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नशा मुक्त समाज के लिए जरूरी है बेहतर देखभाल और संबंधित ज्ञान

नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध व्यापार के खिलाफ 2020 के अंतरराष्ट्रीय दिवस की थीम 'बेहतर देखभाल के लिए बेहतर ज्ञान' है. इस वर्ष की थीम दुनिया भर में नशे की समस्या को समझने और इसके सुधार करने की आवश्यकता पर जोर देती है. बेहतर ज्ञान और समझ से नशे की समस्या का मुकाबला करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को और बढ़ावा मिलेगा.

International Day Against Drug
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Published : Jun 26, 2020, 7:03 AM IST

Updated : Jun 26, 2020, 3:24 PM IST

हैदराबाद : नशीली दवाओं का दुरुपयोग से मुक्त अंतरराष्ट्रीय समाज बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए व वैश्विक सहयोग को मजबूत करने के लिए हर साल 26 जून को नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध व्यापार के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है. इसका उद्देश्य मादक द्रव्यों के सेवन के साथ-साथ नशीली दवाओं के अवैध व्यापार को रोकने के लिए जागरूकता बढ़ाना है.

इतिहास
नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस पहली बार 1987 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मनाया गया था. विश्व औषधि रिपोर्ट 2017 के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र कार्यालय द्वारा ड्रग्स एंड क्राइम रिपोर्ट जारी की गई. इसमें पाया गया कि लगभग एक अरब लोगों के एक चौथाई भाग ने 2015 में कम से कम एक बार ड्रग्स का इस्तेमाल किया. इनमें से लगभग 29.5 मिलियन लोग (या वैश्विक वयस्क आबादी का 0.6 प्रतिशत) नशीली दवाओं से होने वाले विकारों से पीड़ित थे.

बेहतर देखभाल के लिए बेहतर ज्ञान
नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध व्यापार के खिलाफ 2020 के अंतरराष्ट्रीय दिवस की थीम 'बेहतर देखभाल के लिए बेहतर ज्ञान' है. यह दुनिया की नशे की समस्या को समझने और इसे सुधारने की आवश्यकता पर जोर देती है. बेहतर ज्ञान और समझ से नशे की समस्या का मुकाबला करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को और बढ़ावा मिलेगा और लोगों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और शासन में भी सुधार आएगा.

नशीली दवाओं के दुरुपयोग व लत के बारे में जानकारी
नशीली दवाओं का दुरुपयोग तब होता है जब कोई व्यक्ति कानूनी या गैर कानूनी पदार्थ का उपयोग इस तरह से करता है जिस तरह से उसके उपयोग की सलाह नहीं दी जाती है. गोलियां एक निर्धारित मात्रा में ली जाने की चिकित्सीय सलाह दी जाती है. ऐसा नहीं करने पर नशीली दवाओं का दुरुपयोग होता है. व्यक्ति इसका उपयोग करके अच्छा महसूस करने लगता है, ऐसा करके वह वास्तविकता से बचने की कोशिश करते हैं.

यदि कोई इन दवाओं का आदी नहीं है, वह गलत आदतों पर लगाम लगा सकता है. हालांकि, इसकी लत के कारण स्वास्थ्य संबंधी विकार होने लगते हैं. वित्तीय संकट के बावजूद लोग इसे नहीं छोड़ पाते. इसकी लत व्यक्ति के लोगों के साथ रिश्ते को भी प्रभावित करती है.

भारत में नशीली दवाओं का दुरुपयोग
भारत में पिछले कुछ दशकों में नशीली दवा की खपत देश के लिए बड़ी समस्या बनकर उभरी है. यह देश के बच्चों और युवाओं को प्रभावित करने वाली सबसे गंभीर समस्याओं में से एक बन गई है. फरवरी 2019 में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की जो इस गंभीर समस्या पर प्रकाश डालती है. इसे सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा प्रायोजित किया गया था.

सर्वेक्षण के मुख्य निष्कर्ष

  • राष्ट्रीय स्तर पर 10 से 75 वर्ष के बीच के लगभग 14.6 प्रतिशत लोग (लगभग 16 करोड़ लोग) शराब का सेवन करते हैं.
  • पिछले 12 महीनों के भीतर लगभग 2.8 प्रतिशत भारतीयों ने (3.1 करोड़ लोगों ने) भांग से बने किसी उत्पाद का सेवन किया.
  • सर्वेक्षण के समय लगभग 2.06 प्रतिशत लोग ओपियोड का उपयोग कर रहे थे. इनमें से लगभग 0.55 प्रतिशत लोगों को ओपियोड से छुटकारा पाने के लिए मदद की आवश्यकता है.
  • यह अनुमान लगाया गया है कि राष्ट्रीय स्तर पर लगभग 8.5 लाख लोग ड्रग्स (PWID) इंजेक्ट करते हैं.

