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इसरो ने अभी नहीं छोड़ी है विक्रम से सम्पर्क स्थापित करने की उम्मीद

इसरो ने 22 जुलाई को चंद्रयान-2 को चंद्रमा पर भेजा था. इस दौरान इसरो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर विक्रम लैंडर को लैंड कराने वाला था लेकिन चंद्रमा की सतह से कुछ दूर पहले ही संबंध टूट गया था लेकिन इसरो अभी भी उससे सम्पर्क साधने में जुटा है. पढ़ें पूरी खबर...

विक्रम लैंडर (फाइल फोटो)
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Published : Oct 1, 2019, 3:23 PM IST

Updated : Oct 2, 2019, 6:19 PM IST

बेंगलुरुः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र ने (इसरो) ने सात सितबंर को चंद्रमा पर 'चंद्रयान-2' का 'विक्रम लैंडर' साफ्ट लैंडिंग नहीं कर पाया. इस वजह से इसरो का विक्रम से सम्पर्क टूट गया था लेकिन इसरो अभी विक्रम से सम्पर्क बनाने की कोशिश कर रहा है.

गत सात सितंबर को चंद्रमा की सतह पर 'सॉफ्ट लैंडिंग'से कुछ मिनट पहले विक्रम का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया था. इसके बाद से ही बेंगलुरु स्थित अंतरिक्ष एजेंसी लैंडर से संपर्क स्थापित करने के लिए हरसंभव कोशिशें कर रही है, लेकिन चंद्रमा पर रात शुरू होने के कारण 10 दिन पहले इन कोशिशों को स्थगित कर दिया गया था.

इसरो अध्यक्ष के. सिवन ने मंगलवार को कहा, अभी यह संभव नहीं है, वहां रात हो रही है. शायद इसके बाद हम इसे शुरू करेंगे. हमारे लैंडिंग स्थल पर भी रात का समय हो रहा है. चंद्रमा पर रात होने का मतलब है कि लैंडर अब अंधेरे में जा चुका है.

उन्होंने कहा, चंद्रमा पर दिन होने के बाद हम प्रयास करेंगे. उन्होंने आगे कहा कि चंद्रयान-2 काफी जटिल मिशन था जिसमें चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के अनछुए हिस्से की खोज करने के लिए ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर को एक साथ भेजा गया था.

इसरो ने प्रक्षेपण से पहले कहा था कि लैंडर और रोवर का जीवनकाल एक चंद्र दिवस यानी कि धरती के 14 दिनों के बराबर होगा. कुछ अंतरिक्ष विशेषज्ञों का मानना है कि लैंडर से संपर्क स्थापित करना अब काफी मुश्किल लगता है.

पढ़ेंः IIT भुवनेश्वर के दीक्षांत समारोह में शामिल हुए ISRO प्रमुख के. सिवन

इसरो के एक अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर कहा, मुझे लगता है कि कई दिन गुजर जाने के बाद संपर्क करना काफी मुश्किल होगा लेकिन कोशिश करने में कोई हर्ज नहीं है.

अधिकारी ने कहा, सिर्फ ठंड ही नहीं, बल्कि झटके से हुआ असर भी चिंता की बात है क्योंकि लैंडर तेज गति से चंद्रमा की सतह पर गिरा होगा. इस झटके के कारण लैंडर के भीतर कई चीजों को नुकसान पहुंच सकता है.

इस बीच, इसरो प्रमुख सिवन ने कहा कि ऑर्बिटर ठीक है.

बेंगलुरुः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र ने (इसरो) ने सात सितबंर को चंद्रमा पर 'चंद्रयान-2' का 'विक्रम लैंडर' साफ्ट लैंडिंग नहीं कर पाया. इस वजह से इसरो का विक्रम से सम्पर्क टूट गया था लेकिन इसरो अभी विक्रम से सम्पर्क बनाने की कोशिश कर रहा है.

गत सात सितंबर को चंद्रमा की सतह पर 'सॉफ्ट लैंडिंग'से कुछ मिनट पहले विक्रम का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया था. इसके बाद से ही बेंगलुरु स्थित अंतरिक्ष एजेंसी लैंडर से संपर्क स्थापित करने के लिए हरसंभव कोशिशें कर रही है, लेकिन चंद्रमा पर रात शुरू होने के कारण 10 दिन पहले इन कोशिशों को स्थगित कर दिया गया था.

इसरो अध्यक्ष के. सिवन ने मंगलवार को कहा, अभी यह संभव नहीं है, वहां रात हो रही है. शायद इसके बाद हम इसे शुरू करेंगे. हमारे लैंडिंग स्थल पर भी रात का समय हो रहा है. चंद्रमा पर रात होने का मतलब है कि लैंडर अब अंधेरे में जा चुका है.

