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शिवराज सरकार के खिलाफ 'लोकतंत्र बचाओ' ने कराई कंप्यूटर बाबा की जेल यात्रा!

गैजेट्स से प्यार होने के चलते कम्प्यूटर बाबा बने नामदेव दास त्यागी इन दिनों काफी सुर्खियां बटोर रहे हैं. आश्रम में अवैध अतिक्रमण को लेकर बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया गया, जिसके बाद वह जेल पहुंच गए हैं. पढ़िए पूरी ख़बर..

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Published : Nov 9, 2020, 8:55 PM IST

कंप्यूटर बाबा को जेल
कंप्यूटर बाबा को जेल

भोपाल : मध्य प्रदेश में इन दिनों कंप्यूटर बाबा जमकर सुर्खियां बटोर रहे हैं. उनकी सुर्खियों में रहने का कारण इंदौर में आश्रम पर जिला प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई है. जिला प्रशासन ने उनके आश्रम में अवैध अतिक्रमण बताते हुए बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है.

कंप्यूटर बाबा कांग्रेस के करीबी हैं, जिन्होंने पूरे उपचुनाव के दौरान सभी 28 विधानसभा क्षेत्रों में 'लोकतंत्र बचाओ' यात्रा निकाली थी. माना जा रहा है कि, उन पर कार्रवाई का कारण भी यही रहा.

इस वजह से नामदेव दास त्यागी बने कंप्यूटर बाबा

कंप्यूटर बाबा के नाम से फेमस नामदेव दास त्यागी का जन्म 1965 में हुआ था. इंदौर शहर के रहने वाले कंप्यूटर बाबा को आधुनिक गैजेट्स और आईटी से जुड़ी चीजों से बहुत लगाव है. उनके पास इस तरह की गैजेट्स आसानी से देखने को भी मिल जाती है. इसी शौक के चलते नरसिंहपुर में एक संत ने उन्हें 'कंप्यूटर बाबा' का नाम दिया था.

कंप्यूटर बाबा को जेल

कंप्यूटर बाबा दिगंबर अखाड़े के सदस्य भी हैं, जो राजनीतिक गतिविधियों के कारण चर्चा में बने हैं. प्रदेश में 28 सीटों पर हुए उपचुनाव के दौरान उन्होंने सभी विधानसभा क्षेत्रों में 'लोकतंत्र बचाओ' यात्रा निकाली थी. इसी से माना जा रहा है कि, उनके ऊपर हुई कार्रवाई की वजह यही है.

शिवराज सरकार ने 2018 चुनाव के पहले दिया था राज्यमंत्री का दर्जा

जहां तक कंप्यूटर बाबा की बात करें, तो पहले वह धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों में संलग्न रहते थे, लेकिन धीरे-धीरे उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा बढ़ने लगी. बताया जाता है कि, 2014 में उन्होंने आम आदमी पार्टी से संपर्क किया था, लेकिन फिर बात नहीं बनी. इसके बाद वह बीजेपी के नजदीक आ गए. उन्होंने मार्च माह में घोषणा की थी, कि वो 1 अप्रैल 2018 से नर्मदा यात्रा शुरू करेंगे. इसी के बाद 31 मार्च को शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा दे दिया था. उनके साथ 5 अन्य संतों को भी राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया, जिसके बाद पौधारोपण संरक्षण और स्वच्छता अभियान की जिम्मेदारी दी गई.

कंप्यूटर बाबा को जेल
चुनाव आते ही दिग्विजय सिंह से बढ़ी नजदीकी

शिवराज सिंह चौहान द्वारा कंप्यूटर बाबा को राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया था, जो उन्हें ज्यादा दिनों तक रास नहीं आई. इसके बाद प्रदेश में विधानसभा चुनाव आते ही कंप्यूटर बाबा दिग्विजय सिंह के संपर्क में आ गए. वह अपने 7 हजार संतों के साथ कांग्रेस के समर्थन में खड़े हो गए. उन्होंने विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस के लिए जमकर प्रचार किया. इसलिए कमलनाथ सरकार ने भी उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा दे दिया. प्रदेश की प्रमुख नदियों की संरक्षण की जिम्मेदारी सौंपी. वहीं लोकसभा चुनाव में भी वह बीजेपी के खिलाफ प्रचार करते हुए नजर आए.

