नई दिल्ली/ लखनऊ : पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने भारत में हमले की साजिश रचने के लिए स्थानीय अपराधियों और अधेड़ मुस्लिम विधुर को अपनी जाल में फंसा रही है.
आईएसआई ने कराची में एक मध्यम आयु वर्ग के भारतीय मुस्लिम विधुर एक सेक्स वर्कर का इस्तेमाल करके ब्लैकमेल किया, ताकि वह उनके लिए काम करे.
आईएसआई सीमा पार से आतंकवाद को प्रायोजित करने के लिए कुख्यात है. उसने कराची में एक युवा यौनकर्मी की सेवाओं का इस्तेमाल उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के रहने वाले 51 वर्षीय मोहम्मद आरिफ को ब्लैकमेल करने के लिए किया था.
इसका खुलासा सैन्य खुफिया (एमआई) और उत्तर प्रदेश आतंकवाद-रोधी दस्ते (एटीएस) के 'ऑप गोरखधंधा' (Op Gorakhdhanda) अभियान द्वारा किया गया. कराची स्थित आईएसआई इकाई द्वारा भारत में की जाने वाली जासूसों की भर्ती का पता लगाने के लिए 'ऑप गोरखधंधा' अभियान शुरू किया गया था.
एटीएस के अतिरिक्त महानिदेशक डीके ठाकुर ने पुष्टि की है कि आरिफ को हिरासत में लिया गया था.
अधिकारियों ने बताया कि लखनऊ बेस्ड एमआई यूनिट को जम्मू-कश्मीर यूनिट से गोरखपुर बेस्ड मोबाइल नंबर पर संदिग्ध गतिविधियों के संबंध में खुफिया इनपुट मिले थे. इसके बाद लखनऊ एमआई यूनिट के अधिकारी सक्रिय हुए और भारत-नेपाल सीमा के करीब स्थित शहर गोरखपुर में संदिग्ध की निगरानी की गई. एमआई ने इस ऑपरेशन को 'ऑप गोरखधंधा' नाम दिया था.
जांच के दौरान, इनपुट की इलेक्ट्रॉनिक रूप से पुष्टि की गई और संदिग्ध की पहचान मोहम्मद आरिफ के रूप में हुई, जिसके पाकिस्तान के साथ संदिग्ध संबंध थे. एमआई यूनिट ने जुलाई के पहले सप्ताह में यूपी एटीएस के साथ सभी निष्कर्षों को साझा किया, जिसके बाद मामले की जांच के लिए एक संयुक्त टीम का गठन किया गया.
पर्याप्त सबूत इकट्ठा होने के बाद, एटीएस ने संदिग्ध मोहम्मद आरिफ को हिरासत में ले लिया और शुक्रवार को उसे लखनऊ में एटीएस मुख्यालय में पूछताछ के लिए लाया गया. एमआई और यूपी एटीएस के अधिकारियों ने शुक्रवार और शनिवार को उससे पूछताछ की थी.
सूत्रों ने कहा कि पूछताछ के दौरान संदिग्ध ने इस बात का खुलासा किया कि उसे पाकिस्तान में आईएसआई द्वारा कैसे भर्ती किया गया था.
आरिफ गोरखपुर में चाय नाश्ते की दुकान चलाता है. 2014 में उसकी पत्नी का निधन हो गया था. उसके कराची (पाकिस्तान) में कई रिश्तेदार हैं, जिनमें उसकी दो चाची और उनके परिवार और एक चचेरी बहन हाजरा और उसका पति हाशिम अंसारी शामिल है. आरिफ ने अपनी बहन जरीना की शादी भी कराची के रहने वाले शाहिद नामक व्यक्ति से की है.
आरिफ ने 2014 से 2018 तक चार बार पाकिस्तान का दौरा किया. वह थार एक्सप्रेस के माध्यम से जोधपुर से पाकिस्तान जाता था. आखिरी यात्रा के दौरान कराची में उसकी बहन के घर दो पाकिस्तानी आईएसआई अधिकारी फहद और राणा अकील वीजा अधिकारी बनकर आए. बाद में उनका आना-जाना बढ़ गया और वे दोस्त की तरह आरिफ को कराची शहर के आस-पास मॉल, समुद्री तट, रेस्तरां में घुमाने लगे और उसके साथ लंच-डिनर करने लगे.
