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भारतीय लेखिका को एक लाख अमेरिकी डॉलर का इनाम मिला

भारतीय लेखिका एनी जैदी को अमेरिका में एक लाख अमेरिकी डॉलर का इनाम मिला है. एनी को 2019 के नाइन डॉट्स पुरस्कार के लिए चुना गया है. पढ़ें पूरा विवरण

लेखिका एनी जैदी की फाइल फोटो (सौ. एएफपी)
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Published : May 29, 2019, 6:46 PM IST

Updated : May 29, 2019, 8:21 PM IST

लंदन: भारतीय लेखिका एनी जैदी को अमेरिका में एक लाख अमेरिकी डॉलर का इनाम मिला है. एनी को 2019 के नाइन डॉट्स पुरस्कार के लिए चुना गया है. ये इनाम इनोवेटिव सोच के लिए दिया जाता है. ऐसी सोच जो दुनिया भर में समकालीन मुद्दों का समाधान करती हो.

एनी को उनकी कृति ब्रेड, सीमेंट, कैक्टस के लिए इनाम मिला है. इसमें उनके संस्मरण के अलावा रिपोर्ट भी शामिल हैं. रिपोर्ट में एनी ने भारत में अपने घर और संपत्ति से सरोकार और समकालीन जीवन के अनुभवों का जिक्र किया है.

ऐनी (40) ने कहा कि 'नाइन डॉट्स प्राइज' जिस तरह से नए लोगों को बिना सीमा या अंकुश के सोचने के लिए प्रोत्साहित करता है उससे वह काफी प्रभावित हुईं. एनी मुंबई की रहने वाली हैं. वे एक फ्रीलांस लेखिका हैं. उनके काम में रिपोर्ट्स, लेख, लघु कथाएं, कविताएं, नाटक भी शामिल हैं.

Annie Zaidi etv bharat
लेखिका एनी जैदी. (सौ: @NineDotsPrize)

इस पुरस्कार के लिए प्रतिभागियों को 3,000 शब्द में एक विषय पर निबंध लिखना होता है. नॉन डॉट्स प्राइज के विजेता को अपने जवाब को एक पुस्तक के रूप में ढालने के लिए सहयोग दिया जाता है.

इसे कैंब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस (सीयूपी) प्रकाशित करता है. विजेता को कैंब्रिज विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर रिसर्च इन आर्ट्स, सोशल साइंसेज एंड ह्यूमैनिटीज (सीआरएएसएसएच) में कुछ समय बिताने का मौका दिया जाता है.

Annie Zaidi etv bharat
लेखिका एनी जैदी. (सौ: Annie Zaidi facebook)

लेखिका कहती हैं कि नाइन डॉट्स प्रइज के बारे में वास्तव में मुझे सबसे अधिक आकर्षक बात ये लगी कि जिस तरह से यह प्रवेशकों को सीमाओं या संयम के बिना सोचने के लिए प्रोत्साहित करता हैं. 40 वर्षीय विजेता ने कहा कि मेरा काम अक्सर संस्मरण और पत्रकारिता के बीच की खाई को पार कर गया है और समयबद्ध, लेकिन व्यापक-खुले प्रश्न ने हमें इसे उन तरीकों से संपर्क करने के लिए प्रोत्साहित किया है जो समान रूप से दूरगामी थे.

वे आगे बताती हैं कि इसके दूसरे चरण में सवालों के जवाब देने होते हैं. इसमें मुझसे पूछा गया कि क्या घर जैसी कोई दूसरी जगह नहीं है. इसका जवाब 3,000 शब्दों के निबंध में देना था.

इस तरह के प्लॉट पर मैं पहले से काम कर रही थी पर मेरे अंदर वित्त और मानसिक तौर पर इतना स्पेस नहीं था कि मैं इस तरह के मुद्दे के साथ इंसाफी कर पाऊं. इस पुरस्कार में मिले पैसे का प्रयोग कर के मैं इस तरह मुद्दों पर काम कर सकूंगी. इस तरह के मुद्दों का अर्थ था कि जैसा सवार दूसरे चरण में पूंछा गया. इन पैसों से मैं कई जगह जाऊंगी, खास तौर पर वो जगह जिन पर मैं काम करना चाहती हूं.

उन्होंने फिक्शन और नॉन-फिक्शन दोनों प्रकाशित किया है. इसमें निबंध नॉन टर्फ का संग्रह: बैंडिंग विद द बैंडिट्स एंड अदर ट्रू टेल्स शामिल है. इसे 2010 में क्रॉसवर्ड बुक अवार्ड के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया था और लव स्टोरीज # 1 से 14 का संक्षिप्त संग्रह फिक्शन 2012 में प्रकाशित हुआ.