कंप्यूटर बाबा पर की गई विद्वेषपूर्ण कार्रवाई

कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता कहते हैं कि, कंप्यूटर बाबा पर की गई कार्रवाई विद्वेष की कार्रवाई है. जब वह भाजपा के साथ काम कर रहे थे, तो बीजेपी और मुख्यमंत्री की नजर संतों पर थी. आज अगर वह बीजेपी से असहमत होकर कांग्रेस के लिए काम कर रहे हैं, तो वह अपराधी बन गए हैं. यह भाजपा की दो मुखी राजनीति है.

कानून से ऊपर कोई व्यक्ति नहीं हो सकता: BJP

मध्य प्रदेश भाजपा के प्रदेश महामंत्री भगवानदास सबनानी का कहना है कि, कानून से ऊपर कोई व्यक्ति नहीं हो सकता. चोला उसका कोई भी हो, लेकिन कानून की परिधि से बाहर निकल कर उन्होंने यह मान लिया है कि स्वतंत्र इकाई होकर बहुत बड़ी कोई पोजीशन है, तो कानून से बढ़कर कोई नहीं हो सकता है. कानून की नजर जब उस पर पड़ेगी, तो कार्रवाई होगी. ऐसे ही इस मामले में कार्रवाई हुई है. इस कार्रवाई को अन्यथा नहीं देखना चाहिए. निश्चित रूप से कानून के अंदर कार्रवाई हुई है.

पढ़ें: एनसीबी ने नाडियाडवाला को जारी किया समन, पत्नी को मेडिकल जांच ले जाया गया

कंप्यूटर बाबा के आश्रम पर गिरी थी गाज

जिला प्रशासन ने नगर निगम के साथ मिलकर गोमटगिरी टेकरी पर कंप्यूटर बाबा के आश्रम पर जो अवैध अतिक्रमण किया था उसे जमींदोज कर दिया गया. वहीं कार्रवाई के दौरान कई तरह की जब्ती भी पुलिस ने की है. पुलिस ने कंप्यूटर बाबा के आश्रम से बाइक के साथ कार भी जब्त की है. इस पूरे मामले में पुलिस कंप्यूटर बाबा के कई बैंक अकाउंट के साथ ही कौन-कौन लोग कंप्यूटर बाबा से जुड़े हुए हैं उनकी भी जांच पड़ताल करने में जुटी हुई है और जल्द ही इस पूरे मामले में कई बड़े खुलासे हो सकते हैं.

एक रात पहले जिला प्रशासन ने की थी तैयारी
दरअसल, कंप्यूटर बाबा के आश्रम पर कार्रवाई करने की तैयारी जिला प्रशासन ने पुलिस विभाग के साथ देर रात में ही प्लान कर लिया था. वहीं आला अधिकारियों ने अपने अधीनस्थ अधिकारियों कर्मचारियों को सुबह 5 बजे इंदौर के एरोड्रम थाना पर एकत्रित होने के फरमान जारी किए थे. बता दें कि इस पूरी कार्रवाई में 10 थाना प्रभारी सीएसपी एडिशनल एसपी वहीं जिला प्रशासन के कई अधिकारी भी इस पूरी कार्रवाई को अंजाम देने के लिए जुटे थे.

सुबह 5 बजे बाबा के आश्रम पहुंच गई थी पुलिस

इंदौर जिला प्रशासन और पुलिस की टीम सुबह 5 बजे एकत्रित होकर एक साथ निगम के अमले के साथ गोमटगिरी स्थित कंप्यूटर बाबा के आश्रम के लिए रवाना हुए. तकरीबन आधे घंटे में बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स के साथ जिला प्रशासन के अधिकारी कंप्यूटर बाबा की टेकरी पर पहुंच गए, और सबसे पहले उन्होंने गोमटगिरी स्थित कंप्यूटर बाबा के आश्रम पर दस्तक दी. जहां कंप्यूटर बाबा को सबसे पहले अपनी गिरफ्त में लेकर उन्हे इंदौर के सेंट्रल जेल पहुंचा दिया. उसके बाद गोमटगिरी स्थित आश्रम में जितना भी अवैध अतिक्रमण किया था उस पर कार्रवाई करते हुए तकरीबन 2 घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद जमींदोज कर दिया गया. कंप्यूटर बाबा का जितना भी सामान आश्रम के अंदर रखा हुआ था, उसे भी बाहर निकाला और सभी सामानों को पंचायत भवन में रखवा दिया गया.