उन्होंने कहा, चंद्रमा पर दिन होने के बाद हम प्रयास करेंगे. उन्होंने आगे कहा कि चंद्रयान-2 काफी जटिल मिशन था जिसमें चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के अनछुए हिस्से की खोज करने के लिए ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर को एक साथ भेजा गया था.

इसरो ने प्रक्षेपण से पहले कहा था कि लैंडर और रोवर का जीवनकाल एक चंद्र दिवस यानी कि धरती के 14 दिनों के बराबर होगा. कुछ अंतरिक्ष विशेषज्ञों का मानना है कि लैंडर से संपर्क स्थापित करना अब काफी मुश्किल लगता है.

पढ़ेंः IIT भुवनेश्वर के दीक्षांत समारोह में शामिल हुए ISRO प्रमुख के. सिवन

इसरो के एक अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर कहा, मुझे लगता है कि कई दिन गुजर जाने के बाद संपर्क करना काफी मुश्किल होगा लेकिन कोशिश करने में कोई हर्ज नहीं है.

अधिकारी ने कहा, सिर्फ ठंड ही नहीं, बल्कि झटके से हुआ असर भी चिंता की बात है क्योंकि लैंडर तेज गति से चंद्रमा की सतह पर गिरा होगा. इस झटके के कारण लैंडर के भीतर कई चीजों को नुकसान पहुंच सकता है.

इस बीच, इसरो प्रमुख सिवन ने कहा कि ऑर्बिटर ठीक है.

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पीटीआई-भाषा संवाददाता 14:43 HRS IST




             
  • इसरो ने ‘विक्रम’ से संपर्क स्थापित करने की आस नहीं छोड़ी



बेंगलुरु, एक अक्टूबर (भाषा) इसरो ने तीन सप्ताह से अधिक समय पहले चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ के प्रयास के दौरान संपर्क से बाहर हुए ‘चंद्रयान-2’ के लैंडर ‘विक्रम’ से संपर्क कायम करने की कोशिशें अभी छोड़ी नहीं हैं।



गत सात सितंबर को चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ से कुछ मिनट पहले ‘विक्रम’ का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया था।



इसके बाद से ही बेंगलुरु स्थित अंतरिक्ष एजेंसी लैंडर से संपर्क स्थापित करने के लिए ‘‘हरसंभव’’ कोशिशें कर रही है, लेकिन चंद्रमा पर रात शुरू होने के कारण 10 दिन पहले इन कोशिशों को स्थगित कर दिया गया था।



इसरो अध्यक्ष के. सिवन ने मंगलवार को पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘अभी यह संभव नहीं है, वहां रात हो रही है। शायद इसके बाद हम इसे शुरू करेंगे। हमारे लैंडिंग स्थल पर भी रात का समय हो रहा है।’’



चंद्रमा पर रात होने का मतलब है कि लैंडर अब अंधेरे में जा चुका है।



उन्होंने कहा, ‘‘चंद्रमा पर दिन होने के बाद हम प्रयास करेंगे।’’



‘चंद्रयान-2’ काफी जटिल मिशन था जिसमें चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के अनछुए हिस्से की खोज करने के लिए ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर को एक साथ भेजा गया था।



इसरो ने प्रक्षेपण से पहले कहा था कि लैंडर और रोवर का जीवनकाल एक चंद्र दिवस यानी कि धरती के 14 दिनों के बराबर होगा।



कुछ अंतरिक्ष विशेषज्ञों का मानना है कि लैंडर से संपर्क स्थापित करना अब काफी मुश्किल लगता है।



इसरो के एक अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर कहा, ‘‘मुझे लगता है कि कई दिन गुजर जाने के बाद संपर्क करना काफी मुश्किल होगा लेकिन कोशिश करने में कोई हर्ज नहीं है।’’



यह पूछे जाने पर कि क्या चंद्रमा पर रात के समय अत्यधिक ठंड में लैंडर दुरुस्त स्थिति में रह सकता है, अधिकारी ने कहा, ‘‘सिर्फ ठंड ही नहीं, बल्कि झटके से हुआ असर भी चिंता की बात है क्योंकि लैंडर तेज गति से चंद्रमा की सतह पर गिरा होगा। इस झटके के कारण लैंडर के भीतर कई चीजों को नुकसान पहुंच सकता है।’’



इस बीच, सिवन ने कहा कि ऑर्बिटर ठीक है।




 


Conclusion:
Last Updated : Oct 2, 2019, 6:19 PM IST
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