे- विमान, मानवयुक्त रॉकेट और मानव टारपीडो.

कामीकेज विमान
ज्यादातर कामीकेज विमान साधारण लड़ाकू या हल्के बमवर्षक होते थे. आमतौर पर इनमें बम और अतिरिक्त गैसोलीन टैंक भरे जाते थे. इन्हें दुर्घटनाग्रस्त होने से पहले जानबूझकर अपने लक्ष्य तक ले जाकर उड़ा दिया जाता था.

कामीकेज हमलों के लिए जापानियों ने पारंपरिक और विशेष दोनों ही विमान डिजाइन किए थे. इन्हें जापानी ओहका (चेरी ब्लॉसम), जबकि अमेरिकी बाका (मूर्ख) कहते थे.

कामीकेज हमले करने के लिए एक पायलट मिसाइल को विकसित किया गया, जिसे 'बाका' नाम दिया गया था, जिसका जापानी भाषा में अर्थ 'मूर्ख' होता है.

एक बार मिसाइल को विमान में चढ़ाने के बाद पायलट के बाहर निकलने का कोई साधन नहीं होता था.

आमतौर पर इसे अपने लक्ष्य से 25 हजार फीट (7,500 मीटर) और 50 मील (80 किमी) से अधिक की ऊंचाई से गिरा दिया जाता था.

मिसाइल तीन रॉकेट इंजनों को चालू करने से पहले अपने लक्ष्य से लगभग तीन मील (5 किमी) की दूरी से धीरे-धीरे आगे बढ़ती और फिर आखिर में 600 मील प्रति घंटे (960 किमी प्रति घंटे) से भी अधिक की रफ्तार से अपने निशाने पर घात लगा देती थी.

जानकारी के लिए बता दें कि विमान की नोज में निर्मित विस्फोटक चार्ज का वजन एक टन से अधिक होता था.

जापानी सैनिक और आत्महत्या -
जापानी में आत्महत्या शब्द का वही अर्थ नहीं है, जो अंग्रेजी में होता है. जबकि जापानी में इसके दो अर्थ होते हैं.

1. जिकसेट्सु (आत्मनिर्णय)

2. जीसाई (आत्मनिर्धारण)

इन दोनों को ही जनहित में सम्मानजनक और प्रशंसनीय माना जाता है. जापान में शिंटोवाद के पारंपरिक धर्म में आत्महत्या के संबंध में कोई और नैतिक या धार्मिक वर्जना नहीं है.

इसके बजाय जापान का समुराई योद्धा कोड बुशिडो भी शिंटोवाद से बहुत अधिक प्रभावित था. वहीं बौद्ध धर्म और अन्य कन्फ्यूशीवाद भी देश और राजा के लिए आत्म-बलिदान के महत्व देता था. दूसरी ओर जापान में आत्मसमर्पण करने को बेईमानी माना जाता था.

जापानी सैनिकों का मानना​ था कि जब वह युद्ध के मैदान में मारे जाते हैं, तो वह एक कामी बन जाते हैं या फिर कोई देवता या फिर टोक्यो में यासुकुनी के शिंटो मंदिर की पवित्र आत्माओं में शामिल हो जाते हैं.

इसलिए विशेष हमले वाहिनी शिम्पो (दिव्य पवन) के सदस्य खास विदाई के दौरान यह कहते थे कि 'हम यासुकुनी तीर्थ में आपसे मिलेंगे.'

पहला कामीकेज हमला

  • 25 अक्टूबर, 1944

जापान ने लेटे खाड़ी की लड़ाई के दौरान पहली बार अमेरिकी युद्धपोतों के खिलाफ आत्मघाती हमलावरों (दिव्य पवन) को तैनात किया.

यह जापान के 201वें नौसेना वायु समूह के 24 स्वयंसेवक पायलटों से बना था. इसका लक्ष्य अमेरिकी एस्कॉर्ट वाहक थे. इसमें 100 अमेरिकियों को मौत के घाट उतारा गया था.

कामीकेज रणनीति की विफलता

  • युद्ध में 34 जहाजों को दुर्घटनाग्रस्त करने वाले पांच हजार से अधिक कामीकेज पायलट मारे गए.
  • युद्ध के दौरान 1,321 से अधिक जापानी विमानों को कामीकेज रणनीति के तहत तबाह किया गया.
  • ओकिनावा में जापानी सैनिकों को अमेरिकी नौसेना द्वारा अब तक का सबसे बड़ा नुकसान झेलना पड़ा, जहां पांच हजार जापानियों की मौत हो गई.
  • कामीकेज रणनीति ने युद्ध के दौरान 34 जहाजों को डुबो दिया और सैकड़ों विमानों को नष्ट कर दिया.
  • कामीकेज ने करीब 10 हजार लोगों को हताहत किया, जिसमें से आधे से ज्यादा मारे गए.
  • इन हमलों के कारण लगभग तीन हजार अमेरिकियों और ब्रिटेन के लोगों की मौत हो गई.