पढ़े: एलओसी पर घुसपैठ करने की फिराक में 250-300 आतंकी : बीएसएफ एडीजी

कंप्यूटर बाबा के आश्रम पर दूसरे दिन कार्रवाई

इंदौर में कंप्यूटर बाबा के ठिकानों पर दूसरे दिन भी कार्रवाई लगातार जारी रही. कंप्यूटर बाबा के द्वारा सुपर कॉरिडोर पर किए गए अतिक्रमण पर प्रशासन की कार्रवाई के बाद अंबिकापुर स्थित मंदिर पर किए गए कब्जे को हटाया. यहां पर प्रशासन ने मंदिर के रख रखाव की जिम्मेदारी अंबिकापुरी रहवासी संघ को दी है. साथ ही कंप्यूटर बाबा के इस ठिकाने से प्रशासन ने अजनोद में बाबा के द्वारा खरीदी गई जमीन का खुलासा भी किया है.

एरोड्रम रोड पर विद्या धाम के पीछे अंबिकापुर एक्सटेंशन कॉलोनी में कंप्यूटर बाबा के एक अन्य ठिकाने पर प्रशासन ने कार्रवाई की. एरोड्रम पर अंबिकापुरी एक्सटेंशन में मौजूद भवन से प्रशासन को 8 एकड़ जमीन की ओरिजिनल रजिस्ट्री मिली है. बताया जा रहा है कि यह जमीन कंप्यूटर बाबा ने 11 साल पहले अपने नाम से खरीदी थी. इस जमीन के तत्कालीन गाइडलाइन के हिसाब से कीमत 10 लाख दर्शायी गई है. जबकि वर्तमान में इसकी कीमत चार से पांच करोड़ रुपये है. इस रजिस्ट्री की जांच भी कलेक्टर के द्वारा करवाई जा रही है कि जमीन बाबा ने कैसे खरीदी और वर्तमान में जमीन का क्या इस्तेमाल हो रहा है.

भोपाल : मध्य प्रदेश में इन दिनों कंप्यूटर बाबा जमकर सुर्खियां बटोर रहे हैं. उनकी सुर्खियों में रहने का कारण इंदौर में आश्रम पर जिला प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई है. जिला प्रशासन ने उनके आश्रम में अवैध अतिक्रमण बताते हुए बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है.

कंप्यूटर बाबा कांग्रेस के करीबी हैं, जिन्होंने पूरे उपचुनाव के दौरान सभी 28 विधानसभा क्षेत्रों में 'लोकतंत्र बचाओ' यात्रा निकाली थी. माना जा रहा है कि, उन पर कार्रवाई का कारण भी यही रहा.

इस वजह से नामदेव दास त्यागी बने कंप्यूटर बाबा

कंप्यूटर बाबा के नाम से फेमस नामदेव दास त्यागी का जन्म 1965 में हुआ था. इंदौर शहर के रहने वाले कंप्यूटर बाबा को आधुनिक गैजेट्स और आईटी से जुड़ी चीजों से बहुत लगाव है. उनके पास इस तरह की गैजेट्स आसानी से देखने को भी मिल जाती है. इसी शौक के चलते नरसिंहपुर में एक संत ने उन्हें 'कंप्यूटर बाबा' का नाम दिया था.

कंप्यूटर बाबा को जेल

कंप्यूटर बाबा दिगंबर अखाड़े के सदस्य भी हैं, जो राजनीतिक गतिविधियों के कारण चर्चा में बने हैं. प्रदेश में 28 सीटों पर हुए उपचुनाव के दौरान उन्होंने सभी विधानसभा क्षेत्रों में 'लोकतंत्र बचाओ' यात्रा निकाली थी. इसी से माना जा रहा है कि, उनके ऊपर हुई कार्रवाई की वजह यही है.

