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दिल्ली : क्यों धीमा रहा कांग्रेस का प्रचार, संदीप दीक्षित ने बताई ये वजह

दिल्ली चुनाव में भाजपा, आप और कांग्रेस तीन प्रमुख दल हैं. भाजपा और आप के बीच कांटे का मुकाबला बताया जा रहा है. कांग्रेस को लेकर उतनी गंभीरता नहीं है. हालांकि, कांग्रेस इसे ऐसा नहीं मानती है. इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार अमित अग्निहोत्री ने कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित से विस्तार में बातचीत की. आइए जानते हैं, पार्टी की रणनीति को लेकर क्या कुछ कहा है उन्होंने.

interview with sandeep dixit
संदीप दीक्षित
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Published : Feb 8, 2020, 10:49 AM IST

Updated : Feb 29, 2020, 2:51 PM IST

सवाल - दिल्ली चुनाव में कांग्रेस पार्टी मुख्य रूप से शीला दीक्षित द्वारा उनके कार्यकाल में किए गए कार्यों का प्रचार कर रही है. आप उनके बेटे हैं, लेकिन आपकी सक्रियता उतनी दिख नहीं रही है, क्यों.

इस समय इन विषयों पर बात करने का कोई फायदा नहीं है. हां, ये सही है कि मैं अन्य कांग्रेस नेताओं की तरह दिखा नहीं. यह विषय नेतृत्व तय करता है. मैं तो पांच-छह सालों से बहुत अधिक सक्रिय नहीं हूं. जब से शीला दीक्षित राज्य की प्रमुख बनीं, तभी से मैं उनका सहयोग करता रहा हूं. बैकग्राउंड में रहकर मैंने कांग्रेस के लिए राजनीतिक काम किया.

सवाल - 2015 में कांग्रेस एक सीट भी नहीं जीत सकी. इस बार भी पार्टी संघर्ष के मोड में नहीं दिख रही है. इसे आप कैसे देखते हैं.

एक भी विधायक का ना होना और निगम के चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं करना, दोनों ही चीजें सेटबैक की तरह है. लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव में हम पांच सीटों पर दूसरे स्थान पर आए. दो अन्य स्थानों पर यदि उम्मीदवारों के नामों की घोषणा पहले ही हो जाता, तो हम बेहतर करते. शीलाजी का नहीं होना बहुत बड़ी क्षति है. हमारे सामने प्रमुख रूप से दो चुनौतियां हैं. हमारे पास आप और भाजपा की तरह संसाधन नहीं हैं. मीडिया निष्पक्ष नहीं है. आप की सरकार बहुत ही औसत रही है. मैंने उनके प्रचार को भी देखा है. वे प्रोपेगैंडा चला रहे हैं. वे कह रहे हैं कि विकास पर जनता पहली बार वोट करेगी. अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया दोनों दावा कर रहे हैं कि सरकारी स्कूलों में स्थिति बदल दी. लेकिन शीला सरकार के समय ये स्कूल बेहतर थे. डीटीसी की बसों की संख्या काफी घट गई. दिल्ली में हरियाली घटी है. केजरीवाल का दावा कि उन्होंने एक चौथाई प्रदूषण घटा दिया है, यह गलत है.

सवाल - कांग्रेस का प्रचार इतना ढीला क्यों रहा.

हमलोग पोस्टर और मीडिया में नहीं दिखते हैं. शीला सरकार के पास अपने कामों का विज्ञापन करने के लिए पैसे नहीं थे. केजरीवाल फुल पेज का एड दे रहे हैं. हर दूसरे दिन उनका प्रचार दिख जाता है. यह मीडिया को प्रभावित करता है. उन्होंने सरकारी पैसे का दुरुपयोग किया है. हम उनके झूठ का मुकाबला कांग्रेस द्वारा किए गए कामों के आधार पर कर सकते हैं. हमने कार्यकर्ताओं के जरिए अपना नेटवर्क मजबूत किया है. चुनौती ये है कि जिस पीढी़ ने शीला को कार्य को देखा नहीं है और उन्होंने सिर्फ आप को देखा है, उसे अहसास कैसे दिलाएं. 18-35 साल के युवा शीला द्वारा किए गए कार्यों के बारे में नहीं जानते हैं.