भारतीय राज्यों की स्थिति

  • असम, दिल्ली, हरियाणा, मणिपुर, मिजोरम, सिक्किम और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में नशीली दवाओं का दुरुपयोग सबसे ज्यादा होता है.
  • नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी में किए गए सर्वेक्षणों में पंजाब लगातार शीर्ष या शीर्ष पांच में रहा है.
  • नशीले पदार्थों के अवैध व्यापार में भारत का प्रमुख स्थान है.

पंजाब में स्थिति
पंजाब लंबे समय से इस समस्या का सामना कर रहा है. राज्य में लगभग 75 प्रतिशत युवाओं को नशीली दवाओं की लत है. इससे भी चिंताजनक बात यह है कि पंजाब में लगभग 89 फीसदी नशीले पदार्थों का सेवन पढ़े-लिखे और साक्षर लोग कर रहे हैं. पंजाब में हर दिन औसतन 1,400 रुपये हेरोइन पर खर्च किए जाते हैं. पंजाब की अंतरराष्ट्रीय सीमा से निकटता के कारण देश के बाकी हिस्सों में ड्रग्स की तस्करी करने में आसानी होती है. युवा जो बेरोजगार हैं वह अक्सर अपनी परेशानियों को भूलने की उम्मीद में मादक पदार्थों का सहारा लेते हैं. कभी-कभी, युवा अपने साथियों के प्रभाव में ड्रग्स लेने की कोशिश करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर वह नशे की लत के शिकार हो जाते हैं.

अवैध नशीली दवाओं की तस्करी क्या है?
मादक पदार्थों की तस्करी एक वैश्विक अवैध व्यापार है, जिसमें मादक पदार्थों की खेती, उत्पादन, वितरण और उन पदार्थों की बिक्री शामिल है जो मद्य निषेध कानून के अधीन हैं.

शराब

  • भारत में 5.7 करोड़ लोग शराब से संबंधित समस्याओं से पीड़ित हैं और उन्हें उपचार की आवश्यकता है.
  • 16 करोड़ लोग जो भारत भर में शराब का सेवन करते हैं उनमें महिलाओं की तुलना में पुरूषों की संख्या 17 गुना अधिक है.
  • भारत में शराब का सेवन करने वाले लोग देशी शराब का लगभग 30 प्रतिशत और स्प्रिट IMFL का लगभग 30 प्रतिशत सेवन करते हैं.
  • लगभग 5.2 प्रतिशत भारतीयों के यानि करीब 5.7 करोड़ से अधिक लोगों के शराब के उपयोग से प्रभावित होने का अनुमान है. दूसरे शब्दों में, भारत में शराब पीने वाले हर तीसरे आदमी को मदद की जरूरत है.
  • शराब के सबसे ज्यादा उपयोग वाले राज्य छत्तीसगढ़, त्रिपुरा, पंजाब, अरुणाचल प्रदेश और गोवा हैं.

कैनबिस

  • लगभग 2.8 प्रतिशत भारतीयों ने यानि 3.1 करोड़ लोगों ने पिछले 12 महीनों के दौरान किसी भी भांग उत्पाद का सेवन किया है.
  • लगभग 0.66 प्रतिशत भारतीय यानि लगभग 72 लाख लोगों को अपनी भांग की समस्याओं के लिए मदद की आवश्यकता है.
  • उत्तर प्रदेश, पंजाब, सिक्किम, छत्तीसगढ़ और दिल्ली में भांग का सेवन सबसे ज्यादा किया जाता है.

नशीले पदार्थ

  • राष्ट्रीय स्तर पर, सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला ओपियोड हेरोइन है (वर्तमान उपयोग 1.14 प्रतिशत) इसके बाद फार्मास्युटिकल ओपिओइड (वर्तमान उपयोग 0.96 प्रतिशत) और फिर ओपियम (वर्तमान उपयोग 0.52 प्रतिशत) है.
  • ओपियम और फार्मास्युटिकल ओपियोइड की तुलना में लोग हेरोइन पर ज्यादा निर्भर हैं.
  • देश में ओपियोइड उपयोग करने वाले कुल अनुमानित लोगों में से आधे से अधिक उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और गुजरात में हैं.