शिवराज सरकार ने 2018 चुनाव के पहले दिया था राज्यमंत्री का दर्जा

जहां तक कंप्यूटर बाबा की बात करें, तो पहले वह धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों में संलग्न रहते थे, लेकिन धीरे-धीरे उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा बढ़ने लगी. बताया जाता है कि, 2014 में उन्होंने आम आदमी पार्टी से संपर्क किया था, लेकिन फिर बात नहीं बनी. इसके बाद वह बीजेपी के नजदीक आ गए. उन्होंने मार्च माह में घोषणा की थी, कि वो 1 अप्रैल 2018 से नर्मदा यात्रा शुरू करेंगे. इसी के बाद 31 मार्च को शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा दे दिया था. उनके साथ 5 अन्य संतों को भी राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया, जिसके बाद पौधारोपण संरक्षण और स्वच्छता अभियान की जिम्मेदारी दी गई.

कंप्यूटर बाबा को जेल
चुनाव आते ही दिग्विजय सिंह से बढ़ी नजदीकी

शिवराज सिंह चौहान द्वारा कंप्यूटर बाबा को राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया था, जो उन्हें ज्यादा दिनों तक रास नहीं आई. इसके बाद प्रदेश में विधानसभा चुनाव आते ही कंप्यूटर बाबा दिग्विजय सिंह के संपर्क में आ गए. वह अपने 7 हजार संतों के साथ कांग्रेस के समर्थन में खड़े हो गए. उन्होंने विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस के लिए जमकर प्रचार किया. इसलिए कमलनाथ सरकार ने भी उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा दे दिया. प्रदेश की प्रमुख नदियों की संरक्षण की जिम्मेदारी सौंपी. वहीं लोकसभा चुनाव में भी वह बीजेपी के खिलाफ प्रचार करते हुए नजर आए.

कंप्यूटर बाबा पर की गई विद्वेषपूर्ण कार्रवाई

कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता कहते हैं कि, कंप्यूटर बाबा पर की गई कार्रवाई विद्वेष की कार्रवाई है. जब वह भाजपा के साथ काम कर रहे थे, तो बीजेपी और मुख्यमंत्री की नजर संतों पर थी. आज अगर वह बीजेपी से असहमत होकर कांग्रेस के लिए काम कर रहे हैं, तो वह अपराधी बन गए हैं. यह भाजपा की दो मुखी राजनीति है.

कानून से ऊपर कोई व्यक्ति नहीं हो सकता: BJP

मध्य प्रदेश भाजपा के प्रदेश महामंत्री भगवानदास सबनानी का कहना है कि, कानून से ऊपर कोई व्यक्ति नहीं हो सकता. चोला उसका कोई भी हो, लेकिन कानून की परिधि से बाहर निकल कर उन्होंने यह मान लिया है कि स्वतंत्र इकाई होकर बहुत बड़ी कोई पोजीशन है, तो कानून से बढ़कर कोई नहीं हो सकता है. कानून की नजर जब उस पर पड़ेगी, तो कार्रवाई होगी. ऐसे ही इस मामले में कार्रवाई हुई है. इस कार्रवाई को अन्यथा नहीं देखना चाहिए. निश्चित रूप से कानून के अंदर कार्रवाई हुई है.

पढ़ें: एनसीबी ने नाडियाडवाला को जारी किया समन, पत्नी को मेडिकल जांच ले जाया गया

कंप्यूटर बाबा के आश्रम पर गिरी थी गाज

जिला प्रशासन ने नगर निगम के साथ मिलकर गोमटगिरी टेकरी पर कंप्यूटर बाबा के आश्रम पर जो अवैध अतिक्रमण किया था उसे जमींदोज कर दिया गया. वहीं कार्रवाई के दौरान कई तरह की जब्ती भी पुलिस ने की है. पुलिस ने कंप्यूटर बाबा के आश्रम से बाइक के साथ कार भी जब्त की है. इस पूरे मामले में पुलिस कंप्यूटर बाबा के कई बैंक अकाउंट के साथ ही कौन-कौन लोग कंप्यूटर बाबा से जुड़े हुए हैं उनकी भी जांच पड़ताल करने में जुटी हुई है और जल्द ही इस पूरे मामले में कई बड़े खुलासे हो सकते हैं.

