नई दिल्ली : अमेरिका ने कहा है कि आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा एवं जैश-ए-मोहम्मद भारत के लिए अब भी खतरा बने हुए हैं. साथ ही पिछले आम चुनाव में लश्कर से जुड़े प्रत्याशियों को लड़ने की इजाजत देने के लिए पाकिस्तान की आलोचना भी की है.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को प्रकाशित रिपोर्ट ‘कंट्री रिपोर्ट्स ऑन टेररिज्म-2018’ के मुताबिक पाकिस्तानी प्रशासन धनशोधन एवं आतंकवाद निरोध पर वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की कार्य योजना को लागू करने में नाकाम रहा.
रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा जैसे समूहों और आतंकवादियों पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को भी लागू करने में नाकामयाब रहा, जो लगातार आर्थिक संसाधन और कोष एकत्र कर रहे हैं.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'क्षेत्र आधारित आतंकवादी समूह 2018 में भी खतरा बने रहे. उदाहरण के लिए 2008 के मुंबई हमले के लिए जिम्मेदार पाकिस्तान से संचालित लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद ने अपनी क्षमता तथा भारत और अफगानिस्तान पर हमला करने के अपने इरादों को बरकरार रखा है. फरवरी 2018 में जैश से संबद्ध आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर के सुंजवान स्थित भारतीय सेना के ठिकाने पर हमला किया था, जिसमें सात लोग मारे गये.'
रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तान सरकार लश्कर एवं जैश को धन जुटाने, आतंकवादियों की भर्ती करने एवं उन्हें प्रशिक्षित करने से रोकने में नाकाम रही. जुलाई में हुए आम चुनाव में पाकिस्तान ने लश्कर के मुखौटा संगठनों के प्रत्याशियों को चुनाव की इजाजत दी.
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रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान सरकार, अफगान सरकार और अफगान तालिबान के बीच राजनीतिक सुलह का समर्थन करती है. लेकिन अपनी सरजमीं पर मौजूद पनाहगाहों से अफगान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क को अफगानिस्तान में कार्रवाई से नहीं रोकती, जिससे अफगानिस्तान में अमेरिकी और अफगान बलों को खतरा है.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि धनशोधन रोकने के लिए बने एशिया/प्रशांत समूह का सदस्य होने के नाते पाकिस्तान ने धनशोधन, आतंक के वित्तपोषण को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों को लागू करने का भरोसा दिया था, लेकिन इसका अमल बहुत खराब रहा.