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कश्मीर पांच अगस्त से पहले बदहाल स्थिति में था: जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जम्मुू कश्मीर मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है. दरसल, उन्होंने कहा कि पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लिए जाने से पहले कश्मीर 'बदहाल' स्थिति में था. जानें क्या कुछ कहा जयशंकर ने...

विदेश मंत्री एस जयशंकर
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Published : Sep 26, 2019, 6:05 PM IST

Updated : Oct 2, 2019, 3:01 AM IST

न्यूयॉर्कः विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत द्वारा पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लिए जाने से पहले कश्मीर 'बदहाल' स्थिति में था.

कश्मीर पर जयशंकर का बयान

जयशंकर ने कहा कि क्षेत्र में आर्थिक एवं सामाजिक परिदृश्य में बदलाव लाने के लिये कुछ बहुत अलग करने की कोशिश के तहत यह फैसला लिया गया.

'थिंक टैंक' काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस के एक परिचर्चा सत्र के दौरान मंत्री ने यहां कहा कि जब जनादेश मिलने के बाद मई में मोदी सरकार सत्ता में फिर से आई, तब उसने कश्मीर मुद्दे की समीक्षा की और यह महसूस किया कि उसके समक्ष दो विकल्प हैं.

जयशंकर ने कहा, 'एक विकल्प यह था कि आपके पास नीतियों का एक ऐसा सेट था, जो पिछले 70 साल से था. लेकिन पिछले 40 साल से यह प्रदर्शित हो रहा था कि ये काम नहीं कर रहे हैं'.

उन्होंने कहा कि दूसरा विकल्प जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करना था.

विदेश मंत्री ने कहा, 'जरा याद कीजिए, पांच अगस्त से पहले कश्मीर बदहाल स्थिति में था. मेरा मतलब है कि कश्मीर में समस्याएं पांच अगस्त को शुरू नहीं हुई. पांच अगस्त को तो उन समस्याओं से निपटने का तरीका माना जाना चाहिए.

ये भी पढ़ेंः अनुच्छेद 370 ने आतंकवाद को बढ़ावा दिया: जयशंकर

इसलिए, यही विकल्प थे कि या तो आप उस चीज को जारी रखें जो स्पष्ट तौर पर काम नहीं कर रहा था. या फिर, कुछ बहुत अलग करें और कुछ बहुत अलग करने की कोशिश करने का फैसला लिया गया.’

उन्होंने कहा, 'अब हमें महसूस हो रहा है कि यह कोई आसान काम नहीं है क्योंकि इसमें कुछ निहित स्वार्थी तत्व हैं जो प्रतिरोध करेंगे. इसलिए जब हमने यह बदलाव किया, तब हमारी पहली चिंता यही थी कि वहां हिंसा होगी, प्रदर्शन होंगे और आतंकवादी इन प्रदर्शनों का (अपने मंसूबों के लिये) इस्तेमाल करेंगे.

अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाये जाने के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है. भारत सरकार के इस फैसले पर पाकिस्तान ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और इस्लामाबाद ने नई दिल्ली के साथ (राजनयिक) संबंधों को कमतर करते हुए भारतीय राजदूत को निष्कासित कर दिया. इसके अलावा, पाकिस्तान ने इस मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की भी कोशिश की, लेकिन भारत ने कहा कि यह (कश्मीर मुद्दा) उसका (भारत का) 'आंतरिक मामला' है.

जयशंकर ने कहा कि सरकार को यह उम्मीद है कि (संविधान के) एक अस्थायी प्रावधान को हटाने के बाद कश्मीर में निवेश और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा, जिससे क्षेत्र के आर्थिक एवं सामाजिक परिदृश्य में बदलाव लाने में मदद मिलेगी.

उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाये जाने के बाद जम्मू कश्मीर में संचार सुविधाओं पर रोक सहित अन्य पाबंदियां लगाये जाने का उद्देश्य जनहानि रोकना तथा हालात को स्थिर बनाना था. इनमें से ज्यादातर पाबंदियां हटा ली गयी हैं.