एक रात पहले जिला प्रशासन ने की थी तैयारी
दरअसल, कंप्यूटर बाबा के आश्रम पर कार्रवाई करने की तैयारी जिला प्रशासन ने पुलिस विभाग के साथ देर रात में ही प्लान कर लिया था. वहीं आला अधिकारियों ने अपने अधीनस्थ अधिकारियों कर्मचारियों को सुबह 5 बजे इंदौर के एरोड्रम थाना पर एकत्रित होने के फरमान जारी किए थे. बता दें कि इस पूरी कार्रवाई में 10 थाना प्रभारी सीएसपी एडिशनल एसपी वहीं जिला प्रशासन के कई अधिकारी भी इस पूरी कार्रवाई को अंजाम देने के लिए जुटे थे.

सुबह 5 बजे बाबा के आश्रम पहुंच गई थी पुलिस

इंदौर जिला प्रशासन और पुलिस की टीम सुबह 5 बजे एकत्रित होकर एक साथ निगम के अमले के साथ गोमटगिरी स्थित कंप्यूटर बाबा के आश्रम के लिए रवाना हुए. तकरीबन आधे घंटे में बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स के साथ जिला प्रशासन के अधिकारी कंप्यूटर बाबा की टेकरी पर पहुंच गए, और सबसे पहले उन्होंने गोमटगिरी स्थित कंप्यूटर बाबा के आश्रम पर दस्तक दी. जहां कंप्यूटर बाबा को सबसे पहले अपनी गिरफ्त में लेकर उन्हे इंदौर के सेंट्रल जेल पहुंचा दिया. उसके बाद गोमटगिरी स्थित आश्रम में जितना भी अवैध अतिक्रमण किया था उस पर कार्रवाई करते हुए तकरीबन 2 घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद जमींदोज कर दिया गया. कंप्यूटर बाबा का जितना भी सामान आश्रम के अंदर रखा हुआ था, उसे भी बाहर निकाला और सभी सामानों को पंचायत भवन में रखवा दिया गया.

पढ़े: एलओसी पर घुसपैठ करने की फिराक में 250-300 आतंकी : बीएसएफ एडीजी

कंप्यूटर बाबा के आश्रम पर दूसरे दिन कार्रवाई

इंदौर में कंप्यूटर बाबा के ठिकानों पर दूसरे दिन भी कार्रवाई लगातार जारी रही. कंप्यूटर बाबा के द्वारा सुपर कॉरिडोर पर किए गए अतिक्रमण पर प्रशासन की कार्रवाई के बाद अंबिकापुर स्थित मंदिर पर किए गए कब्जे को हटाया. यहां पर प्रशासन ने मंदिर के रख रखाव की जिम्मेदारी अंबिकापुरी रहवासी संघ को दी है. साथ ही कंप्यूटर बाबा के इस ठिकाने से प्रशासन ने अजनोद में बाबा के द्वारा खरीदी गई जमीन का खुलासा भी किया है.

एरोड्रम रोड पर विद्या धाम के पीछे अंबिकापुर एक्सटेंशन कॉलोनी में कंप्यूटर बाबा के एक अन्य ठिकाने पर प्रशासन ने कार्रवाई की. एरोड्रम पर अंबिकापुरी एक्सटेंशन में मौजूद भवन से प्रशासन को 8 एकड़ जमीन की ओरिजिनल रजिस्ट्री मिली है. बताया जा रहा है कि यह जमीन कंप्यूटर बाबा ने 11 साल पहले अपने नाम से खरीदी थी. इस जमीन के तत्कालीन गाइडलाइन के हिसाब से कीमत 10 लाख दर्शायी गई है. जबकि वर्तमान में इसकी कीमत चार से पांच करोड़ रुपये है. इस रजिस्ट्री की जांच भी कलेक्टर के द्वारा करवाई जा रही है कि जमीन बाबा ने कैसे खरीदी और वर्तमान में जमीन का क्या इस्तेमाल हो रहा है.

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