सवाल - कांग्रेस ने सीएम के तौर पर किसी को पेश नहीं किया, क्यों.

हमने कभी भी किसी को सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट नहीं किया. कांग्रेस पुरानी संसदीय परंपराओं में यकीन करती है. पार्टी राष्ट्रपति स्टाइल के चुनाव में विश्वास नहीं करती है. यहां तक कि 2003 और 2008 में भी जब शीला दीक्षित सीएम थीं, उन्हें चेहरा के तौर पर प्रचारित नहीं किया गया था.

सवाल - कांग्रेस का मुख्य मुकाबला आप से है या भाजपा से. ऐसा लग रहा है कि केजरीवाल ने सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पकड़ ली है.

केजरीवाल कपटी हैं. मेरे लिए वे भेड़ की खाल पहने हुए एक भेड़िया हैं. वह मुख्य रूप से आरएसएस के व्यक्ति हैं. ये अलग बात हैं कि वे अपने को कुछ और बताते हैं. उन्हें भाजपा ने खड़ा किया है. अन्ना हजारे के आंदोलन के समय वे भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की गोद में बैठे थे. अरुण जेटली और सुषमा स्वराज उनका समर्थन करते थे. हम वे कहते फिर रहे हैं कि वे भागवत गीता और हनुमान चालीसा पढ़ते हैं. मैं यह नहीं कह रहा हूं कि इन ग्रंथों को पढ़ने से आपको प्रेरणा नहीं मिलती है, लेकिन वे इसे वोट बैंक के तौर पर यूज कर रहे हैं. हिंदुओं को मिलाने की कोशिश कर रहे हैं. मैं चाहता हूं कि सीएम एक अच्छा व्यक्ति बने. लेकिन क्या वे नेता बनने के लायक हैं, जिसकी कल्पना संविधान ने की है. वाकई में केजरीवाल कपटी हैं.

सवाल - क्या दिल्ली चुनाव में सीएए कोई मुद्दा है.

मुझे ऐसा नहीं लगता है. लेकिन यह राष्ट्रीय मुद्दा है. इसके खिलाफ सिर्फ कांग्रेस पार्टी खड़ी है. दिल्ली के सीएम ने सीएए के खिलाफ बोला, लेकिन यह नहीं बताया कि दिल्ली में एनआरसी लागू करेंगे या नहीं. केजरीवाल ने ये तो बताया कि उन्हें पुलिस मिल जाए, तो वे दो घंटे में शाहीन बाग को खाली करा लेंगे, लेकिन ये नहीं बताया कि वे इसे कैसे करेंगे. हालांकि, मैं केन्द्र की तारफी करूंगा कि उन्होंने आंदोलन को बाधित नहीं किया. केजरीवाल और भाजपा सांसद परवेज वर्मा, दोनों की भाषा एक जैसी है.

सवाल - कांग्रेस के सामने राष्ट्रीय स्तर पर कैसी चुनौतिया हैं.

हमारी व्यापक सामाजिक लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए प्रतिबद्धता थी. लेकिन हमें इसे फिर से परिभाषित करने की जरूरत है. ज्यादातर लोगों को पता है कि कांग्रेस किस लिए खड़ी है. वे केवल यही चाहते हैं कि पार्टी उन मूल्यों के साथ खड़ी दिखाई दे. समस्या तब पैदा होती है, जब कांग्रेस अपनी छवि बदलने की कोशिश करती है. पीएम मोदी के सभी लोकप्रिय कार्यक्रम वास्तव में यूपीए के कार्यक्रम हैं. इस सरकार के पास इसके निपटाने के लिए अधिक पैसा है. एक भी ऐसा काम नहीं है, जिसका श्रेय पीएम मोदी को जाता है. भाजपा ने केवल हिंदुत्व के आख्यान और राष्ट्रवाद के अपने ब्रांड का निर्माण किया है. उनकी हिंदू राष्ट्र अवधारणा में कुछ भी नहीं है. सबसे अच्छे रूप में यह मुसलमानों को बदनाम कर रहा है. यह केवल एक नारा है. कांग्रेस कभी भी आक्रामक नहीं रही है, लेकिन अब उसे और अधिक सशक्त और स्पष्ट करने की आवश्यकता है कि वह किसके लिए खड़ा है, और एक नई भाषा में समय परीक्षण किए गए विचारों को निर्धारित करें.