उनकी नई प्रस्तावित पुस्तक नाइन डॉट्स प्राइज जीतने वाले निबंध ब्रेड, सीमेंट, कैक्टस है. इसे कप (CUP) द्वारा मई 2020 में प्रकाशित किया जाएगा और यह इस सवाल के माध्यम से केंद्रीय प्रश्न का उत्तर देगी कि किसी नागरिक की घर की भावना कैसे नष्ट हो सकती है या पुनर्प्राप्त हो सकती है. भारत में मृत्यु की राजनीति और अर्थशास्त्र, शादी में जाति और धार्मिक रेखाओं को पार करना और भारत का विभाजन एक महान सांस्कृतिक और भावनात्मक सुंदरता के रूप में विभिन्न विषयों को संबोधित करेगा.

Annie Zaidi etv bharat
लेखिका एनी जैदी. (सौ: @NineDotsPrize)

प्रोफेसर साइमन गोल्डहिल, ग्रीक साहित्य और संस्कृति में प्रोफेसर और किंग्स कॉलेज, कैमरून विश्वविद्यालय के फेलो ने कहा एनी जैदी में हमने आज दुनिया के नागरिकों के लिए घर का क्या अर्थ है. इस बारे में एक अनूठी अंतर्दृष्टि के साथ एक शक्तिशाली और सम्मोहक आवाज पाई है. हम यह देखने के लिए बहुत उत्साहित हैं कि आने वाले वर्ष में एनी का काम कैसे विकसित होगा और आशा है कि यह दुनिया भर में संबंधित अवधारणा के बारे में वर्तमान बातचीत में मदद करेगा. प्रोफेसर साइमन गोल्डहिल नौ डॉट्स पुरस्कार बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं.

बता दें, नाइन डॉट्स प्रइज एक प्रतिष्ठित पुरुस्कार है, जो विश्व भर के समसामयिक मुद्दों को उठाने वाले नवोन्मेषी विचारों को सम्मानित करने के लिए दिया जाता है.

नाइन डॉट्स पुरस्कार कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह के दौरान सवाल उठाए गए कि क्या डिजिटल तकनीकें राजनीति को असंभव बना रही हैं? और क्या गूगल के पूर्व कर्मचारी द्वारा ऑक्सफोर्ड के दार्शनिक जेम्स विलियम्स को जीता गया था. परिणामी किताब, स्टैंड आउट ऑफ अवर लाइट: फ्रीडम एंड रेसिस्टेंस इन द अटेंशन इकोनॉमी, मई 2018 में इन महत्वपूर्ण प्रशनों के उत्तर के साथ प्रकाशित हुई थी.

कडास प्राइज फाउंडेशन नाइन डॉट प्राइज के लिए फंज करता है. ये यूके का एक चैरिटी ग्रुप है. कडास और प्रो गोल्डहिल के अलावा, नौ डॉट्स प्राइज बोर्ड में 9 अन्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त और प्रतिष्ठित शिक्षाविद, लेखक, पत्रकार और विचारक शामिल हैं.

लंदन: भारतीय लेखिका एनी जैदी को अमेरिका में एक लाख अमेरिकी डॉलर का इनाम मिला है. एनी को 2019 के नाइन डॉट्स पुरस्कार के लिए चुना गया है. ये इनाम इनोवेटिव सोच के लिए दिया जाता है. ऐसी सोच जो दुनिया भर में समकालीन मुद्दों का समाधान करती हो.

एनी को उनकी कृति ब्रेड, सीमेंट, कैक्टस के लिए इनाम मिला है. इसमें उनके संस्मरण के अलावा रिपोर्ट भी शामिल हैं. रिपोर्ट में एनी ने भारत में अपने घर और संपत्ति से सरोकार और समकालीन जीवन के अनुभवों का जिक्र किया है.

ऐनी (40) ने कहा कि 'नाइन डॉट्स प्राइज' जिस तरह से नए लोगों को बिना सीमा या अंकुश के सोचने के लिए प्रोत्साहित करता है उससे वह काफी प्रभावित हुईं. एनी मुंबई की रहने वाली हैं. वे एक फ्रीलांस लेखिका हैं. उनके काम में रिपोर्ट्स, लेख, लघु कथाएं, कविताएं, नाटक भी शामिल हैं.

Annie Zaidi etv bharat
लेखिका एनी जैदी. (सौ: @NineDotsPrize)

इस पुरस्कार के लिए प्रतिभागियों को 3,000 शब्द में एक विषय पर निबंध लिखना होता है. नॉन डॉट्स प्राइज के विजेता को अपने जवाब को एक पुस्तक के रूप में ढालने के लिए सहयोग दिया जाता है.

