नई दिल्ली : जामिया मिल्लिया इस्लामिया के बाहर नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोधी प्रदर्शन के दौरान गोलीबारी में विश्वविद्यालय का छात्र घायल हो गया था. घायल छात्र शादाब फारूक ने इस घटना को अतिराष्ट्रवाद का परिणाम करार दिया है.
शादाब फारूक ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि बृहस्पतिवार को जो कुछ हुआ उसे 'अतिराष्ट्रवाद का नतीजा' कहा जा सकता है.
उसने लिखा, 'यदि आप इसे एक प्रदर्शन बनाना चाहते हैं तो आप बनाइए. काला झंडा उठाइए, लाल झंडा उठाइए.' उसने कहा कि इस घटना के लिए अकेले दिल्ली पुलिस को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.
उसने कहा कि जामिया प्रशासन और कुलपति को भी जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.
जनसंचार पाठ्यक्रम के छात्र ने इस घटना का ब्योरा दिया और कहा कि जामिया समन्वय समिति ने 30 जनवरी को विश्वविद्यालय से राजघाट तक गांधी मार्च का आह्वान किया था.
उसने लिखा, ' मैं उसमें शामिल होने वाला था और मार्च के आगे बढ़ने के लिए भीड़ का इंतजार कर रहा था, तभी मैंने देखा कि अचानक एक व्यक्ति हाथ में पिस्तौल लिये होली फैमिली (अस्पताल) की ओर बढ़ रहा है. मैंने देखा वहां मेरे कुछ दोस्त खड़े थे. मैं उसे शांत करने के लिए तत्काल उसकी ओर दौड़ा.'
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उसने लिखा, 'लोग पुलिस से उसे रोकने के लिए कह रहे थे. वे लगातार चिल्ला रहे थे कि उसके पास पिस्तौल है लेकिन पुलिस ने नहीं सुनी. बजाय वह वीडियो बनाती रही. मैं कहता रहा कि बंदूक रख दो. मैंने दो बार कहा. जब मैंने तीसरी बार ऐसा कहा तो उसने मेरे बाये बांह पर गोली चला दी.'
फारूक ने कहा कि उसने जो कुछ किया, वह कोई नायक का काम नहीं था बल्कि उसे जो सही लगा, उसने किया.