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कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की रिपोर्ट, भारत ने किया खारिज - report on human rights

कश्मीर की मौजूदा स्थिति को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने एक नई रिपोर्ट पेश की है. भारत ने इस पर विरोध दर्ज कराया है, वहीं पाक ने इसका स्वागत किया है. जानें क्या है पूरा मामला

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Published : Jul 8, 2019, 11:00 PM IST

नई दिल्ली/जिनेवा: भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय (UNHRC) से जम्मू कश्मीर की स्थिति पर उसकी रिपोर्ट को लेकर सोमवार को कड़ा एतराज जताया. इस रिपोर्ट में भारत पर घाटी में मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है.

भारत ने कहा है कि यह दस्तावेज सीमापार से जारी आतंकवाद के मुद्दे की अनदेखी करता है और यह इस मुद्दे पर पिछले साल से फैलाए जा रहे 'झूठ और राजनीति का ही हिस्सा है.'

पिछले साल संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) ने कश्मीर पर अपनी पहली रिपोर्ट जारी की थी और सोमवार को उसी रिपोर्ट की अगली कड़ी में उसने दावा किया कि 'न तो भारत ने और न ही पाकिस्तान ने विभिन्न चिंताओं के समाधान के लिए कोई ठोस कदम उठाया है.'

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के कार्यालय ने जिनेवा में जारी नयी रिपोर्ट में कहा है, 'कश्मीर और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में मई 2018 से अप्रैल 2019 तक की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार रिपोर्ट कहती है कि 12 महीने की अवधि में नागरिकों के हताहत होने की सामने आयी संख्या एक दशक से अधिक समय में सबसे अधिक हो सकती है.'

इस रिपोर्ट पर प्रहार करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, 'रिपोर्ट की अगली कड़ी भारतीय राज्य जम्मू कश्मीर की स्थिति पर उसके पिछले झूठे और राजनीति से प्रेरित विमर्श की निरंतरता भर है.'

जानकारी देते ईटीवी भारत संवाददाता

उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट में कही गयी बातें भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करती हैं और उसमें सीमापार आतंकवाद के मूल मुद्दे की अनदेखी की गयी है.

कुमार ने कहा, 'वर्षों से पाकिस्तान से जो सीमापार आतंकवाद चल रहा है, उससे उत्पन्न स्थिति का, उसकी वजह से होने वाले हताहतों का हवाला दिये बगैर विश्लेषण किया गया है. यह दुनिया के सबसे बड़े और जीवंत लोकतंत्र के साथ आतंकवाद का खुलेआम समर्थन करने वाले देश की कृत्रिम रूप से बराबरी करने की काल्पनिक कोशिश भर है.'

उन्होंने कहा, 'हमने मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय से इस कड़ी को लेकर गहरा एतराज जताया है.'

रिपोर्ट में 47 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र मानवाधिाकर परिषद से कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघनों की समग्र स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच के लिए जायोग आयोग की स्थापना पर गौर करने का आह्वान किया गया है.

पढ़ें- बांग्लादेशी जल क्षेत्र में फंसी थी भारतीय नाव, बचाए गए 13 लोग

इस रिपोर्ट की निंदा करते हुए कुमार ने कहा, यह बड़ी चिंता की बात है कि यह रिपोर्ट आतंकवाद को वैधता प्रदान करती हुई जान पड़ती है जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के रुख से बिल्कुल अलग है.

कुमार ने कहा, 'संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने फरवरी, 2019 में कायराना पुलवामा आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की और बाद में जैश ए मोहम्मद के स्वयंभू कमांडर मसूद अजहर पर पाबंदी लगा दी. लेकिन इस रिपोर्ट में, संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी नेताओं और संगठनों को जानबूझकर सशस्त्र संगठन बताकर उन्हें कम आंका गया है.'

कश्मीर में दुनिया की सबसे ज्यादा सैन्य मौजूदगी
पाकिस्तान ने UNHRC कार्यालय की रिपोर्ट का स्वागत किया. हालांकि, पाक ने ये भी कहा कि कश्मीर में मानवाधिकार की स्थिति और पीओके तथा गिलगित-बालतिस्तान में हालात के बीच कोई समानता नहीं है .

पाकिस्तान ने दोहराया कि घाटी में मानवाधिकार की स्थिति और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) तथा गिलगित बालटिस्तान में माहौल के बीच कोई तुलना ही नहीं है.

पाक के विदेश कार्यालय ने दावा किया कि कश्मीर दुनिया में सबसे ज्यादा सैन्य मौजूदगी वाला क्षेत्र है जबकि पीओके और गिलगित बालटिस्तान विदेशी सैलानियों के लिए खुला हआ है.

नई दिल्ली/जिनेवा: भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय (UNHRC) से जम्मू कश्मीर की स्थिति पर उसकी रिपोर्ट को लेकर सोमवार को कड़ा एतराज जताया. इस रिपोर्ट में भारत पर घाटी में मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है.

भारत ने कहा है कि यह दस्तावेज सीमापार से जारी आतंकवाद के मुद्दे की अनदेखी करता है और यह इस मुद्दे पर पिछले साल से फैलाए जा रहे 'झूठ और राजनीति का ही हिस्सा है.'

