नई दिल्ली : भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव बना हुआ है. कार्बाइन आयात के प्रस्ताव सफल होते नहीं दिख रहे हैं. इसके मद्देनजर भारतीय सेना तत्काल जरूरतों को पूरा करने के 'मेड इन इंडिया' कार्बाइन खरीदने पर विचार कर रही है.
आपको बता दें कि, सशस्त्र बलों की तकरीबन 3.5 लाख कार्बाइन की जरूरत है, लेकिन सेना 94,000 हथियारों को जल्द से जल्द खरीदना चाहती है.
कार्बाइन एक इन्फैन्ट्री हथियार है, जिसका उपयोग नजदीक मुकाबले में किया जाता है. भारतीय सेना इस हथियार को खरीदने के लिए कई साल से विचार कर रही है.
देश में इन हथियारों को खरीदने का विचार तब किया गया, जब यह बात समाने आई कि सुरक्षा बल विदेश में बने हुए इस प्रकार के हथियार का इस्तेमाल नहीं करेंगे, क्योंकि कुछ देश ही इसका निर्यात करते हैं और वह भी बहुत ही सीमित मात्रा में.
विदेश से इन कार्बाइनों को अधिग्रहण करने का मुद्दा दो साल से लटका पड़ा है, क्योंकि यह मामला पहली एनडीए सरकार के तहत रक्षा अधिग्रहण परिषद द्वारा निर्णय के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति को भेजा गया था.
सूत्रों ने बताया कि पश्चिम बंगाल के इशापोर स्थिति ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड द्वारा निर्मित कार्बाइन का प्रस्ताव भारतीय सेना को भेजा गया है, जिसके बाद भारतीय सेना इस हथियार को खरीदने पर विचार कर रही है. तीनों सेनाओं के कुछ अधिकारियों द्वारा इस हथियार का परीक्षण भी किया गया है.
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यदि इन हथियारों को चयन हो जाता है, तो ओएफबी कार्बाइन को कठोर परीक्षण से गुजरना होगा. शुरुआत में इस हथियार को सीमित मात्रा में खरीदा जाएगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने हाल ही में सिग सॉर असॉल्ट राइफल्स के दूसरे बैच को खरीदने पर मुहर लगा दी है, जो पूर्वी लद्दाख और अन्य क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात सैनिकों को उपब्ध कराया जाएगा.
2008 के बाद से CQB कार्बाइन खरीदने के प्रयास सफल नहीं हुए. इस हथियार की शुरुआती लॉट चीन के मोर्चे पर तैनात सैनिकों को दिया जाएगा.