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जमीयत उलमा-ए-हिंद ने दायर की धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत गिरफ्तारियों के खिलाफ याचिका

जमीयत-उलमा-ए-महाराष्ट्र के महासचिव ने बयान जारी कर कहा कि गिरफ्तार किए गए लोगों के परिजनों ने हमसे कानूनी मदद मांगी है. इसको लेकर एक याचिका दायर की गई है.

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Published : Jan 17, 2021, 8:50 PM IST

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धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत गिरफ्तारियों के खिलाफ दायर की याचिका

नई दिल्ली : जमीयत-उलमा-ए-हिंद ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में धर्मांतरण विरोधी कानून के खिलाफ की गई गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका दायर की है. याचिका में आरोप लगाया गया कि सरकार धर्मांतरण विरोधी कानून के नाम पर मुस्लिम पुरुषों का उत्पीड़न कर रही है जो किसी व्यक्ति के मूल अधिकारों का हनन है.

सूत्रों के मुताबिक हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच मंगलवार या बुधवार को इस केस को ले सकती है. इस मामले पर जमीयत-उलमा-ए-महाराष्ट्र के महासचिव गुलजार आजमी ने एक बयान में कहा कि गिरफ्तार किए गए लोगों के उग्र परिजनों ने जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी से बात की और उनसे कानूनी मदद मांगी है. उन्होंने कहा कि हमने अदालत में याचिका दायर की है और हमें उम्मीद है कि पुरुषों को जल्द ही मुक्त कर दिया जाएगा.

याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि यूपी सरकार 'लव जिहाद' के नाम पर मामला दर्ज करके मुस्लिम पुरुषों का उत्पीड़न कर रही है. यूपी सरकार इन लोगों को संविधान में निहित उनके अधिकारों से वंचित कर रही है. याचिका में कहा गया है कि मुस्लिम युवाओं को अंतर-विवाह विवाहों और धार्मिक रूपांतरण पर उत्तर प्रदेश अध्यादेश का उपयोग करके बदनाम किया जा रहा है.

पढ़ें: मेट्रीमोनियल साइट के जरिए बढ़ी करीबी, ठग लिए 10 लाख

जमीयत ने आगे कहा कि उन महिलाओं को भी कानून के तहत दर्ज किया गया है जिनका पंजीकृत मामले से कोई लेना-देना नहीं है.

नई दिल्ली : जमीयत-उलमा-ए-हिंद ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में धर्मांतरण विरोधी कानून के खिलाफ की गई गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका दायर की है. याचिका में आरोप लगाया गया कि सरकार धर्मांतरण विरोधी कानून के नाम पर मुस्लिम पुरुषों का उत्पीड़न कर रही है जो किसी व्यक्ति के मूल अधिकारों का हनन है.

सूत्रों के मुताबिक हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच मंगलवार या बुधवार को इस केस को ले सकती है. इस मामले पर जमीयत-उलमा-ए-महाराष्ट्र के महासचिव गुलजार आजमी ने एक बयान में कहा कि गिरफ्तार किए गए लोगों के उग्र परिजनों ने जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी से बात की और उनसे कानूनी मदद मांगी है. उन्होंने कहा कि हमने अदालत में याचिका दायर की है और हमें उम्मीद है कि पुरुषों को जल्द ही मुक्त कर दिया जाएगा.

याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि यूपी सरकार 'लव जिहाद' के नाम पर मामला दर्ज करके मुस्लिम पुरुषों का उत्पीड़न कर रही है. यूपी सरकार इन लोगों को संविधान में निहित उनके अधिकारों से वंचित कर रही है. याचिका में कहा गया है कि मुस्लिम युवाओं को अंतर-विवाह विवाहों और धार्मिक रूपांतरण पर उत्तर प्रदेश अध्यादेश का उपयोग करके बदनाम किया जा रहा है.

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जमीयत ने आगे कहा कि उन महिलाओं को भी कानून के तहत दर्ज किया गया है जिनका पंजीकृत मामले से कोई लेना-देना नहीं है.

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