नई दिल्ली : चीन का हाल के दिनों में बांग्लादेश पर प्रभाव बढ़ता जा रहा है. इस बीच भारत के विदेश सचिव हर्ष वर्धन शृंगला मंगलवार को अचानक दो दिवसीय दौरे पर अपने पूर्वोत्तर के पड़ोसी देश पहुंच गए हैं. प्रत्यक्ष रूप से इसे नई दिल्ली का ढाका को प्रेम जताने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है.
शुरुआत में यह एक दिन का संक्षिप्त दौरा लग रहा था, लेकिन बाद में यह दो दिवसीय आधिकारिक दौरा हो गया. इस साल मार्च में जब कोविड-19 महामारी के बाद प्रतिबंध लागू हुए तब से शृंगला का इस तरह का यह पहला विदेश दौरा है. एक पंक्ति के जारी बयान में विदेश मंत्रालय ने कहा है कि 18-19 अगस्त को शृंगला बातचीत और आपसी हितों पर सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए ढाका दौरे पर जा रहे हैं. हालांकि, बांग्लादेश के विदेश सचिव मसूद बिन मोमिन ने अपने भारतीय समकक्ष के इस अचानक दौरे के बारे में विदेश मंत्रालय में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कुछ भी बताने से इनकार कर दिया.
कोरोना के टीके पर हो सकती है चर्चा
उन्होंने कहा कि उनकी शृंगला के साथ बुधवार को बैठक होनी तय है. वह कोविड -19 वायरस के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित टीके के बांग्लादेश पहुंचने के बारे में जानना चाहेंगे, जिसका भारत में अभी परीक्षण चल रहा है. बीडी न्यूज 24 डॉट कॉम के अनुसार, ढाका ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित टीके के बांग्लादेश में परीक्षण पर चर्चा के लिए तैयार है. यदि यह परीक्षण में सफल रहा तो भारत का सीरम इंस्टीट्यूट इस टीके के लाखों डोज तैयार करेगा.
ढाका के एक सूत्र ने ईटीवी भारत को बताया कि मोमिन के अनुसार बांग्लादेश सभी उपलब्ध टीकों को पाना चाहता है चाहे वह चीन का हो, रूस का या फिर अमेरिका का. सूत्र के अनुसार मोमिन ने कहा कि बातचीत की इस प्रक्रिया के तहत बांग्लादेश इस मुद्दे पर भारत के साथ विचार-विमर्श करेगा.
बांग्लादेश की सरकारी मेडिकल अनुसंधान एजेंसी ने चीन के सिनोवेक बायोटेक लिमिटेड की ओर से विकसित कोविड -19 के संभावित टीके के तीसरे चरण की परीक्षण की स्वीकृति दी थी, लेकिन इस स्वीकृति को अभी रोक कर रखा गया है.
बांग्लादेश में भारत के उच्चायुक्त रह चुके शृंगला का इस दौरे में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमिन भी मिलने का पहले से कार्यक्रम तय है. पर्यवेक्षकों के अनुसार, शृंगला की इस यात्रा का मकसद हाल के समय में बांग्लादेश में बढ़ते चीन के प्रभाव का प्रतिकार करना है. खासकर ऐसे समय में, जब भारत और चीन के बीच लद्दाख में कशमकश चल रही है.
भारत के लिए ताजा सिरदर्द चीन का ढाका को तीस्ता नदी जल प्रबंधन के लिए करीब एक अरब डॉलर तक का कर्ज देने का फैसला है. यह पहला अवसर है जब चीन दक्षिण एशियाई देश के जल प्रबंधन में शामिल हुआ है.
बांग्लादेश भारत का एक सबसे करीबी पड़ोसी है, लेकिन तीस्ता नदी जल की साझेदारी दोनों देशों के बीच दशकों से सबसे बड़े विवाद का मुद्दा बना हुआ है.
वर्ष 2011 में जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री के रूप में ढाका दौरे पर गए थे तब भारत और बांग्लादेश ने तीस्ता नदी जल बंटवारे पर एक समझौते पर लगभग हस्ताक्षर कर दिया था, लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विरोध के कारण अंतिम क्षण में इसे हटा दिया गया. तीस्ता नदी का उद्गम स्थल पूर्वी हिमालय है और बांग्लादेश में प्रवेश करने से पहले भारत के सिक्किम और पश्चिम बंगाल राज्य से गुजरती है. यह बांग्लादेश के मैदानी इलाकों में बाढ़ की एक स्रोत है, लेकिन सर्दियों में लगभग दो महीने सूखी रहती है.