सेडेटिव और इनहेलेंट:

  • 10-75 वर्षीय भारतीयों में से लगभग 1.08 प्रतिशत लोग सेडेटिव (गैर-चिकित्सा, गैर-प्रिस्क्रिप्शन उपयोग) के वर्तमान उपयोगकर्ता हैं.
  • राज्य सिक्किम, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम में सेडेटिव और इनहेलेंट का प्रयोग जोरों पर हैं.
  • हालांकि, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, आंध्र प्रदेश और गुजरात शीर्ष पांच राज्य हैं जो सबसे ज्यादा इनका उपयोग करते हैं.
  • इनहेलेंट का सेवन बच्चों और किशोरों में वयस्कों की तुलना में अधिक है.

कोकेन

कोकेन (0.10 प्रतिशत), एम्फैटेमिन (0.18 प्रतिशत) और हॉल्यूकिनोजेन्स (0.12 प्रतिशत) भारत में इनका सेवन कम है

ड्रग एडिक्ट के लक्षण

  • नशीली दवाओं का बार-बार सेवन
  • जब दवा बंद हो जाती है तो बेचैनी बढ़ने लगती है
  • व्यवहार अनियंत्रित हो जाता है और व्यक्ति हंगामा करता है
  • व्यक्तित्व में बदलाव (शौक, रुचि, व्यवहार) देखे जा सकते हैं
  • मूड स्विंग होता है, चिन्तित, या व्याकुल दिखाई देता है
  • लगातार बहती नाक, लाल आंखें या शरीर पर इंजेक्शन के निशान होते हैं
  • बहुत अधिक या बहुत कम नींद आना
  • रिश्तों में बदलाव भी कभी-कभी देखे जा सकते हैं
  • अचानक वजन में बदलाव-अचानक वजन कम होना या वजन बढ़ना

कैसे देखभाल करें

  • यदि आपको अपने दोस्त या परिजन में ऊपर दिए गए लक्षण दिखाई देते हैं, तो आप चिकित्सक से तत्काल सहायता प्राप्त कर सकते हैं.
  • प्रभावित व्यक्ति को विशेषज्ञ के पास ले जाना चाहिए. वह विभिन्न कारकों के आधार पर उपचारों के बारे में बताएंगे.
  • दवा के उपयोग से उनके शरीर और मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ा है या नहीं इसका मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन भी किया जाना चाहिए.
  • उपचार की प्रक्रिया काफी लंबी होती है. इसमें थकावट भी हो सकती है. उपचार में डिटॉक्स, पुनर्वास, चिकित्सा और उपचार के बाद की देखभाल भी शामिल होती है.
  • स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय देश में शराब और नशीली दवाओं की मांग में कमी लाने के लिए प्रयासरत हैं.

हैदराबाद : नशीली दवाओं का दुरुपयोग से मुक्त अंतरराष्ट्रीय समाज बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए व वैश्विक सहयोग को मजबूत करने के लिए हर साल 26 जून को नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध व्यापार के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है. इसका उद्देश्य मादक द्रव्यों के सेवन के साथ-साथ नशीली दवाओं के अवैध व्यापार को रोकने के लिए जागरूकता बढ़ाना है.

इतिहास
नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस पहली बार 1987 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मनाया गया था. विश्व औषधि रिपोर्ट 2017 के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र कार्यालय द्वारा ड्रग्स एंड क्राइम रिपोर्ट जारी की गई. इसमें पाया गया कि लगभग एक अरब लोगों के एक चौथाई भाग ने 2015 में कम से कम एक बार ड्रग्स का इस्तेमाल किया. इनमें से लगभग 29.5 मिलियन लोग (या वैश्विक वयस्क आबादी का 0.6 प्रतिशत) नशीली दवाओं से होने वाले विकारों से पीड़ित थे.

बेहतर देखभाल के लिए बेहतर ज्ञान
नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध व्यापार के खिलाफ 2020 के अंतरराष्ट्रीय दिवस की थीम 'बेहतर देखभाल के लिए बेहतर ज्ञान' है. यह दुनिया की नशे की समस्या को समझने और इसे सुधारने की आवश्यकता पर जोर देती है. बेहतर ज्ञान और समझ से नशे की समस्या का मुकाबला करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को और बढ़ावा मिलेगा और लोगों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और शासन में भी सुधार आएगा.

नशीली दवाओं के दुरुपयोग व लत के बारे में जानकारी
नशीली दवाओं का दुरुपयोग तब होता है जब कोई व्यक्ति कानूनी या गैर कानूनी पदार्थ का उपयोग इस तरह से करता है जिस तरह से उसके उपयोग की सलाह नहीं दी जाती है. गोलियां एक निर्धारित मात्रा में ली जाने की चिकित्सीय सलाह दी जाती है. ऐसा नहीं करने पर नशीली दवाओं का दुरुपयोग होता है. व्यक्ति इसका उपयोग करके अच्छा महसूस करने लगता है, ऐसा करके वह वास्तविकता से बचने की कोशिश करते हैं.

