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पूर्वी लद्दाख में सर्दी को मात देने की तैयारी, माइनस 40 डिग्री में रखवाली करेंगे रणबांकुरे

पूर्वी लद्दाख में इस बार सर्दियों में भारतीय सेना के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. पूर्वी लद्दाख में ठंड के मौसम में तापमान शून्य से 40 डिग्री नीचे तक चला जाता है. सर्दियों में यहां रहने वाले जवानों के रहने के लिए खास इंतजाम किए गए हैं.

लद्दाख में तैनात सैनिकों के लिए आवास की व्यवस्था की
लद्दाख में तैनात सैनिकों के लिए आवास की व्यवस्था की
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Published : Nov 18, 2020, 7:49 PM IST

नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में भारतीय और चीनी सेना के बीच जारी गतिरोध के निकट भविष्य में समाप्त होने के आसार नजर नहीं आने की पृष्ठभूमि में भारतीय सेना ने कड़ाके की सर्दी और ऊंचाई वाली सीमा पर तैनात अपने सैनिकों के लिए अत्याधुनिक आवासीय सुविधा की व्यवस्था की है, ताकि उनकी अभियान क्षमता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव ना हो.

सरकारी सूत्रों ने बुधवार को बताया कि चूंकि सर्दी के महीनों में यहां तापमान शून्य से 40 डिग्री नीचे चला जाता और नवंबर के बाद यहां करीब 40 फुट बर्फ गिरती है, ऐसे में सैनिकों के लिए बनाए गए आवासों में सभी सुविधाओं का ख्याल रखा गया है.

सूत्रा ने बताया कि सर्दियों में तैनात सैन्य टुकड़ियों की अभियान क्षमता यथावत बनाए रखने के लिए भारतीय सेना ने सेक्टर में तैनात सभी सैनिकों के लिए आवास का प्रबंध पूरा कर लिया है.

अधिकारियों ने बताया कि दोनों देशों की सेनाओं के बीच मई की शुरुआत से जारी गतिरोध का, कई चरणों की वार्ता के बाद भी कोई हल नहीं निकला है. ऐसे में पूर्वी लद्दाख के विभिन्न पहाड़ी क्षेत्रों में बफीर्ली ठंड के बीच सेना के करीब 50,000 जवान वहां तैनात हैं. चीन ने भी कुछ इसी संख्या में सैनिक वहां तैनात किए हुए हैं.

सूत्रों ने बताया कि तमाम सुविधाओं से युक्त परंपरागत स्मार्ट कैंप के अलावा बिजली, पानी, जगह को गर्म रखने की सुविधा, स्वास्थ्य और स्वच्छता सुविधाओं से युक्त अत्याधुनिक आवासीय सुविधा की व्यवस्था की गई है.

उन्होंने कहा कि अग्रिम पंक्ति में तैनात सैनिकों के तैनाती की रणनीतिक जरूरतों के मद्देनजर गर्म रहने वाले तंबूओं (टेंट) में रखा गया है. इसके अलावा किसी भी प्रकार की आपात जरूरत के लिए असैन्य निर्माण भी किया गया है.

बयान के अनुसार, पूर्वी लद्दाख में तापमान शून्य से 30-40 डिग्री सेल्सियस नीचे तक गिरता है और नवंबर के बाद वहां 40 फुट तक बर्फ गिरती है. इसके अलावा, कुछ समय के लिए वहां तक का सड़क मार्ग अवरुद्ध हो जाता है.

भारत और चीन की सेनाओं के बीच कोर कमांडर स्तर पर आठ दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन गतिरोध समाप्त होता नजर नहीं आ रहा है. सेनाओं के बीच अंतिम वार्ता छह नवंबर को हुई थी, जहां दोनों पक्षों ने विशेष गतिरोध बिन्दुओं से सैनिकों की वापसी पर चर्चा की.

नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में भारतीय और चीनी सेना के बीच जारी गतिरोध के निकट भविष्य में समाप्त होने के आसार नजर नहीं आने की पृष्ठभूमि में भारतीय सेना ने कड़ाके की सर्दी और ऊंचाई वाली सीमा पर तैनात अपने सैनिकों के लिए अत्याधुनिक आवासीय सुविधा की व्यवस्था की है, ताकि उनकी अभियान क्षमता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव ना हो.

सरकारी सूत्रों ने बुधवार को बताया कि चूंकि सर्दी के महीनों में यहां तापमान शून्य से 40 डिग्री नीचे चला जाता और नवंबर के बाद यहां करीब 40 फुट बर्फ गिरती है, ऐसे में सैनिकों के लिए बनाए गए आवासों में सभी सुविधाओं का ख्याल रखा गया है.

सूत्रा ने बताया कि सर्दियों में तैनात सैन्य टुकड़ियों की अभियान क्षमता यथावत बनाए रखने के लिए भारतीय सेना ने सेक्टर में तैनात सभी सैनिकों के लिए आवास का प्रबंध पूरा कर लिया है.

अधिकारियों ने बताया कि दोनों देशों की सेनाओं के बीच मई की शुरुआत से जारी गतिरोध का, कई चरणों की वार्ता के बाद भी कोई हल नहीं निकला है. ऐसे में पूर्वी लद्दाख के विभिन्न पहाड़ी क्षेत्रों में बफीर्ली ठंड के बीच सेना के करीब 50,000 जवान वहां तैनात हैं. चीन ने भी कुछ इसी संख्या में सैनिक वहां तैनात किए हुए हैं.

सूत्रों ने बताया कि तमाम सुविधाओं से युक्त परंपरागत स्मार्ट कैंप के अलावा बिजली, पानी, जगह को गर्म रखने की सुविधा, स्वास्थ्य और स्वच्छता सुविधाओं से युक्त अत्याधुनिक आवासीय सुविधा की व्यवस्था की गई है.

उन्होंने कहा कि अग्रिम पंक्ति में तैनात सैनिकों के तैनाती की रणनीतिक जरूरतों के मद्देनजर गर्म रहने वाले तंबूओं (टेंट) में रखा गया है. इसके अलावा किसी भी प्रकार की आपात जरूरत के लिए असैन्य निर्माण भी किया गया है.

बयान के अनुसार, पूर्वी लद्दाख में तापमान शून्य से 30-40 डिग्री सेल्सियस नीचे तक गिरता है और नवंबर के बाद वहां 40 फुट तक बर्फ गिरती है. इसके अलावा, कुछ समय के लिए वहां तक का सड़क मार्ग अवरुद्ध हो जाता है.

भारत और चीन की सेनाओं के बीच कोर कमांडर स्तर पर आठ दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन गतिरोध समाप्त होता नजर नहीं आ रहा है. सेनाओं के बीच अंतिम वार्ता छह नवंबर को हुई थी, जहां दोनों पक्षों ने विशेष गतिरोध बिन्दुओं से सैनिकों की वापसी पर चर्चा की.

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