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जम्मू-कश्मीर : जानें नौकरी और जमीन के मुद्दे पर क्या सोचते हैं स्थानीय लोग

जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म होने के बाद जम्मू समेत समेत देश के भिन्न राज्य में ढोल नगाड़े बजाकर खुशी मनाई गई. हालांकि, स्थानीय लोगों समेत देश भर में कई लोग इस विषय पर आशंकाएं जाहिर कर रहे हैं. जानें क्या है लोगों की राय...

पैंथर्स पार्टी के सुप्रीमो भीम सिंह
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Published : Aug 11, 2019, 12:51 PM IST

Updated : Sep 26, 2019, 3:15 PM IST

श्रीनगर: केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर और लद्दाख को केन्द्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया है. जम्मू-कश्मीर विधानसभा के साथ, जबकि लद्दाख बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा. इस फैसले के बाद स्थानीय लोगों के मन में कई आशंकाएं हैं. सोमवार को बकरीद के त्योहार के मद्देनजर कश्मीर समेत अन्य इलाकों में पुख्ता सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं. जानें क्या है लोगों की राय

दरअसल, केंद्र सरकार ने विगत पांच अगस्त को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों में बदलाव की पहल की. पहले राज्यसभा और फिर लोकसभा में बिल पारित होने के बाद राष्ट्रपति ने 9 अगस्त को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल को मंजूरी दे दी.

केंद्र सरकार के फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर से जुड़े कई अहम बदलाव हुए. इसी के तहत अब देश के किसी भी राज्य का नागरिक वहां जमीन खरीदने का अधिकारी बन गया है. नौकरियों में आरक्षण को लेकर भी कई बदलाव किए गए हैं.

ईटीवी भारत ने इस फैसले के हितधारकों (stakeholders) से बातचीत की. हमने केंद्र सरकार के फैसले के 5 दिन के बाद जम्मू-कश्मीर के हालात से जानने का प्रयास किया. लोगों से बात कर वहां की जनता की राय जानने का प्रयास किया.

जम्मू विश्वविद्यालय के स्कॉलर एसएस भट्टी ने बताया कि 'जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद से जम्मू में बुद्विजीवी वर्ग हो या फिर युवा हर किसी को डर सता रहा है. उन्होंने कहा कि अब जम्मू-कश्मीर में बाहरी राज्यों से लोग जमीनें खरीदेंगे, साथ ही नौकरियां भी हासिल करेंगे.'

भट्टी ने बताया कि अन्य राज्यों से आने वाले लोगों की आशंका को देखते हुए जम्मू में अब एक तबका खड़ा हो रहा है. सरकार के इस फैसले पर नाराजगी जता रहा है.

जम्मू विश्वविद्यालय के एक अन्य छात्र रवि शर्मा का मानना है कि यहां का अधिवास (डोमिसाईल) स्थानीय लोग का ही रहना चाहिए. कोई बाहरी व्यक्ति जमीन नहीं खरीद सके. जबकि नौकरियों में 80 प्रतिशत स्थानीय लोगों का और अन्य के लिए 20 प्रतिशत आरक्षण लागू होना चाहिए.

जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त होने पर स्थानीय नेता और जनता की राय

अलग राज्य बनना चाहिए था
जम्मू-कश्मीर की पैंथर्स पार्टी के सुप्रीमो भीम सिंह ने भी सरकार के इस फैसले को जम्मू के लिए खतरा बताया है. वे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हैं. भीम सिंह ने कहा, 'जम्मू और कश्मीर दोनों को अलग स्टेट बनाना चाहिए था, लेकिन सरकार के इस फैसले ने एक बार फिर जम्मू के लोगों के साथ धोखा कर दिया.'

भारतीय जनता पार्टी के नेताओं इन सब आशंकाओं को सिरे से खारिज किया है. जम्मू कश्मीर के उपमुख्यमंत्री रहे डॉ. निर्मल सिंह ने कहा कि 'ऐसा नहीं है कि बाहरी राज्यों के लोग यहां पर जमीने खरीदेंगे या फिर नौकरियों में हिस्सेदारी होगी.'

बीजेपी-पीडीपी सरकार में अहम पद पर रहे डॉ निर्मल सिंह ने आश्वस्त किया कि सरकार इस पर प्रावधान लाएगी. उन्होंने कहा कि प्राईवेट सेक्टर को राज्य में मजबूती मिलेगी. उससे राज्य के युवाओं अधिक रोजगार मिलेगा.