ये भी पढ़ें ः POK जल्द होगा भारत का हिस्सा : एस जयशंकर

विदेश मंत्री ने कहा कि लैंडलाइन सेवा पहले ही बहाल कर दी गई है, मोबाइल टावरों को भी शुरू कर दिया है, स्कूल खुल गये हैं और आर्थिक गतिविधियां रफ्तार पकड़ रही हैं.

वर्ष 2016 में आतंकवादी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद घाटी में हुई हिंसा का जिक्र करते हुए हुए जयशंकर ने कहा, 'हमारी (पाबंदियां लगाने की) मंशा बदलाव की इस स्थिति में जनहानि रोकने की है.

गौरतलब है कि वानी के मारे जाने के बाद घाटी में हिंसा की घटनाएं तेजी से बढ़ी थी.

न्यूयॉर्कः विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत द्वारा पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लिए जाने से पहले कश्मीर 'बदहाल' स्थिति में था.

कश्मीर पर जयशंकर का बयान

जयशंकर ने कहा कि क्षेत्र में आर्थिक एवं सामाजिक परिदृश्य में बदलाव लाने के लिये कुछ बहुत अलग करने की कोशिश के तहत यह फैसला लिया गया.

'थिंक टैंक' काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस के एक परिचर्चा सत्र के दौरान मंत्री ने यहां कहा कि जब जनादेश मिलने के बाद मई में मोदी सरकार सत्ता में फिर से आई, तब उसने कश्मीर मुद्दे की समीक्षा की और यह महसूस किया कि उसके समक्ष दो विकल्प हैं.

जयशंकर ने कहा, 'एक विकल्प यह था कि आपके पास नीतियों का एक ऐसा सेट था, जो पिछले 70 साल से था. लेकिन पिछले 40 साल से यह प्रदर्शित हो रहा था कि ये काम नहीं कर रहे हैं'.

उन्होंने कहा कि दूसरा विकल्प जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करना था.

विदेश मंत्री ने कहा, 'जरा याद कीजिए, पांच अगस्त से पहले कश्मीर बदहाल स्थिति में था. मेरा मतलब है कि कश्मीर में समस्याएं पांच अगस्त को शुरू नहीं हुई. पांच अगस्त को तो उन समस्याओं से निपटने का तरीका माना जाना चाहिए.

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इसलिए, यही विकल्प थे कि या तो आप उस चीज को जारी रखें जो स्पष्ट तौर पर काम नहीं कर रहा था. या फिर, कुछ बहुत अलग करें और कुछ बहुत अलग करने की कोशिश करने का फैसला लिया गया.’

उन्होंने कहा, 'अब हमें महसूस हो रहा है कि यह कोई आसान काम नहीं है क्योंकि इसमें कुछ निहित स्वार्थी तत्व हैं जो प्रतिरोध करेंगे. इसलिए जब हमने यह बदलाव किया, तब हमारी पहली चिंता यही थी कि वहां हिंसा होगी, प्रदर्शन होंगे और आतंकवादी इन प्रदर्शनों का (अपने मंसूबों के लिये) इस्तेमाल करेंगे.

अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाये जाने के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है. भारत सरकार के इस फैसले पर पाकिस्तान ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और इस्लामाबाद ने नई दिल्ली के साथ (राजनयिक) संबंधों को कमतर करते हुए भारतीय राजदूत को निष्कासित कर दिया. इसके अलावा, पाकिस्तान ने इस मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की भी कोशिश की, लेकिन भारत ने कहा कि यह (कश्मीर मुद्दा) उसका (भारत का) 'आंतरिक मामला' है.

जयशंकर ने कहा कि सरकार को यह उम्मीद है कि (संविधान के) एक अस्थायी प्रावधान को हटाने के बाद कश्मीर में निवेश और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा, जिससे क्षेत्र के आर्थिक एवं सामाजिक परिदृश्य में बदलाव लाने में मदद मिलेगी.

उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाये जाने के बाद जम्मू कश्मीर में संचार सुविधाओं पर रोक सहित अन्य पाबंदियां लगाये जाने का उद्देश्य जनहानि रोकना तथा हालात को स्थिर बनाना था. इनमें से ज्यादातर पाबंदियां हटा ली गयी हैं.

