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राफेल संबंधी आलेख पर सरकार के रूख की INS ने आलोचना की

प्रिंट मीडिया उद्योग की शीर्ष संस्था इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी (INS) ने राफेल सौदे पर प्रकाशित आलेख पर उच्चतम न्यायालय के समक्ष केंद्र सरकार के रूख को लेकर शुक्रवार को नाराजगी जाहिर की और सरकारी गोपनीयता कानून (OSA) रद्द करने की मांग की.

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Published : Mar 9, 2019, 8:07 AM IST

नई दिल्ली: प्रिंट मीडिया उद्योग की शीर्ष संस्था इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी (INS) ने राफेल सौदे पर प्रकाशित आलेख पर उच्चतम न्यायालय के समक्ष केंद्र सरकार के रूख को लेकर शुक्रवार को नाराजगी जाहिर की और सरकारी गोपनीयता कानून (OSA) रद्द करने की मांग की.

INS का यह बयान शीर्ष न्यायालय में कुछ दिन पहले अटार्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल द्वारा दी गई उस दलील के बाद आया है, जिसके तहत उन्होंने राफेल सौदे पर उच्चतम न्यायालय के पूर्व के फैसले पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिका इस आधार पर खारिज करने की मांग की थी कि यह (नयी याचिका) रक्षा मंत्रालय से चोरी हुए दस्तावेजों पर आधारित है. साथ ही, अटार्नी जनरल ने यह भी कहा था कि इस बारे में जांच जारी है.

बयान में कहा गया है, ‘INS ने ‘द हिंदू’ (अंग्रेजी समाचारपत्र) के खिलाफ सरकारी गोपनीयता कानून के तहत कार्रवाई की कथित धमकी को लेकर स्तब्धता और नाराजगी भी जताई है. उच्चतम न्यायालय में राफेल पर सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश हुए अटार्नी जनरल द्वारा दी गई धमकी अविवेकपूर्ण और लोकतंत्र में पूरी तरह से अस्वीकार्य है.’

INS ने सरकार और राजनीतिक दलों से इस पुरातन कानून को रद्द करने के लिए एकजुट होने का अनुरोध किया क्योंकि इसका इस्तेमाल सरकार के बारे में कड़वे सच प्रकाशित करने को लेकर मीडिया के खिलाफ किया जाता है.

बयान में कहा गया है कि इस कानून की लोकतंत्र में कोई जगह नहीं है, जहां शासन और प्रशासनिक निर्णय पर खबर प्रकाशित करने के लिए प्रेस की स्वतंत्रता को संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है और यह संरक्षण सूत्र की गोपनीयता बनाए रखने के लिए भी है.

नई दिल्ली: प्रिंट मीडिया उद्योग की शीर्ष संस्था इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी (INS) ने राफेल सौदे पर प्रकाशित आलेख पर उच्चतम न्यायालय के समक्ष केंद्र सरकार के रूख को लेकर शुक्रवार को नाराजगी जाहिर की और सरकारी गोपनीयता कानून (OSA) रद्द करने की मांग की.

INS का यह बयान शीर्ष न्यायालय में कुछ दिन पहले अटार्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल द्वारा दी गई उस दलील के बाद आया है, जिसके तहत उन्होंने राफेल सौदे पर उच्चतम न्यायालय के पूर्व के फैसले पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिका इस आधार पर खारिज करने की मांग की थी कि यह (नयी याचिका) रक्षा मंत्रालय से चोरी हुए दस्तावेजों पर आधारित है. साथ ही, अटार्नी जनरल ने यह भी कहा था कि इस बारे में जांच जारी है.

बयान में कहा गया है, ‘INS ने ‘द हिंदू’ (अंग्रेजी समाचारपत्र) के खिलाफ सरकारी गोपनीयता कानून के तहत कार्रवाई की कथित धमकी को लेकर स्तब्धता और नाराजगी भी जताई है. उच्चतम न्यायालय में राफेल पर सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश हुए अटार्नी जनरल द्वारा दी गई धमकी अविवेकपूर्ण और लोकतंत्र में पूरी तरह से अस्वीकार्य है.’

INS ने सरकार और राजनीतिक दलों से इस पुरातन कानून को रद्द करने के लिए एकजुट होने का अनुरोध किया क्योंकि इसका इस्तेमाल सरकार के बारे में कड़वे सच प्रकाशित करने को लेकर मीडिया के खिलाफ किया जाता है.

बयान में कहा गया है कि इस कानून की लोकतंत्र में कोई जगह नहीं है, जहां शासन और प्रशासनिक निर्णय पर खबर प्रकाशित करने के लिए प्रेस की स्वतंत्रता को संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है और यह संरक्षण सूत्र की गोपनीयता बनाए रखने के लिए भी है.


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