पढ़ें-केंद्र सरकार ने श्रीनगर में बड़े विरोध प्रदर्शन की खबर को खारिज किया

गौरतलब है कि केंद्र सरकार के फैसले के बाद जम्मू समेत समेत देश के कई राज्यों में लोगों को ढोल नगाड़े बजाकर खुशी मनाते देखा गया. हालांकि, कश्मीर की संवेदनशीलता को देखते हुए वहां बड़ी संख्या में सुरक्षाबल तैनात किए गए हैं.

बीते पांच जुलाई से ही कई इलाकों में कर्फ्यू और धारा 144 जैसी पाबंदियां लगाई गई हैं. हालात के आकलन के बाद पाबंदियां आंशिक रुप से हटाई भी गई हैं. हालांकि, जम्मू-कश्मीर के कई जिलों में धारा 144 लागू कर भारी संख्या में सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है.

श्रीनगर: केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर और लद्दाख को केन्द्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया है. जम्मू-कश्मीर विधानसभा के साथ, जबकि लद्दाख बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा. इस फैसले के बाद स्थानीय लोगों के मन में कई आशंकाएं हैं. सोमवार को बकरीद के त्योहार के मद्देनजर कश्मीर समेत अन्य इलाकों में पुख्ता सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं. जानें क्या है लोगों की राय

दरअसल, केंद्र सरकार ने विगत पांच अगस्त को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों में बदलाव की पहल की. पहले राज्यसभा और फिर लोकसभा में बिल पारित होने के बाद राष्ट्रपति ने 9 अगस्त को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल को मंजूरी दे दी.

केंद्र सरकार के फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर से जुड़े कई अहम बदलाव हुए. इसी के तहत अब देश के किसी भी राज्य का नागरिक वहां जमीन खरीदने का अधिकारी बन गया है. नौकरियों में आरक्षण को लेकर भी कई बदलाव किए गए हैं.

ईटीवी भारत ने इस फैसले के हितधारकों (stakeholders) से बातचीत की. हमने केंद्र सरकार के फैसले के 5 दिन के बाद जम्मू-कश्मीर के हालात से जानने का प्रयास किया. लोगों से बात कर वहां की जनता की राय जानने का प्रयास किया.

जम्मू विश्वविद्यालय के स्कॉलर एसएस भट्टी ने बताया कि 'जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद से जम्मू में बुद्विजीवी वर्ग हो या फिर युवा हर किसी को डर सता रहा है. उन्होंने कहा कि अब जम्मू-कश्मीर में बाहरी राज्यों से लोग जमीनें खरीदेंगे, साथ ही नौकरियां भी हासिल करेंगे.'

भट्टी ने बताया कि अन्य राज्यों से आने वाले लोगों की आशंका को देखते हुए जम्मू में अब एक तबका खड़ा हो रहा है. सरकार के इस फैसले पर नाराजगी जता रहा है.

जम्मू विश्वविद्यालय के एक अन्य छात्र रवि शर्मा का मानना है कि यहां का अधिवास (डोमिसाईल) स्थानीय लोग का ही रहना चाहिए. कोई बाहरी व्यक्ति जमीन नहीं खरीद सके. जबकि नौकरियों में 80 प्रतिशत स्थानीय लोगों का और अन्य के लिए 20 प्रतिशत आरक्षण लागू होना चाहिए.

जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त होने पर स्थानीय नेता और जनता की राय

अलग राज्य बनना चाहिए था
जम्मू-कश्मीर की पैंथर्स पार्टी के सुप्रीमो भीम सिंह ने भी सरकार के इस फैसले को जम्मू के लिए खतरा बताया है. वे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हैं. भीम सिंह ने कहा, 'जम्मू और कश्मीर दोनों को अलग स्टेट बनाना चाहिए था, लेकिन सरकार के इस फैसले ने एक बार फिर जम्मू के लोगों के साथ धोखा कर दिया.'

भारतीय जनता पार्टी के नेताओं इन सब आशंकाओं को सिरे से खारिज किया है. जम्मू कश्मीर के उपमुख्यमंत्री रहे डॉ. निर्मल सिंह ने कहा कि 'ऐसा नहीं है कि बाहरी राज्यों के लोग यहां पर जमीने खरीदेंगे या फिर नौकरियों में हिस्सेदारी होगी.'

बीजेपी-पीडीपी सरकार में अहम पद पर रहे डॉ निर्मल सिंह ने आश्वस्त किया कि सरकार इस पर प्रावधान लाएगी. उन्होंने कहा कि प्राईवेट सेक्टर को राज्य में मजबूती मिलेगी. उससे राज्य के युवाओं अधिक रोजगार मिलेगा.