पिछले साल संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) ने कश्मीर पर अपनी पहली रिपोर्ट जारी की थी और सोमवार को उसी रिपोर्ट की अगली कड़ी में उसने दावा किया कि 'न तो भारत ने और न ही पाकिस्तान ने विभिन्न चिंताओं के समाधान के लिए कोई ठोस कदम उठाया है.'

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के कार्यालय ने जिनेवा में जारी नयी रिपोर्ट में कहा है, 'कश्मीर और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में मई 2018 से अप्रैल 2019 तक की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार रिपोर्ट कहती है कि 12 महीने की अवधि में नागरिकों के हताहत होने की सामने आयी संख्या एक दशक से अधिक समय में सबसे अधिक हो सकती है.'

इस रिपोर्ट पर प्रहार करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, 'रिपोर्ट की अगली कड़ी भारतीय राज्य जम्मू कश्मीर की स्थिति पर उसके पिछले झूठे और राजनीति से प्रेरित विमर्श की निरंतरता भर है.'

जानकारी देते ईटीवी भारत संवाददाता

उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट में कही गयी बातें भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करती हैं और उसमें सीमापार आतंकवाद के मूल मुद्दे की अनदेखी की गयी है.

कुमार ने कहा, 'वर्षों से पाकिस्तान से जो सीमापार आतंकवाद चल रहा है, उससे उत्पन्न स्थिति का, उसकी वजह से होने वाले हताहतों का हवाला दिये बगैर विश्लेषण किया गया है. यह दुनिया के सबसे बड़े और जीवंत लोकतंत्र के साथ आतंकवाद का खुलेआम समर्थन करने वाले देश की कृत्रिम रूप से बराबरी करने की काल्पनिक कोशिश भर है.'

उन्होंने कहा, 'हमने मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय से इस कड़ी को लेकर गहरा एतराज जताया है.'

रिपोर्ट में 47 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र मानवाधिाकर परिषद से कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघनों की समग्र स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच के लिए जायोग आयोग की स्थापना पर गौर करने का आह्वान किया गया है.

पढ़ें- बांग्लादेशी जल क्षेत्र में फंसी थी भारतीय नाव, बचाए गए 13 लोग

इस रिपोर्ट की निंदा करते हुए कुमार ने कहा, यह बड़ी चिंता की बात है कि यह रिपोर्ट आतंकवाद को वैधता प्रदान करती हुई जान पड़ती है जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के रुख से बिल्कुल अलग है.

कुमार ने कहा, 'संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने फरवरी, 2019 में कायराना पुलवामा आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की और बाद में जैश ए मोहम्मद के स्वयंभू कमांडर मसूद अजहर पर पाबंदी लगा दी. लेकिन इस रिपोर्ट में, संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी नेताओं और संगठनों को जानबूझकर सशस्त्र संगठन बताकर उन्हें कम आंका गया है.'

कश्मीर में दुनिया की सबसे ज्यादा सैन्य मौजूदगी
पाकिस्तान ने UNHRC कार्यालय की रिपोर्ट का स्वागत किया. हालांकि, पाक ने ये भी कहा कि कश्मीर में मानवाधिकार की स्थिति और पीओके तथा गिलगित-बालतिस्तान में हालात के बीच कोई समानता नहीं है .

पाकिस्तान ने दोहराया कि घाटी में मानवाधिकार की स्थिति और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) तथा गिलगित बालटिस्तान में माहौल के बीच कोई तुलना ही नहीं है.

पाक के विदेश कार्यालय ने दावा किया कि कश्मीर दुनिया में सबसे ज्यादा सैन्य मौजूदगी वाला क्षेत्र है जबकि पीओके और गिलगित बालटिस्तान विदेशी सैलानियों के लिए खुला हआ है.

Intro:India has slammed the Office of the United Nations High Commissioner for Human Rights (OHCHR) updated report on Jammu and Kashmir which was published on July 8th. The second report on J&K from OHCHR accused India of gross human rights violation in the valley.






Body:In a written reply, the MEA spokesperson's office said, 'the update of the report of the OHCHR is merely a continuation of the earlier false and motivated narrative on the situation in the state of Jammu and Kashmir.'

India's Foreign Ministry claimed that the assertions in OHCHR are in violation of country's soverignity and territorial integrity and ignore the core of cross border terrorism.

The MEA said, 'a situation created by years of cross border terrorist attacks emanating from Pakistan has been analysed without any reference to its casualty. The update seems to be a contrived effort to create an artificial parity between world's largest and the most vibrant democracy and country that only practices state sponsored terrorism.'

India has also alleged that the human rights body has undermined its own credibility in its updated report by distorting India's policies, practices and values.


Conclusion:'It's failure to recognise an independent Judiciary, Human Rights Institutions and other mechanisms in the state of Jammu and Kashmir that safeguard, protect and promote constitutionally guaranteed fundamental rights to all citizens of India is unpardonable,' said the Ministry of External Affairs spokesperson's office.

India also reminded the UN Human Rights Body thay Jammu and Kashmir is an integral part of the country. It even repeated saying that Pakistan has illegaly and forcibly occupied Gilgit-Baltistan and the PoK region.

India also alleged that updated report from OHCHR has wilfully ignore the determined and socio-economic development efforts undertaken by the government.

The Ministry ended its statement claiming that India will follow zero tolerance policy towards and will take all measures to protect its territorial integrity.
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