यदि कोई इन दवाओं का आदी नहीं है, वह गलत आदतों पर लगाम लगा सकता है. हालांकि, इसकी लत के कारण स्वास्थ्य संबंधी विकार होने लगते हैं. वित्तीय संकट के बावजूद लोग इसे नहीं छोड़ पाते. इसकी लत व्यक्ति के लोगों के साथ रिश्ते को भी प्रभावित करती है.

भारत में नशीली दवाओं का दुरुपयोग
भारत में पिछले कुछ दशकों में नशीली दवा की खपत देश के लिए बड़ी समस्या बनकर उभरी है. यह देश के बच्चों और युवाओं को प्रभावित करने वाली सबसे गंभीर समस्याओं में से एक बन गई है. फरवरी 2019 में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की जो इस गंभीर समस्या पर प्रकाश डालती है. इसे सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा प्रायोजित किया गया था.

सर्वेक्षण के मुख्य निष्कर्ष

  • राष्ट्रीय स्तर पर 10 से 75 वर्ष के बीच के लगभग 14.6 प्रतिशत लोग (लगभग 16 करोड़ लोग) शराब का सेवन करते हैं.
  • पिछले 12 महीनों के भीतर लगभग 2.8 प्रतिशत भारतीयों ने (3.1 करोड़ लोगों ने) भांग से बने किसी उत्पाद का सेवन किया.
  • सर्वेक्षण के समय लगभग 2.06 प्रतिशत लोग ओपियोड का उपयोग कर रहे थे. इनमें से लगभग 0.55 प्रतिशत लोगों को ओपियोड से छुटकारा पाने के लिए मदद की आवश्यकता है.
  • यह अनुमान लगाया गया है कि राष्ट्रीय स्तर पर लगभग 8.5 लाख लोग ड्रग्स (PWID) इंजेक्ट करते हैं.

भारतीय राज्यों की स्थिति

  • असम, दिल्ली, हरियाणा, मणिपुर, मिजोरम, सिक्किम और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में नशीली दवाओं का दुरुपयोग सबसे ज्यादा होता है.
  • नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी में किए गए सर्वेक्षणों में पंजाब लगातार शीर्ष या शीर्ष पांच में रहा है.
  • नशीले पदार्थों के अवैध व्यापार में भारत का प्रमुख स्थान है.

पंजाब में स्थिति
पंजाब लंबे समय से इस समस्या का सामना कर रहा है. राज्य में लगभग 75 प्रतिशत युवाओं को नशीली दवाओं की लत है. इससे भी चिंताजनक बात यह है कि पंजाब में लगभग 89 फीसदी नशीले पदार्थों का सेवन पढ़े-लिखे और साक्षर लोग कर रहे हैं. पंजाब में हर दिन औसतन 1,400 रुपये हेरोइन पर खर्च किए जाते हैं. पंजाब की अंतरराष्ट्रीय सीमा से निकटता के कारण देश के बाकी हिस्सों में ड्रग्स की तस्करी करने में आसानी होती है. युवा जो बेरोजगार हैं वह अक्सर अपनी परेशानियों को भूलने की उम्मीद में मादक पदार्थों का सहारा लेते हैं. कभी-कभी, युवा अपने साथियों के प्रभाव में ड्रग्स लेने की कोशिश करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर वह नशे की लत के शिकार हो जाते हैं.

अवैध नशीली दवाओं की तस्करी क्या है?
मादक पदार्थों की तस्करी एक वैश्विक अवैध व्यापार है, जिसमें मादक पदार्थों की खेती, उत्पादन, वितरण और उन पदार्थों की बिक्री शामिल है जो मद्य निषेध कानून के अधीन हैं.

शराब

  • भारत में 5.7 करोड़ लोग शराब से संबंधित समस्याओं से पीड़ित हैं और उन्हें उपचार की आवश्यकता है.
  • 16 करोड़ लोग जो भारत भर में शराब का सेवन करते हैं उनमें महिलाओं की तुलना में पुरूषों की संख्या 17 गुना अधिक है.
  • भारत में शराब का सेवन करने वाले लोग देशी शराब का लगभग 30 प्रतिशत और स्प्रिट IMFL का लगभग 30 प्रतिशत सेवन करते हैं.
  • लगभग 5.2 प्रतिशत भारतीयों के यानि करीब 5.7 करोड़ से अधिक लोगों के शराब के उपयोग से प्रभावित होने का अनुमान है. दूसरे शब्दों में, भारत में शराब पीने वाले हर तीसरे आदमी को मदद की जरूरत है.
  • शराब के सबसे ज्यादा उपयोग वाले राज्य छत्तीसगढ़, त्रिपुरा, पंजाब, अरुणाचल प्रदेश और गोवा हैं.