सवाल - दिल्ली चुनाव में कांग्रेस पार्टी मुख्य रूप से शीला दीक्षित द्वारा उनके कार्यकाल में किए गए कार्यों का प्रचार कर रही है. आप उनके बेटे हैं, लेकिन आपकी सक्रियता उतनी दिख नहीं रही है, क्यों.

इस समय इन विषयों पर बात करने का कोई फायदा नहीं है. हां, ये सही है कि मैं अन्य कांग्रेस नेताओं की तरह दिखा नहीं. यह विषय नेतृत्व तय करता है. मैं तो पांच-छह सालों से बहुत अधिक सक्रिय नहीं हूं. जब से शीला दीक्षित राज्य की प्रमुख बनीं, तभी से मैं उनका सहयोग करता रहा हूं. बैकग्राउंड में रहकर मैंने कांग्रेस के लिए राजनीतिक काम किया.

सवाल - 2015 में कांग्रेस एक सीट भी नहीं जीत सकी. इस बार भी पार्टी संघर्ष के मोड में नहीं दिख रही है. इसे आप कैसे देखते हैं.

एक भी विधायक का ना होना और निगम के चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं करना, दोनों ही चीजें सेटबैक की तरह है. लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव में हम पांच सीटों पर दूसरे स्थान पर आए. दो अन्य स्थानों पर यदि उम्मीदवारों के नामों की घोषणा पहले ही हो जाता, तो हम बेहतर करते. शीलाजी का नहीं होना बहुत बड़ी क्षति है. हमारे सामने प्रमुख रूप से दो चुनौतियां हैं. हमारे पास आप और भाजपा की तरह संसाधन नहीं हैं. मीडिया निष्पक्ष नहीं है. आप की सरकार बहुत ही औसत रही है. मैंने उनके प्रचार को भी देखा है. वे प्रोपेगैंडा चला रहे हैं. वे कह रहे हैं कि विकास पर जनता पहली बार वोट करेगी. अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया दोनों दावा कर रहे हैं कि सरकारी स्कूलों में स्थिति बदल दी. लेकिन शीला सरकार के समय ये स्कूल बेहतर थे. डीटीसी की बसों की संख्या काफी घट गई. दिल्ली में हरियाली घटी है. केजरीवाल का दावा कि उन्होंने एक चौथाई प्रदूषण घटा दिया है, यह गलत है.

सवाल - कांग्रेस का प्रचार इतना ढीला क्यों रहा.

हमलोग पोस्टर और मीडिया में नहीं दिखते हैं. शीला सरकार के पास अपने कामों का विज्ञापन करने के लिए पैसे नहीं थे. केजरीवाल फुल पेज का एड दे रहे हैं. हर दूसरे दिन उनका प्रचार दिख जाता है. यह मीडिया को प्रभावित करता है. उन्होंने सरकारी पैसे का दुरुपयोग किया है. हम उनके झूठ का मुकाबला कांग्रेस द्वारा किए गए कामों के आधार पर कर सकते हैं. हमने कार्यकर्ताओं के जरिए अपना नेटवर्क मजबूत किया है. चुनौती ये है कि जिस पीढी़ ने शीला को कार्य को देखा नहीं है और उन्होंने सिर्फ आप को देखा है, उसे अहसास कैसे दिलाएं. 18-35 साल के युवा शीला द्वारा किए गए कार्यों के बारे में नहीं जानते हैं.

सवाल - कांग्रेस ने सीएम के तौर पर किसी को पेश नहीं किया, क्यों.

हमने कभी भी किसी को सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट नहीं किया. कांग्रेस पुरानी संसदीय परंपराओं में यकीन करती है. पार्टी राष्ट्रपति स्टाइल के चुनाव में विश्वास नहीं करती है. यहां तक कि 2003 और 2008 में भी जब शीला दीक्षित सीएम थीं, उन्हें चेहरा के तौर पर प्रचारित नहीं किया गया था.

