नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव को कम करने के लिए भारत और चीन के बीच कमांडर स्तर पर वार्ता हुई हैं. कमांडर के बीच बैठक लद्दाख के चुशूल इलाके में हुई है. बैठक चार घंटे तक चली है.
जानकारी के मुताबिक बैठक 11 बजे शुरू हुई और तीन बजे खत्म हुई. गौरतलब है कि सीमा पर तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच लगातर बैठक हो रही है, लेकिन अब अभी तक सभी वार्ताएं अनिष्कर्षपूर्ण साबित हुई हैं.
वहीं भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच गुरुवार मॉस्को में बैठक हुई. बैठक में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव खत्म करने को लेकर अहम सहमति बनी. दोनों पक्षों के बीच पांच सूत्री सहमति बनी है.
उल्लेखनीय है कि सीमा विवाद को लेकर पिछले कई महीनों से चीन और भारत के बीच संबंध अच्छे नहीं हैं और दोनों देशों के सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख में तनातनी जारी है. बावजूद इसके भारतीय सेना ने शांति, सौहार्द्र और मानवता का परिचय देते हुए बिगड़ते रिश्तों के बाद भी इंसानियत की मिसाल पेश की और चीनी नागरिकों को बचाया था.
वहीं भारतीय सेना ने पैंगोंग झील के पास स्थिति फिंगर 4 की कई चोटियों पर कब्जा कर लिया. सेना ने यह गतिविधि अगस्त के अंत में ऊंचाई वाले क्षेत्रों पर अपना कब्जा करने के लिए झील के दक्षिणी तट से ऑपरेशन शुरू किया था. इससे पहले चीनी सेना ने फिंगर 4 के पास ऊंचाइयों पर कब्जा कर लिया था, लेकिन भारतीय सेना ने अब उन ऊंचाई वाले क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया है.
चीन ने की घुसपैठ की कोशिश
बता दें कि इससे पहले चीनी सैनिकों ने 29 और 30 अगस्त को वास्तविक नियंत्रण सीमा पर घुसपैठ करने की कोशिश की. इसको लेकर झड़प होने की भी खबर सामने आई. भारतीय सेना ने इसका करारा जवाब दिया. सेना ने इसकी जानकारी देते हुए कहा था कि उन्हें माकूल जवाब दिया गया.
भारत-चीन के सैनिकों के बीच झड़प
गौरतलब है कि 15-16 जून को भी लद्दाख की गलवान घाटी में एलएसी पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष हुआ था. इसमें भारतीय सेना के एक कर्नल समेत 20 सैनिक शहीद हो गए थे. भारत का दावा था कि घटना में चीन के भी काफी सैनिक मारे गए हैं, हालांकि चीन ने मारे गए सैनिकों के बारे में कभी भी आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की.
पैंगोंग इलाके का क्या है विवाद
लद्दाख में 134 किलोमीटर लंबी पैंगोंग झील हिमालय में करीब 14,000 फीट से ज्यादा ऊंचाई पर स्थित है. इस झील का 45 किलोमीटर का क्षेत्र भारत में पड़ता है, जबकि 90 किलोमीटर चीन के क्षेत्र में आता है. वास्तविक नियंत्रण रेखा इसी झील से गुजरती है, लेकिन चीन यह मानता है कि पूरी झील चीन के अधिकार क्षेत्र में है. (एएनआई/एजेंसियां)