कैनबिस

  • लगभग 2.8 प्रतिशत भारतीयों ने यानि 3.1 करोड़ लोगों ने पिछले 12 महीनों के दौरान किसी भी भांग उत्पाद का सेवन किया है.
  • लगभग 0.66 प्रतिशत भारतीय यानि लगभग 72 लाख लोगों को अपनी भांग की समस्याओं के लिए मदद की आवश्यकता है.
  • उत्तर प्रदेश, पंजाब, सिक्किम, छत्तीसगढ़ और दिल्ली में भांग का सेवन सबसे ज्यादा किया जाता है.

नशीले पदार्थ

  • राष्ट्रीय स्तर पर, सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला ओपियोड हेरोइन है (वर्तमान उपयोग 1.14 प्रतिशत) इसके बाद फार्मास्युटिकल ओपिओइड (वर्तमान उपयोग 0.96 प्रतिशत) और फिर ओपियम (वर्तमान उपयोग 0.52 प्रतिशत) है.
  • ओपियम और फार्मास्युटिकल ओपियोइड की तुलना में लोग हेरोइन पर ज्यादा निर्भर हैं.
  • देश में ओपियोइड उपयोग करने वाले कुल अनुमानित लोगों में से आधे से अधिक उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और गुजरात में हैं.

सेडेटिव और इनहेलेंट:

  • 10-75 वर्षीय भारतीयों में से लगभग 1.08 प्रतिशत लोग सेडेटिव (गैर-चिकित्सा, गैर-प्रिस्क्रिप्शन उपयोग) के वर्तमान उपयोगकर्ता हैं.
  • राज्य सिक्किम, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम में सेडेटिव और इनहेलेंट का प्रयोग जोरों पर हैं.
  • हालांकि, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, आंध्र प्रदेश और गुजरात शीर्ष पांच राज्य हैं जो सबसे ज्यादा इनका उपयोग करते हैं.
  • इनहेलेंट का सेवन बच्चों और किशोरों में वयस्कों की तुलना में अधिक है.

कोकेन

कोकेन (0.10 प्रतिशत), एम्फैटेमिन (0.18 प्रतिशत) और हॉल्यूकिनोजेन्स (0.12 प्रतिशत) भारत में इनका सेवन कम है

ड्रग एडिक्ट के लक्षण

  • नशीली दवाओं का बार-बार सेवन
  • जब दवा बंद हो जाती है तो बेचैनी बढ़ने लगती है
  • व्यवहार अनियंत्रित हो जाता है और व्यक्ति हंगामा करता है
  • व्यक्तित्व में बदलाव (शौक, रुचि, व्यवहार) देखे जा सकते हैं
  • मूड स्विंग होता है, चिन्तित, या व्याकुल दिखाई देता है
  • लगातार बहती नाक, लाल आंखें या शरीर पर इंजेक्शन के निशान होते हैं
  • बहुत अधिक या बहुत कम नींद आना
  • रिश्तों में बदलाव भी कभी-कभी देखे जा सकते हैं
  • अचानक वजन में बदलाव-अचानक वजन कम होना या वजन बढ़ना

कैसे देखभाल करें

  • यदि आपको अपने दोस्त या परिजन में ऊपर दिए गए लक्षण दिखाई देते हैं, तो आप चिकित्सक से तत्काल सहायता प्राप्त कर सकते हैं.
  • प्रभावित व्यक्ति को विशेषज्ञ के पास ले जाना चाहिए. वह विभिन्न कारकों के आधार पर उपचारों के बारे में बताएंगे.
  • दवा के उपयोग से उनके शरीर और मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ा है या नहीं इसका मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन भी किया जाना चाहिए.
  • उपचार की प्रक्रिया काफी लंबी होती है. इसमें थकावट भी हो सकती है. उपचार में डिटॉक्स, पुनर्वास, चिकित्सा और उपचार के बाद की देखभाल भी शामिल होती है.
  • स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय देश में शराब और नशीली दवाओं की मांग में कमी लाने के लिए प्रयासरत हैं.
Last Updated : Jun 26, 2020, 3:24 PM IST
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