सवाल - कांग्रेस का मुख्य मुकाबला आप से है या भाजपा से. ऐसा लग रहा है कि केजरीवाल ने सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पकड़ ली है.

केजरीवाल कपटी हैं. मेरे लिए वे भेड़ की खाल पहने हुए एक भेड़िया हैं. वह मुख्य रूप से आरएसएस के व्यक्ति हैं. ये अलग बात हैं कि वे अपने को कुछ और बताते हैं. उन्हें भाजपा ने खड़ा किया है. अन्ना हजारे के आंदोलन के समय वे भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की गोद में बैठे थे. अरुण जेटली और सुषमा स्वराज उनका समर्थन करते थे. हम वे कहते फिर रहे हैं कि वे भागवत गीता और हनुमान चालीसा पढ़ते हैं. मैं यह नहीं कह रहा हूं कि इन ग्रंथों को पढ़ने से आपको प्रेरणा नहीं मिलती है, लेकिन वे इसे वोट बैंक के तौर पर यूज कर रहे हैं. हिंदुओं को मिलाने की कोशिश कर रहे हैं. मैं चाहता हूं कि सीएम एक अच्छा व्यक्ति बने. लेकिन क्या वे नेता बनने के लायक हैं, जिसकी कल्पना संविधान ने की है. वाकई में केजरीवाल कपटी हैं.

सवाल - क्या दिल्ली चुनाव में सीएए कोई मुद्दा है.

मुझे ऐसा नहीं लगता है. लेकिन यह राष्ट्रीय मुद्दा है. इसके खिलाफ सिर्फ कांग्रेस पार्टी खड़ी है. दिल्ली के सीएम ने सीएए के खिलाफ बोला, लेकिन यह नहीं बताया कि दिल्ली में एनआरसी लागू करेंगे या नहीं. केजरीवाल ने ये तो बताया कि उन्हें पुलिस मिल जाए, तो वे दो घंटे में शाहीन बाग को खाली करा लेंगे, लेकिन ये नहीं बताया कि वे इसे कैसे करेंगे. हालांकि, मैं केन्द्र की तारफी करूंगा कि उन्होंने आंदोलन को बाधित नहीं किया. केजरीवाल और भाजपा सांसद परवेज वर्मा, दोनों की भाषा एक जैसी है.

सवाल - कांग्रेस के सामने राष्ट्रीय स्तर पर कैसी चुनौतिया हैं.

हमारी व्यापक सामाजिक लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए प्रतिबद्धता थी. लेकिन हमें इसे फिर से परिभाषित करने की जरूरत है. ज्यादातर लोगों को पता है कि कांग्रेस किस लिए खड़ी है. वे केवल यही चाहते हैं कि पार्टी उन मूल्यों के साथ खड़ी दिखाई दे. समस्या तब पैदा होती है, जब कांग्रेस अपनी छवि बदलने की कोशिश करती है. पीएम मोदी के सभी लोकप्रिय कार्यक्रम वास्तव में यूपीए के कार्यक्रम हैं. इस सरकार के पास इसके निपटाने के लिए अधिक पैसा है. एक भी ऐसा काम नहीं है, जिसका श्रेय पीएम मोदी को जाता है. भाजपा ने केवल हिंदुत्व के आख्यान और राष्ट्रवाद के अपने ब्रांड का निर्माण किया है. उनकी हिंदू राष्ट्र अवधारणा में कुछ भी नहीं है. सबसे अच्छे रूप में यह मुसलमानों को बदनाम कर रहा है. यह केवल एक नारा है. कांग्रेस कभी भी आक्रामक नहीं रही है, लेकिन अब उसे और अधिक सशक्त और स्पष्ट करने की आवश्यकता है कि वह किसके लिए खड़ा है, और एक नई भाषा में समय परीक्षण किए गए विचारों को निर्धारित करें.