विदेश नीति बनाने में आती है बाधा
बांग्लादेश भारत से गंगा नदी जल बंटवारे के 1996 के समझौते की तरह तीस्ता नदी जल के ‘न्यायोचित’ बंटवारे की मांग करता रहा है. गंगा जल का दोनों देशों की लगभग सीमा पर स्थित फरक्का बैराज से बंटवारे का करार है. तीस्ता नदी जल के बारे में ऐसा कुछ नहीं हुआ है. सीमा पार समझौते में विशेष रूप से भारतीय राज्यों का बहुत अधिक प्रभाव है. पश्चिम बंगाल तीस्ता समझौते को सहमति देने से परहेज करता रहा है, इसलिए विदेश नीति बनाने में बाधा आती है.
अब बांग्लादेश ने ग्रेटर रंगपुर क्षेत्र में तीस्ता नदी व्यापक प्रबंधन और बहाली (तीस्ता रिवर काम्प्रहेंसिव मैनेंजमेंट एंड रीस्टोरेशन) परियोजना बनाई है और चीन से 85.3 करोड़ डॉलर कर्ज की मांग की है जिस पर चीन ने सहमति जता दी है. इस परियोजना पर 98.3 करोड़ डॉलर खर्च होने हैं. इससे तीस्ता नदी के जल को संचित करने के एक बहुत बड़े जलाशय का निर्माण किया जाना है. चीन भारत के पूर्वी क्षेत्र में अपनी रक्षा परियोजनाओं पर तेजी से काम कर रहा है. इसके तहत वह बांग्लादेश के कोक्स बाजार पेकुआ में बीएनएस शेख हसीना पनडुब्बी बेस तैयार करने के साथ बांग्लादेश की नौसेना को दो पनडुब्बी भी दे रहा है.
नई दिल्ली के लिए एक और चिंता की बात यह है प्रधानमंत्री शेख हसीना ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के पसंदीदा बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) को भी स्वीकार कर लिया है. भारत उसकी एक प्रमुख परियोजनाओं में शामिल बीआरआई का हिस्सा बनने से इनकार कर चुका है. चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कोरिडोर (सीपीईसी) पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरता है.
भारत का दक्षिण एशियाई देशों के बीच बांग्लादेश के साथ सबसे करीबी संबंध है फिर भी ढाका ने बंगाल की खाड़ी में चीन को समुद्री प्रबंधन परियोजनाओं में मदद करने पर सहमति जताई है.
ऐसा तब हुआ है जब पिछले साल अक्टूबर में शेख हसीना भारत आई थीं तो नई दिल्ली और ढाका के बीच सात करारों और तीन परियोजनाओं पर हस्ताक्षर हुए थे.
इस करार में बांग्लादेश के चटगांव और मोंगला बंदरगाह का विशेषकर पूर्वोत्तर भारत से आने-जाने के लिए इस्तेमाल करना, त्रिपुरा के सोनामुरा और बांग्लादेश के दाउदकांटी के बीच व्यापार के जल मार्ग का संचालन और भारत की ओर से ढाका को आठ अरब डॉलर का लाइन ऑफ क्रेडिट लागू करने पर सहमति शामिल है. दोनों देश अधिक व्यापार हो इसके लिए एक दूसरे देश को लोगों को बीच व्यक्तिगत जुड़ाव हो इसके लिए रेल और संपर्क के अन्य साधन बहाल करने के लिए भी काम कर रहे हैं. पिछले माह भारत ने बांग्लादेश को 10 ब्रॉडगेज रेल इंजन मुहैया कराए.
बांग्लादेश के साथ थोक में तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) आयात करने, ढाका स्थित रामकृष्ण मिशन में छात्रों के विवेकानंद भवन नाम से छात्रावास बनाने और बांग्लादेश के खुलना स्थित इंस्टीट्यूशन ऑफ डिप्लोमा इंजीनियर्स बांग्लादेश (आईडीईबी) में बांग्लादेश-इंडिया प्रोफेशनल स्कील डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट (बीआईपीएसडीई) सहित कुल तीन परियोजनाओं पर करार हुआ था.
इसी माह कुछ दिन पहले भारत ने विदेश मंत्रालय के अपर सचिव विक्रम दोरईस्वामी (अंतरराष्ट्रीय संगठन एवं सम्मेलन) को बांग्लादेश का नया उच्चायुक्त बनाया है. इस नियुक्ति को ढाका को फुसलाने की चीन के प्रयासों के खिलाफ नई दिल्ली के रणनीतिक उपाय के रूप में देखा जा रहा है. मैंडरिन और फ्रेंच बोलने में माहिर दुरईस्वामी नई दिल्ली स्थित विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (अमेरिका) और हिंद- प्रशांत के प्रमुख के रूप में काम कर चुके हैं.
भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के साथ चतुष्कोण का हिस्सा है जो जापान के पूर्वी तट से अफ्रीका के पूर्वी तट तक फैले इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति एवं समृद्धि के लिए काम कर रहे हैं. इन सारी पृष्ठभूमि के बीच शृंगला का अचानक ढाका दौरे ने पर्यवेक्षकों की रुचि बढ़ा दी है.
(अरुणिम भुयान)