नई दिल्लीः साल 2011 में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह मालदीय के संसद में भाषण देने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री बने थे. लेकिन दो साल बाद अब्दुल्ला यामीन के मालदीव के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद हालात बदल गए.
चीन अबदुल्ला यामीन को चीन पूर्ण रूप से समर्थन देता है. इन सबके बाद भारत-मालदीव संबंधों में एक बड़ा बदलाव देखा गया.
यामीन को चीन का पूर्ण रूप से समर्थन भारत के लिए चिंता का विषय बन गया. चीन की बढ़ती उपस्थिति भारत की समुद्री सुरक्षा के लिए खतरा बन गई.
यामीन ने सुनिश्चित किया कि वह भारत को खाड़ी में बनाए रखे.
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साल 2018 में इब्राहिम सोलिह की प्रचंड जीत के साथ मालदीव में भारत के लिए अलगाव का समय खत्म हो गया.
बता दें सोलिह के शपथ ग्रहण समारोह में पीएम मोदी भी मौजूद थे, पीएम की इस मौजूदगी ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय जुड़ाव से संबंधित किसी भी ऐसी शंका को दूर कर दिया, जो भविष्य के लिए खतरा साबित हो सकती थी.
हाल ही में संपन्न चुनावों में सत्ता में वापसी के बाद मोदी सरकार अपनी 'नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी' पर जोर दे रही है. इसी बात के मद्देनजर बिम्सटेक देशों के प्रतिनिधियों को उनके शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया गया था.
अपनी आधिकारिक यात्रा के लिए पीएम मोदी ने मालदीव को पहला देश चुनकर पहले ही मजबूत संकेत भेज दिए हैं.