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विदेश मंत्री ने कहा कि लैंडलाइन सेवा पहले ही बहाल कर दी गई है, मोबाइल टावरों को भी शुरू कर दिया है, स्कूल खुल गये हैं और आर्थिक गतिविधियां रफ्तार पकड़ रही हैं.

वर्ष 2016 में आतंकवादी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद घाटी में हुई हिंसा का जिक्र करते हुए हुए जयशंकर ने कहा, 'हमारी (पाबंदियां लगाने की) मंशा बदलाव की इस स्थिति में जनहानि रोकने की है.

गौरतलब है कि वानी के मारे जाने के बाद घाटी में हिंसा की घटनाएं तेजी से बढ़ी थी.

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Kashmir was in 'mess' before Aug 5: Jaishankar
By Yoshita Singh
         New York, Sep 26 (PTI) Kashmir was in a "mess" before August 5, the day when India revoked Jammu and Kashmir's special status, External Affairs Minister S Jaishankar said, asserting that the decision was taken to "try something very different" to change the economic and social landscape in the region.
         During an interactive session at think-tank Council on Foreign Relations here on Wednesday, the minister said when the Modi government was voted back to power in May, it did a Kashmir review and realised that there were two choices before it.
         "One was you had a set of policies, which were on the books for 70 years, but for the last 40 years they were visibly not working," he said, adding that the other was to abrogate Article 370, which gave special status to Jammu and Kashmir.
          "Please remember that pre-August 5, Kashmir was in a mess. I mean, the difficulties in Kashmir have not started on August 5. August 5 is supposed to be a way of dealing with those difficulties. So the choices were either you continue what was clearly not working, or you tried something very different. And the decision was to try something very different," he said.
         "Now we realise (that) it's not an easy exercise, because there are deep vested interests which will resist. And so when we did this transition, our first concern was that there would be violence, that there would be demonstrations and terrorists would use those demonstrations," he said.
         Tensions between India and Pakistan spiked after New Delhi abrogated Article 370. The action evoked strong reactions from Islamabad, which downgraded ties and expelled the Indian ambassador. Pakistan has been trying to internationalise the Kashmir issue, but India has asserted that it was the country's "internal matter".
         Jaishankar said the government's expectation is that by doing away with what was a temporary condition, "what was meant as a bridge but became a barrier", it will be able to push investments, economic activities into Kashmir that will help to change the economic and social landscape in the region.
         The minister said the restrictions, including snapping of communication modes, put in place in Jammu and Kashmir after the abrogation of Article 370 were intended to prevent loss of life and as the situation stabilises, "a lot of those restrictions would be rolled back".
         Already landlines are reconnected, mobile towers have started to be switched on, schools are open and economic activity has picked up, he said.
         Referring to the killing of Burhan Wani, "a self-advertised terrorist cult figure" in 2016 that had led to spike in violence in the Valley, Jaishankar said, "The intention (of putting restrictions) was to manage this transition situation without loss of life."
         After the Hizbul Mujahideen terrorist was neutralised in 2016 by the security forces, unrest followed for about five months in and around Kashmir Valley. Several people were killed and many teenagers received grievous pellet and bullet injuries sparking outrage. Police force also reported casualties and faced threats from terrorists.
         "For us, the primary concern would be to prevent loss of life. And if I were to put the temporary suspension of internet on one side of the scale, and permanent loss of life on the other, I know which side I would go," Jaishankar said.
         The economic and social consequences of Article 370 led to a political consequence as "a narrow elite" arbitrage the constitutional provision to "monopolise political power to create a sort of a close-loop politics, and they had a vested interest in keeping alive separatist sentiment", he said.
         "So you had actually a situation where separatist political parties were openly allied with terrorist groups operating out of Pakistan," Jaishankar added.
         The level of intimidation had reached a height where senior police officers were lynched on the streets of Srinagar, journalists who wrote against separatism were assassinated and military personnel were kidnapped and killed, he said. PTI YAS AKJ
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Last Updated : Oct 2, 2019, 3:01 AM IST
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