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क्यों धीमा रहा कांग्रेस का प्रचार, संदीप दीक्षित ने बताई ये वजह 

समरी

दिल्ली चुनाव में भाजपा, आप और कांग्रेस तीन प्रमुख दल हैं. भाजपा और आप के बीच कांटे का मुकाबला बताया जा रहा है. कांग्रेस को लेकर उतनी गंभीरता नहीं है. हालांकि, कांग्रेस इसे ऐसा नहीं मानती है. इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार अमित अग्निहोत्री ने कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित से विस्तार में बातचीत की. आइए जानते हैं, पार्टी की रणनीति को लेकर क्या कुछ कहा है उन्होंने. 

स्टोरी 

सवाल - दिल्ली चुनाव में कांग्रेस पार्टी मुख्य रूप से शीला दीक्षित द्वारा उनके कार्यकाल में किए गए कार्यों का प्रचार कर रही है. आप उनके बेटे हैं, लेकिन आपकी सक्रियता उतनी दिख नहीं रही है, क्यों. 

इस समय इन विषयों पर बात करने का कोई फायदा नहीं है. हां, ये सही है कि मैं अन्य कांग्रेस नेताओं की तरह दिखा नहीं. यह विषय नेतृत्व तय करता है. मैं तो पांच-छह सालों से बहुत अधिक सक्रिय नहीं हूं. जब से शीला दीक्षित राज्य की प्रमुख बनीं, तभी से मैं उनका सहयोग करता रहा हूं. बैकग्राउंड में रहकर मैंने कांग्रेस के लिए राजनीतिक काम किया. 

सवाल - 2015 में कांग्रेस एक सीट भी नहीं जीत सकी. इस बार भी पार्टी संघर्ष के मोड में नहीं दिख रही है. इसे आप कैसे देखते हैं. 

एक भी विधायक का ना होना और निगम के चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं करना, दोनों ही चीजें सेटबैक की तरह है. लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव में हम पांच सीटों पर दूसरे स्थान पर आए. दो अन्य स्थानों पर यदि उम्मीदवारों के नामों की घोषणा पहले ही हो जाता, तो हम बेहतर करते. शीलाजी का नहीं होना बहुत बड़ी क्षति है. हमारे सामने प्रमुख रूप से दो चुनौतियां हैं. हमारे पास आप और भाजपा की तरह संसाधन नहीं हैं. मीडिया निष्पक्ष नहीं है. आप की सरकार बहुत ही औसत रही है. मैंने उनके प्रचार को भी देखा है. वे प्रोपेगैंडा चला रहे हैं. वे कह रहे हैं कि विकास पर जनता पहली बार वोट करेगी. अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया दोनों दावा कर रहे हैं कि सरकारी स्कूलों में स्थिति बदल दी. लेकिन शीला सरकार के समय ये स्कूल बेहतर थे. डीटीसी की बसों की संख्या काफी घट गई. दिल्ली में हरियाली घटी है. केजरीवाल का दावा कि उन्होंने एक चौथाई प्रदूषण घटा दिया है, यह गलत है. 

सवाल - कांग्रेस का प्रचार इतना ढीला क्यों रहा. 

हमलोग पोस्टर और मीडिया में नहीं दिखते हैं. शीला सरकार के पास अपने कामों का विज्ञापन करने के लिए पैसे नहीं थे. केजरीवाल फुल पेज का एड दे रहे हैं. हर दूसरे दिन उनका प्रचार दिख जाता है. यह मीडिया को प्रभावित करता है. उन्होंने सरकारी पैसे का दुरुपयोग किया है. हम उनके झूठ का मुकाबला कांग्रेस द्वारा किए गए कामों के आधार पर कर सकते हैं. हमने कार्यकर्ताओं के जरिए अपना नेटवर्क मजबूत किया है. चुनौती ये है कि जिस पीढी़ ने शीला को कार्य को देखा नहीं है और उन्होंने सिर्फ आप को देखा है, उसे अहसास कैसे दिलाएं. 18-35 साल के युवा शीला द्वारा किए गए कार्यों के बारे में नहीं जानते हैं.  

सवाल - कांग्रेस ने सीएम के तौर पर किसी को पेश नहीं किया, क्यों. 