कामीकेज हमलों का मुकाबला करने के लिए मित्र राष्ट्रों द्वारा नियोजित सर्वश्रेष्ठ रणनीति -

आमतौर पर कामीकेज हमलों के खिलाफ सबसे सफल बचाव का तरीका यही है कि मुख्य जहाजों के आसपास पिकेट डिस्ट्रॉयर्स को तैनात किया जाए और डिस्ट्रॉयर्स की एंटी एयरक्राफ्ट बैटरी को निर्देशित कामीकेज के ही खिलाफ निर्देशित किया जाए.

हैदराबाद : द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कई जापानी पायलट दुश्मन को धूल चटाने के लिए जानबूझकर आत्मघाती हमलों को अंजाम देते थे. इन्हीं पायलटों को कामीकेज (The Kamikaze) कहा जाता है. विशेष तौर पर यह जापानी स्पेशल अटैक यूनिट्स का हिस्सा थे, जो सामान्य हवाई हमलों की तुलना में अधिक प्रभावी ढंग से युद्धपोतों को नष्ट करने का कार्य किया करते थे.

जापानी भाषा में कामीकेज शब्द का अर्थ 'दिव्य पवन' या 'पवित्र वायु' होता है.

कामीकेज (The Kamikaze)
यह हमले अक्टूबर 1944 में ऐसे समय में शुरू हुए, जब युद्ध जापानियों के लिए भारी पड़ रहा था और वह कई महत्वपूर्ण लड़ाइयां हार चुके थे. यहां तक कि उनके कई बेहतरीन पायलट भी मारे जा चुके थे और उनके विमान पुराने हो गए थे.

इन्हीं कारकों की वजह से जापान ने कामीकेज रणनीति का उपयोग करने की योजना बनाई और अपनी सेना को दोबारा से मजबूत किया.

कामीकेज हमलों का मुख्य उद्देश्य
आत्मघाती हमलावरों को नियोजित करने का यह निर्णय फिलीपींस के एक द्वीप लेटे पर अमेरिकी बेड़े के खिलाफ लिया गया था. जापान ने अमेरिका से हारने के बाद यह फैसला लिया था.

इसे प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका को हराने के लिए टोक्यो के इंपीरियल जनरल हेडक्वार्टर द्वारा बनाई गई रणनीति माना जाता है, जिसे ऑपरेशन टेन-गो (Operation Ten-Go) भी कहा जाता है.

उस दौरान जापानी नौसैनिक कैप्टन मोटोहारा ओकामुरा (Motoharu Okamura) ने कहा था कि इस समय युद्ध को हमारे पक्ष में करने के लिए हमें क्रैश-डाइव हमलों का सहारा लेना होगा.

यह योजना उन सभी जहाजों को डुबोने के लिए बनाई गई थी, जिन्हें अमेरिका अपनी पांचवीं खेप में भेजने वाला था. जापान अपनी इस रणनीति से यह चाहता था कि अमेरिका ओकिनावा (Okinawa) से अपने जहाजों को वापस ले ले और पीछे हट जाए, जिससे जापान की जीत हो सके.

हालांकि, कई कामीकेज हमले विफल भी रहे. जैसे- विमान, मानवयुक्त रॉकेट और मानव टारपीडो.

कामीकेज विमान
ज्यादातर कामीकेज विमान साधारण लड़ाकू या हल्के बमवर्षक होते थे. आमतौर पर इनमें बम और अतिरिक्त गैसोलीन टैंक भरे जाते थे. इन्हें दुर्घटनाग्रस्त होने से पहले जानबूझकर अपने लक्ष्य तक ले जाकर उड़ा दिया जाता था.

कामीकेज हमलों के लिए जापानियों ने पारंपरिक और विशेष दोनों ही विमान डिजाइन किए थे. इन्हें जापानी ओहका (चेरी ब्लॉसम), जबकि अमेरिकी बाका (मूर्ख) कहते थे.

कामीकेज हमले करने के लिए एक पायलट मिसाइल को विकसित किया गया, जिसे 'बाका' नाम दिया गया था, जिसका जापानी भाषा में अर्थ 'मूर्ख' होता है.