इसे कैंब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस (सीयूपी) प्रकाशित करता है. विजेता को कैंब्रिज विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर रिसर्च इन आर्ट्स, सोशल साइंसेज एंड ह्यूमैनिटीज (सीआरएएसएसएच) में कुछ समय बिताने का मौका दिया जाता है.

Annie Zaidi etv bharat
लेखिका एनी जैदी. (सौ: Annie Zaidi facebook)

लेखिका कहती हैं कि नाइन डॉट्स प्रइज के बारे में वास्तव में मुझे सबसे अधिक आकर्षक बात ये लगी कि जिस तरह से यह प्रवेशकों को सीमाओं या संयम के बिना सोचने के लिए प्रोत्साहित करता हैं. 40 वर्षीय विजेता ने कहा कि मेरा काम अक्सर संस्मरण और पत्रकारिता के बीच की खाई को पार कर गया है और समयबद्ध, लेकिन व्यापक-खुले प्रश्न ने हमें इसे उन तरीकों से संपर्क करने के लिए प्रोत्साहित किया है जो समान रूप से दूरगामी थे.

वे आगे बताती हैं कि इसके दूसरे चरण में सवालों के जवाब देने होते हैं. इसमें मुझसे पूछा गया कि क्या घर जैसी कोई दूसरी जगह नहीं है. इसका जवाब 3,000 शब्दों के निबंध में देना था.

इस तरह के प्लॉट पर मैं पहले से काम कर रही थी पर मेरे अंदर वित्त और मानसिक तौर पर इतना स्पेस नहीं था कि मैं इस तरह के मुद्दे के साथ इंसाफी कर पाऊं. इस पुरस्कार में मिले पैसे का प्रयोग कर के मैं इस तरह मुद्दों पर काम कर सकूंगी. इस तरह के मुद्दों का अर्थ था कि जैसा सवार दूसरे चरण में पूंछा गया. इन पैसों से मैं कई जगह जाऊंगी, खास तौर पर वो जगह जिन पर मैं काम करना चाहती हूं.

उन्होंने फिक्शन और नॉन-फिक्शन दोनों प्रकाशित किया है. इसमें निबंध नॉन टर्फ का संग्रह: बैंडिंग विद द बैंडिट्स एंड अदर ट्रू टेल्स शामिल है. इसे 2010 में क्रॉसवर्ड बुक अवार्ड के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया था और लव स्टोरीज # 1 से 14 का संक्षिप्त संग्रह फिक्शन 2012 में प्रकाशित हुआ.

उनकी नई प्रस्तावित पुस्तक नाइन डॉट्स प्राइज जीतने वाले निबंध ब्रेड, सीमेंट, कैक्टस है. इसे कप (CUP) द्वारा मई 2020 में प्रकाशित किया जाएगा और यह इस सवाल के माध्यम से केंद्रीय प्रश्न का उत्तर देगी कि किसी नागरिक की घर की भावना कैसे नष्ट हो सकती है या पुनर्प्राप्त हो सकती है. भारत में मृत्यु की राजनीति और अर्थशास्त्र, शादी में जाति और धार्मिक रेखाओं को पार करना और भारत का विभाजन एक महान सांस्कृतिक और भावनात्मक सुंदरता के रूप में विभिन्न विषयों को संबोधित करेगा.

Annie Zaidi etv bharat
लेखिका एनी जैदी. (सौ: @NineDotsPrize)

प्रोफेसर साइमन गोल्डहिल, ग्रीक साहित्य और संस्कृति में प्रोफेसर और किंग्स कॉलेज, कैमरून विश्वविद्यालय के फेलो ने कहा एनी जैदी में हमने आज दुनिया के नागरिकों के लिए घर का क्या अर्थ है. इस बारे में एक अनूठी अंतर्दृष्टि के साथ एक शक्तिशाली और सम्मोहक आवाज पाई है. हम यह देखने के लिए बहुत उत्साहित हैं कि आने वाले वर्ष में एनी का काम कैसे विकसित होगा और आशा है कि यह दुनिया भर में संबंधित अवधारणा के बारे में वर्तमान बातचीत में मदद करेगा. प्रोफेसर साइमन गोल्डहिल नौ डॉट्स पुरस्कार बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं.

बता दें, नाइन डॉट्स प्रइज एक प्रतिष्ठित पुरुस्कार है, जो विश्व भर के समसामयिक मुद्दों को उठाने वाले नवोन्मेषी विचारों को सम्मानित करने के लिए दिया जाता है.