हमने कभी भी किसी को सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट नहीं किया. कांग्रेस पुरानी संसदीय परंपराओं में यकीन करती है. पार्टी राष्ट्रपति स्टाइल के चुनाव में विश्वास नहीं करती है. यहां तक कि 2003 और 2008 में भी जब शीला दीक्षित सीएम थीं, उन्हें चेहरा के तौर पर प्रचारित नहीं किया गया था. 

सवाल - कांग्रेस का मुख्य मुकाबला आप से है या भाजपा से. ऐसा लग रहा है कि केजरीवाल ने सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पकड़ ली है. 

केजरीवाल कपटी हैं. मेरे लिए वे भेड़ की खाल पहने हुए एक भेड़िया हैं. वह मुख्य रूप से आरएसएस के व्यक्ति हैं. ये अलग बात हैं कि वे अपने को कुछ और बताते हैं. उन्हें भाजपा ने खड़ा किया है. अन्ना हजारे के आंदोलन के समय वे भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की गोद में बैठे थे. अरुण जेटली और सुषमा स्वराज उनका समर्थन करते थे. हम वे कहते फिर रहे हैं कि वे भागवत गीता और हनुमान चालीसा पढ़ते हैं. मैं यह नहीं कह रहा हूं कि इन ग्रंथों को पढ़ने से आपको प्रेरणा नहीं मिलती है, लेकिन वे इसे वोट बैंक के तौर पर यूज कर रहे हैं. हिंदुओं को मिलाने की कोशिश कर रहे हैं. मैं चाहता हूं कि सीएम एक अच्छा व्यक्ति बने. लेकिन क्या वे नेता बनने के लायक हैं, जिसकी कल्पना संविधान ने की है. वाकई में केजरीवाल कपटी हैं. 

सवाल - क्या दिल्ली चुनाव में सीएए कोई मुद्दा है. 

मुझे ऐसा नहीं लगता है. लेकिन यह राष्ट्रीय मुद्दा है. इसके खिलाफ सिर्फ कांग्रेस पार्टी खड़ी है. दिल्ली के सीएम ने सीएए के खिलाफ बोला, लेकिन यह नहीं बताया कि दिल्ली में एनआरसी लागू करेंगे या नहीं. केजरीवाल ने ये तो बताया कि उन्हें पुलिस मिल जाए, तो वे दो घंटे में शाहीन बाग को खाली करा लेंगे, लेकिन ये नहीं बताया कि वे इसे कैसे करेंगे. हालांकि, मैं केन्द्र की तारफी करूंगा कि उन्होंने आंदोलन को बाधित नहीं किया. केजरीवाल और भाजपा सांसद परवेज वर्मा, दोनों की भाषा एक जैसी है. 

सवाल - कांग्रेस के सामने राष्ट्रीय स्तर पर कैसी चुनौतिया हैं. 

हमारी व्यापक सामाजिक लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए प्रतिबद्धता थी. लेकिन हमें इसे फिर से परिभाषित करने की जरूरत है. ज्यादातर लोगों को पता है कि कांग्रेस किस लिए खड़ी है. वे केवल यही चाहते हैं कि पार्टी उन मूल्यों के साथ खड़ी दिखाई दे. समस्या तब पैदा होती है, जब कांग्रेस अपनी छवि बदलने की कोशिश करती है. पीएम मोदी के सभी लोकप्रिय कार्यक्रम वास्तव में यूपीए के कार्यक्रम हैं. इस सरकार के पास इसके निपटाने के लिए अधिक पैसा है. एक भी ऐसा काम नहीं है, जिसका श्रेय पीएम मोदी को जाता है. भाजपा ने केवल हिंदुत्व के आख्यान और राष्ट्रवाद के अपने ब्रांड का निर्माण किया है. उनकी हिंदू राष्ट्र अवधारणा में कुछ भी नहीं है. सबसे अच्छे रूप में यह मुसलमानों को बदनाम कर रहा है. यह केवल एक नारा है. कांग्रेस कभी भी आक्रामक नहीं रही है, लेकिन अब उसे और अधिक सशक्त और स्पष्ट करने की आवश्यकता है कि वह किसके लिए खड़ा है, और एक नई भाषा में समय परीक्षण किए गए विचारों को निर्धारित करें.

 


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Last Updated : Feb 29, 2020, 2:51 PM IST
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