एक बार मिसाइल को विमान में चढ़ाने के बाद पायलट के बाहर निकलने का कोई साधन नहीं होता था.

आमतौर पर इसे अपने लक्ष्य से 25 हजार फीट (7,500 मीटर) और 50 मील (80 किमी) से अधिक की ऊंचाई से गिरा दिया जाता था.

मिसाइल तीन रॉकेट इंजनों को चालू करने से पहले अपने लक्ष्य से लगभग तीन मील (5 किमी) की दूरी से धीरे-धीरे आगे बढ़ती और फिर आखिर में 600 मील प्रति घंटे (960 किमी प्रति घंटे) से भी अधिक की रफ्तार से अपने निशाने पर घात लगा देती थी.

जानकारी के लिए बता दें कि विमान की नोज में निर्मित विस्फोटक चार्ज का वजन एक टन से अधिक होता था.

जापानी सैनिक और आत्महत्या -
जापानी में आत्महत्या शब्द का वही अर्थ नहीं है, जो अंग्रेजी में होता है. जबकि जापानी में इसके दो अर्थ होते हैं.

1. जिकसेट्सु (आत्मनिर्णय)

2. जीसाई (आत्मनिर्धारण)

इन दोनों को ही जनहित में सम्मानजनक और प्रशंसनीय माना जाता है. जापान में शिंटोवाद के पारंपरिक धर्म में आत्महत्या के संबंध में कोई और नैतिक या धार्मिक वर्जना नहीं है.

इसके बजाय जापान का समुराई योद्धा कोड बुशिडो भी शिंटोवाद से बहुत अधिक प्रभावित था. वहीं बौद्ध धर्म और अन्य कन्फ्यूशीवाद भी देश और राजा के लिए आत्म-बलिदान के महत्व देता था. दूसरी ओर जापान में आत्मसमर्पण करने को बेईमानी माना जाता था.

जापानी सैनिकों का मानना​ था कि जब वह युद्ध के मैदान में मारे जाते हैं, तो वह एक कामी बन जाते हैं या फिर कोई देवता या फिर टोक्यो में यासुकुनी के शिंटो मंदिर की पवित्र आत्माओं में शामिल हो जाते हैं.

इसलिए विशेष हमले वाहिनी शिम्पो (दिव्य पवन) के सदस्य खास विदाई के दौरान यह कहते थे कि 'हम यासुकुनी तीर्थ में आपसे मिलेंगे.'

पहला कामीकेज हमला

  • 25 अक्टूबर, 1944

जापान ने लेटे खाड़ी की लड़ाई के दौरान पहली बार अमेरिकी युद्धपोतों के खिलाफ आत्मघाती हमलावरों (दिव्य पवन) को तैनात किया.

यह जापान के 201वें नौसेना वायु समूह के 24 स्वयंसेवक पायलटों से बना था. इसका लक्ष्य अमेरिकी एस्कॉर्ट वाहक थे. इसमें 100 अमेरिकियों को मौत के घाट उतारा गया था.

कामीकेज रणनीति की विफलता

  • युद्ध में 34 जहाजों को दुर्घटनाग्रस्त करने वाले पांच हजार से अधिक कामीकेज पायलट मारे गए.
  • युद्ध के दौरान 1,321 से अधिक जापानी विमानों को कामीकेज रणनीति के तहत तबाह किया गया.
  • ओकिनावा में जापानी सैनिकों को अमेरिकी नौसेना द्वारा अब तक का सबसे बड़ा नुकसान झेलना पड़ा, जहां पांच हजार जापानियों की मौत हो गई.
  • कामीकेज रणनीति ने युद्ध के दौरान 34 जहाजों को डुबो दिया और सैकड़ों विमानों को नष्ट कर दिया.
  • कामीकेज ने करीब 10 हजार लोगों को हताहत किया, जिसमें से आधे से ज्यादा मारे गए.
  • इन हमलों के कारण लगभग तीन हजार अमेरिकियों और ब्रिटेन के लोगों की मौत हो गई.

कामीकेज हमलों का मुकाबला करने के लिए मित्र राष्ट्रों द्वारा नियोजित सर्वश्रेष्ठ रणनीति -

आमतौर पर कामीकेज हमलों के खिलाफ सबसे सफल बचाव का तरीका यही है कि मुख्य जहाजों के आसपास पिकेट डिस्ट्रॉयर्स को तैनात किया जाए और डिस्ट्रॉयर्स की एंटी एयरक्राफ्ट बैटरी को निर्देशित कामीकेज के ही खिलाफ निर्देशित किया जाए.

Last Updated : Sep 1, 2020, 4:12 PM IST
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