नाइन डॉट्स पुरस्कार कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह के दौरान सवाल उठाए गए कि क्या डिजिटल तकनीकें राजनीति को असंभव बना रही हैं? और क्या गूगल के पूर्व कर्मचारी द्वारा ऑक्सफोर्ड के दार्शनिक जेम्स विलियम्स को जीता गया था. परिणामी किताब, स्टैंड आउट ऑफ अवर लाइट: फ्रीडम एंड रेसिस्टेंस इन द अटेंशन इकोनॉमी, मई 2018 में इन महत्वपूर्ण प्रशनों के उत्तर के साथ प्रकाशित हुई थी.

कडास प्राइज फाउंडेशन नाइन डॉट प्राइज के लिए फंज करता है. ये यूके का एक चैरिटी ग्रुप है. कडास और प्रो गोल्डहिल के अलावा, नौ डॉट्स प्राइज बोर्ड में 9 अन्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त और प्रतिष्ठित शिक्षाविद, लेखक, पत्रकार और विचारक शामिल हैं.

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Indian writer wins USD 100,000 global book prize
By Aditi Khanna
         London, May 29 (PTI) Indian writer Annie Zaidi was on Wednesday announced as the 2019 winner of the USD 100,000 Nine Dots Prize, a prestigious book prize created to award innovative thinking that addresses contemporary issues around the world.
         Mumbai-based Zaidi, a freelance writer whose work includes reportage, essays, short stories, poetry and plays, won for her entry Bread, Cement, Cactus' combining memoir and reportage to explore concepts of home and belonging rooted in her experience of contemporary life in India.
         What really appealed to me about the Nine Dots Prize was the way it encourages entrants to think without borders or restraints. My work has often crossed over genres, traversing between memoir and journalism, and this timely but wide-open question encouraged us to approach it with methods that were equally far-ranging, said the 40-year-old winner.
         Now in its second cycle, the prize challenged entrants to answer the question Is there still no place like home?' in a 3,000-word essay. The winner of the Nine Dots Prize is supported to develop their response into a full-length book, which is published by Cambridge University Press (CUP), and given the opportunity to spend a term at the Centre for Research in the Arts, Social Sciences and Humanities (CRASSH), Cambridge University.
         I had been working towards a similarly themed project for a while but didn't have the financial, or even mental, bandwidth to do it justice. The Prize will allow me to dedicate time to the examination of this question, which is of critical importance in the modern world and it will help fund the necessary research trips, which, as a freelancer, is something I appreciate hugely, said Zaidi, who works on fiction, scripts and columns for magazines and newspapers.
         She has published both fiction and non-fiction, including a collection of essays Known Turf: Bantering with Bandits and Other True Tales', which was shortlisted for the Crossword Book Award in 2010, and Love Stories # 1 to 14' a collection of short fiction published in 2012.
         Her new proposed book, based on her Nine Dots Prize winning essay Bread, Cement, Cactus', will be published by CUP in May 2020 and will answer the central question through examining how a citizen's sense of home might collapse, or be recovered. The varied themes it will address include the politics and economics of death in India, the crossing of caste and religious lines in marriage, and the Partition of India as a great cultural and emotional sundering.
         In Annie Zaidi we have found a powerful and compelling voice with a unique insight into what home means for citizens of the world today. We are very excited to see how Annie's work will develop over the coming year and hope that it will help further current conversations around the concept of belonging worldwide, said Professor Simon Goldhill, Professor in Greek Literature and Culture and Fellow of King's College, Cambridge University, and Chair of the Nine Dots Prize Board.
          The anonymous judging process is crucial to the Nine Dots Prize's mission to discover new ways of tackling contemporary issues, whether they come from established thinkers or new voices. The fact that our second winner is so different from our first is testament to the success of this method, he said.
         The inaugural Nine Dots Prize posed the question Are digital technologies making politics impossible? and was won by former Google employee turned Oxford philosopher James Williams. The resulting book, Stand Out of Our Light: Freedom and Resistance in the Attention Economy', was published in May 2018 to critical acclaim.
         The Nine Dots Prize is judged anonymously and funded by the Kadas Prize Foundation, a UK-registered charity established to fund research into significant but neglected questions relevant to today's world. The Prize name name references a lateral thinking puzzle that can only be solved by drawing outside of a box of nine dots arranged in three rows of three.
         The foundation was established by Peter Kadas, who has worked around the world for a number of leading institutions. Originally from Hungary, he holds Canadian and British citizenship and currently lives in Barcelona, Spain.
         Besides Kadas and Prof Goldhill, the Nine Dots Prize Board is comprised of 9 other internationally recognised and distinguished academics, authors, journalists and thinkers. PTI AK

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Last Updated : May 29, 2019, 8:21 PM IST
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