पढ़ें-केंद्र सरकार ने श्रीनगर में बड़े विरोध प्रदर्शन की खबर को खारिज किया

गौरतलब है कि केंद्र सरकार के फैसले के बाद जम्मू समेत समेत देश के कई राज्यों में लोगों को ढोल नगाड़े बजाकर खुशी मनाते देखा गया. हालांकि, कश्मीर की संवेदनशीलता को देखते हुए वहां बड़ी संख्या में सुरक्षाबल तैनात किए गए हैं.

बीते पांच जुलाई से ही कई इलाकों में कर्फ्यू और धारा 144 जैसी पाबंदियां लगाई गई हैं. हालात के आकलन के बाद पाबंदियां आंशिक रुप से हटाई भी गई हैं. हालांकि, जम्मू-कश्मीर के कई जिलों में धारा 144 लागू कर भारी संख्या में सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है.

Intro:वीओ1
370 को हटा दिया...और जम्मू कश्मीर को लेजिस्लेटिव यूटी बना दिया गया..जबकि लद्दाख को यूनियन टेरेटरी का दर्जा दिया गया...वहीं केंद्र सरकार के इस फैसले का पूरे देश ने समर्थन किया और जम्मू समेत देश के अलग अलग राज्यों में ढोल नगाड़े बजाकर इसकी खुशी मनाई गई...लेकिन इस बीच जम्मू में पढ़े लिखे युवा 4 दिन बीत जाने के बाद कहीं ना कहीं अब खुद को ठगा और असुरक्षित महसूस कर रहा है...
बाईट...रवि शर्मा, छात्र, जम्मू विश्वविद्दयालय



Body:वीओ2
दरअसल जम्मू कश्मीर को यूटी बनाने के बाद से जम्मू में बुद्विजीवी वर्ग हो या फिर युवा हर किसी को डर सता रहा है कि अब जम्मू में बाहरी राज्यों से लोग ज़मीने खरीदेंगे साथ ही जम्मू कश्मीर में नौकरियां भी हासिल करेंगे...गौरतलब है कि भविष्य में इस खतरे को देखते हुए जम्मू में अब एक तबका वो भी खड़ा हो रहा है जो सरकार के इस फैसले पर नाराजगी जता रहा है...
बाईट...एस एस भट्टी, स्कालर , जम्मू यूनिवर्सिटी
वीओ3
वहीं जम्मू कश्मीर को करीब से जानने वाले सुप्रिम कोर्ट के वरिष्छ वकील और जम्मू कश्मीर की रीजनल पार्टी के सुप्रिमो भीम सिंह ने भी सरकार के इस फैसले को जम्मू के लिए खतरा बताया है...भीम सिंह ने कहा जम्मू और कश्मीर दोनों को अलग स्टेट बनाना चाहिए था लेकिन सरकार के इस फैसले ने एक बार फिर जम्मू के लोगों के साथ धोखा कर दिया...
बाईट...प्रो.भीम सिंह, वरिष्ठ वकील सुप्रिम कोर्ट...
वीओ4
हालांकि 370 को खत्म कर इसे इतिहास पन्नों में लिखवाने वाली भारतीय जनता पार्टी के नेताओं इन सब आरोपों को महज अफवाह बताया है...जम्मू कश्मीर से पूर्व बीजेपी पीडीपी सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे डॉ.निर्मल सिंह ने कहा कि ऐसा नहीं है कि बाहरी राज्यों के लोग यहां पर जमीने खऱीदेंगे या फिर नौकरियों में हिस्सेदारी होगी...क्योंकि सरकार इस पर प्रावधान लाएगी और प्राईवेट सेक्टर को अगर रियासत में मजबूती मिलेगी तो उससे राज्य के युवाओं अधिक रोजगार मिलेगा...
बाईट...डॉ.निर्मल सिंह, वरीष्ठ नेता, बीजेपी...



Conclusion:वीओ 5
खैर अभी रियासत के कई जिलों में धारा 144 नाफिस की गई है और भारी सुरक्षाबलों की तैनाती भी की है तो इसमें यह देखना जरूरी है कि जब घाटी समेत अन्य संवेदनशील इलाकों से धारा 144 और सुरक्षाबलों को हटाया जाएगा तो जनता का सरकार के प्रति क्या रुख होगा...
Last Updated : Sep 26, 2019, 3:15 PM IST
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