आरिफ के भारत लौटने से 10 दिन पहले, फहद और राणा उसे एक सुरक्षित घर में ले गए और वहां उसे एक युवा और सुंदर सेक्स वर्कर की सेवाएं ऑफर कीं. आरिफ इस प्रलोभन का विरोध नहीं कर सका और उसने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया. उसे पता नहीं था कि उस रात सेक्स वर्कर के साथ उसकी हरकतों को कई कैमरों में कैद किया जा रहा है.
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आरिफ निर्धारित तारीख पर फरवरी 2019 में जोधपुर के रास्ते भारत लौट आया. आरिफ के साथ आखिरी बैठक में आईएसआई एजेंटों ने उसे चिट दिया, जिस पर +92 कोड वाला मोबाइल नंबर लिखा था. गोरखपुर आने के कुछ दिन बाद आरिफ को उसी नंबर से वॉट्सएप कॉल आई. फोन करने वाले फहद ने आरिफ से हालचाल जाना और उसके नंबर को सेव करने को कहा. आरिफ ने अपने फोन में नंबर को 'भाई' नाम से सेव किया.
कुछ दिन बाद फहद ने फिर से कॉल किया और आरिफ को गलत कार्य करने के लिए कहा. आरिफ से गोरखपुर के जाफरा बाजार का फोटो भेजने के लिए कहा. इसके बाद फहद ने उसे गोरखपुर वायुसेना स्टेशन की तस्वीरें भेजने के लिए कहा, जिसके लिए आरिफ ने इनकार कर दिया. तब आईएसआई एजेंट ने उसे सेक्स वर्कर के साथ के वीडियो-फोटो भेजे और उसे ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया. उससे कहा गया कि यदि वह उनका काम नहीं करेगा तो वह यह सब उसकी बहन जरीना तक पहुंचा देंगे. इसके बाद आरिफ ने ओटीपी साझा कर उन्हें भारतीय वॉट्सएप अकाउंट बनाने में मदद की. इसके लिए उसने अपने नाम पर सिम भी ली, जिसे उसने हटा दिया.
सूत्रों ने बताया कि फिर आईएसआई ने भारतीय सुरक्षाकर्मियों तक पहुंचने और उनसे रक्षा संबंधी जानकारी हासिल करने के लिए इस वॉट्सएप अकाउंट का इस्तेमाल किया. इसी नंबर से कई सेवा दे रहे सुरक्षा कर्मियों को सदस्य बनाकर वॉट्सएप ग्रुप भी बनाए गए.
आरिफ ने पूछताछ में बताया कि उसने गोरखपुर रेलवे स्टेशन और भारतीय वायुसेना स्टेशन के मुख्यद्वार और कुड़ाघाट मिलिट्री स्टेशन की तस्वीरें कराची में अपने हैंडलर को भेजी थीं. उसे इन फोटो के लिए 5,000 रुपये भी मिले. आरिफ ने यह भी खुलासा किया है कि उसे दो आईएसआई एजेंटों ने भारतीय सैनिकों या ऐसे किसी भी व्यक्ति से परिचित कराने के लिए भी कहा गया जो भारत में सैन्य प्रतिष्ठान तक पहुंच रखते हों.
उनकी मांगों को पूरा करने में असमर्थ, आरिफ उनसे बचने लगा और उसने इंटरनेट का उपयोग करना बंद कर दिया. इस बीच उन्होंने शमा परवीन से शादी कर ली और अपनी दूसरी पत्नी के साथ परेशानी मुक्त जीवन जीने की ख्वाहिश रखी. 14 जुलाई को उसने अपना फोन भी फॉर्मेट कर लिया.
आरिफ के मोबाइल डिवाइस, सिम कार्ड और अन्य सामानों की जांच के दौरान ऐसा कुछ नहीं मिला है, जिसे अदालत में सबूत के तौर पर पेश किया जा सके. लिहाजा, जांचकर्ताओं ने केवल उसके बयानों के आधार पर मामला दर्ज करने का फैसला किया है.
आरिफ की उम्र, आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए और यह देखते हुए कि उसे अपने गलत काम का अहसास है और उसने आईएसआई एजेंटों की ज्यादा मदद नहीं की है, जांचकर्ताओं ने उसे सलाह और चेतावनी देने के बाद घर जाने दिया.
एक अधिकारी ने कहा, 'इस मामले ने गरीब या निम्न-मध्य वर्ग के उन भारतीय मुस्लिम परिवारों के सदस्यों के खिलाफ आईएसआई के नापाक मंसूबों का खुलासा किया है, जो पाकिस्तान के विभिन्न शहरों में अपने रिश्तेदारों के यहां जाते हैं.'