नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नए भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने दिल्ली में नए पार्लियामेंट्री हाउस बनाने पर विचार कर रहा है. इसके लिए सरकार ने इस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू कर दिया है.
उम्मीद की जताई जा रही है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो 2022 का मानसून सत्र नए संसद भवन में होगा. लगभग 1 सदी के करीब भारतीय इतिहास का साथ रहा मौजूदा संसद भवन आज भी भारत की सबसे बहतरीन इमारतों में से एक है. यह विश्व के किसी भी देश में विद्यमान वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है.और आज भी अपने अतुल्य कला के लिए पहचानी जाती है.
भारतीय संसद भवन का डिजाइन 1912-1913 में ब्रिटिश आर्किटेक्ट सर एडविन लुटियंस और सर हर्बर्ट बेकर द्वारा डिजाइन किया गया था. इसका काम 1921 में शुरू हुआ था और 1927 में पूरा हुआ.
इसकी तुलना विश्व के सर्वोत्तम विधान-भवनों के साथ की जा सकती है. दरअसल, यह एक विशाल वृत्ताकार भवन है. जिसका व्यास 560 फुट तथा जिसका घेरा 533 मीटर है.
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भवन के 12 दरवाजे हैं, जिनमें से पाँच के सामने द्वार मंडप बने हुए हैं.पहली मंजिल पर खुला बरामदा हल्के पीले रंग के 144 चित्ताकर्षक खंभों की कतार से सुसज्जित हैं. जिनकी प्रत्येक की ऊँचाई 27 फुट है.
संसद की इमारतों में संसद भवन, संसदीय सौध, स्वागत कार्यालय और निर्माणाधीन संसदीय ज्ञानपीठ अथवा संसद ग्रंथालय सम्मिलित हैं.इन सभी को मिलाकर 'संसद परिसर' कहा जाता है.