ETV Bharat / bharat

प्रदर्शन के दौरान चली गोलियां अति राष्ट्रवाद का नतीजा : जामिया छात्र शादाब फारुक - सीएए प्रदर्शन

जामिया मिल्लिया इस्लामिया के बाहर सीएए प्रदर्शन के दौरान चलाई गई गोलियाों को छात्र शादाब ने अतिराष्ट्रवाद का परिणाम बताया है. पढ़ें पूरी खबर.

etv bharat
छात्र शदाब फारूक
author img

By

Published : Feb 3, 2020, 8:04 AM IST

Updated : Feb 28, 2020, 11:25 PM IST

नई दिल्ली : जामिया मिल्लिया इस्लामिया के बाहर नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोधी प्रदर्शन के दौरान गोलीबारी में विश्वविद्यालय का छात्र घायल हो गया था. घायल छात्र शादाब फारूक ने इस घटना को अतिराष्ट्रवाद का परिणाम करार दिया है.

शादाब फारूक ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि बृहस्पतिवार को जो कुछ हुआ उसे 'अतिराष्ट्रवाद का नतीजा' कहा जा सकता है.

उसने लिखा, 'यदि आप इसे एक प्रदर्शन बनाना चाहते हैं तो आप बनाइए. काला झंडा उठाइए, लाल झंडा उठाइए.' उसने कहा कि इस घटना के लिए अकेले दिल्ली पुलिस को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.

उसने कहा कि जामिया प्रशासन और कुलपति को भी जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.

जनसंचार पाठ्यक्रम के छात्र ने इस घटना का ब्योरा दिया और कहा कि जामिया समन्वय समिति ने 30 जनवरी को विश्वविद्यालय से राजघाट तक गांधी मार्च का आह्वान किया था.

उसने लिखा, ' मैं उसमें शामिल होने वाला था और मार्च के आगे बढ़ने के लिए भीड़ का इंतजार कर रहा था, तभी मैंने देखा कि अचानक एक व्यक्ति हाथ में पिस्तौल लिये होली फैमिली (अस्पताल) की ओर बढ़ रहा है. मैंने देखा वहां मेरे कुछ दोस्त खड़े थे. मैं उसे शांत करने के लिए तत्काल उसकी ओर दौड़ा.'

पढ़ें : जामिया के गेट नंबर पांच के पास फायरिंग, अफरा-तफरी का माहौल

उसने लिखा, 'लोग पुलिस से उसे रोकने के लिए कह रहे थे. वे लगातार चिल्ला रहे थे कि उसके पास पिस्तौल है लेकिन पुलिस ने नहीं सुनी. बजाय वह वीडियो बनाती रही. मैं कहता रहा कि बंदूक रख दो. मैंने दो बार कहा. जब मैंने तीसरी बार ऐसा कहा तो उसने मेरे बाये बांह पर गोली चला दी.'

फारूक ने कहा कि उसने जो कुछ किया, वह कोई नायक का काम नहीं था बल्कि उसे जो सही लगा, उसने किया.

नई दिल्ली : जामिया मिल्लिया इस्लामिया के बाहर नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोधी प्रदर्शन के दौरान गोलीबारी में विश्वविद्यालय का छात्र घायल हो गया था. घायल छात्र शादाब फारूक ने इस घटना को अतिराष्ट्रवाद का परिणाम करार दिया है.

शादाब फारूक ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि बृहस्पतिवार को जो कुछ हुआ उसे 'अतिराष्ट्रवाद का नतीजा' कहा जा सकता है.

उसने लिखा, 'यदि आप इसे एक प्रदर्शन बनाना चाहते हैं तो आप बनाइए. काला झंडा उठाइए, लाल झंडा उठाइए.' उसने कहा कि इस घटना के लिए अकेले दिल्ली पुलिस को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.

उसने कहा कि जामिया प्रशासन और कुलपति को भी जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.

जनसंचार पाठ्यक्रम के छात्र ने इस घटना का ब्योरा दिया और कहा कि जामिया समन्वय समिति ने 30 जनवरी को विश्वविद्यालय से राजघाट तक गांधी मार्च का आह्वान किया था.

उसने लिखा, ' मैं उसमें शामिल होने वाला था और मार्च के आगे बढ़ने के लिए भीड़ का इंतजार कर रहा था, तभी मैंने देखा कि अचानक एक व्यक्ति हाथ में पिस्तौल लिये होली फैमिली (अस्पताल) की ओर बढ़ रहा है. मैंने देखा वहां मेरे कुछ दोस्त खड़े थे. मैं उसे शांत करने के लिए तत्काल उसकी ओर दौड़ा.'

पढ़ें : जामिया के गेट नंबर पांच के पास फायरिंग, अफरा-तफरी का माहौल

उसने लिखा, 'लोग पुलिस से उसे रोकने के लिए कह रहे थे. वे लगातार चिल्ला रहे थे कि उसके पास पिस्तौल है लेकिन पुलिस ने नहीं सुनी. बजाय वह वीडियो बनाती रही. मैं कहता रहा कि बंदूक रख दो. मैंने दो बार कहा. जब मैंने तीसरी बार ऐसा कहा तो उसने मेरे बाये बांह पर गोली चला दी.'

फारूक ने कहा कि उसने जो कुछ किया, वह कोई नायक का काम नहीं था बल्कि उसे जो सही लगा, उसने किया.

Intro:Body:

मुझपर गोलियां चलाना अति राष्ट्रवाद का नतीजा: जामिया छात्र



नयी दिल्ली, (भाषा) जामिया मिल्लिया इस्लामिया के बाहर सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान गोलीबारी में घायल हुए विश्वविद्यालय के छात्र ने इस घटना को 'अतिराष्ट्रवाद का परिणाम' करार दिया है.



शदाब फारूक ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि बृहस्पतिवार को जो कुछ हुआ उसे 'अतिराष्ट्रवाद का नतीजा' कहा जा सकता है.



उसने लिखा, ' यदि आप इसे एक प्रदर्शन बनाना चाहते हैं तो आप बनाइए. काला झंडा उठाइए, लाल झंडा उठाइए.'



उसने कहा कि इस घटना के लिए अकेले दिल्ली पुलिस को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.



उसने कहा कि जामिया प्रशासन और कुलपति को भी जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.



जनसंचार पाठ्यक्रम के छात्र ने इस घटना का ब्योरा दिया और कहा कि जामिया समन्वय समिति ने 30 जनवरी को विश्वविद्यालय से राजघाट तक गांधी मार्च का आह्वान किया था.



उसने लिखा, ' मैं उसमें शामिल होने वाला था और मार्च के आगे बढ़ने के लिए भीड़ का इंतजार कर रहा था, तभी मैंने देखा कि अचानक एक व्यक्ति हाथ में पिस्तौल लिये होली फैमिली (अस्पताल) की ओर बढ़ रहा है. मैंने देखा वहां मेरे कुछ दोस्त खड़े थे. मैं उसे शांत करने के लिए तत्काल उसकी ओर दौड़ा.'



उसने लिखा, 'लोग पुलिस से उसे रोकने के लिए कह रहे थे. वे लगातार चिल्ला रहे थे कि उसके पास पिस्तौल है लेकिन पुलिस ने नहीं सुनी. बजाय वह वीडियो बनाती रही. मैं कहता रहा कि बंदूक रख दो. मैंने दो बार कहा. जब मैंने तीसरी बार ऐसा कहा तो उसने मेरे बाये बांह पर गोली चला दी.'



फारूक ने कहा कि उसने जो कुछ किया, वह कोई नायक का काम नहीं था बल्कि उसे जो सही लगा, उसने किया.

 


Conclusion:
Last Updated : Feb 28, 2020, 11:25 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.