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विशेष : कोरोना से जंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहीं प्राइवेट कंपनियां

कोरोना महामाहरी ने समय की कमी के कारण दुनिया को जल्द से जल्द निर्णायक कदम उठाने पर मजबूर कर दिया, ताकि इससे संक्रमित लोगों की जान बचाई जा सके. इस दौरान प्राइवेट कंपनियां भी कोरोना से लड़ाई में देश के साथ खड़ीं हैं और बड़ी भूमिका निभा रही हैं. पढ़ें विस्तार से...

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Published : May 10, 2020, 12:40 PM IST

कोरोना महामाहरी ने समय की कमी के कारण दुनिया को जल्द से जल्द निर्णायक कदम उठाने पर मजबूर कर दिया, ताकि इससे संक्रमित लोगों की जान बचाई जा सके. इस दौरान प्राइवेट कंपनियां भी कोरोना से लड़ाई में देश के साथ खड़ीं हैं और बड़ी भूमिका निभा रही हैं.

इबीसीआर

कोरोना महामाहरी ने समय की कमी के कारण दुनिया को जल्द से जल्द निर्णायक कदम उठाने पर मजबूर कर दिया, ताकि इससे संक्रमित लोगों की जान बचाई जा सके. इस बीच बहुत कम समय में मास्क, सैनिटाइजर, वेंटिलेटर और पीपीई किट की मांग इतनी अधिक हो गई कि देशों को आपूर्ति करने के लिए इन्हें बनाना शुरू करना पड़ा.

गौतम बुद्ध नगर और गाजियाबाद में कई कपड़ा कारखानों ने सुरक्षा किट, मास्क और दस्ताने बनाने का काम शुरू कर दिया है. वहीं नासिक में कंपनियों और तमिलनाडु के तिरुपुर गारमेंट हब की 100-150 के करीब कंपनियों ने मांग को पूरा करने के लिए मास्क और पीपीई किट का निर्माण शुरू कर दिया है.

वेंटिलेटर

भारत को 75,000 वेंटिलेटर की आवश्यकता थी, जिनमें से 61,000 वेंटिलेटर को ऑर्डर किया जाना था. इस दौरान नौ घरेलू निर्माता कंपनियों को लगभग 60,000 वेंटिलेटर की आपूर्ति के लिए चुना गया. वहीं केवल एक हजार वेंटिलेटर को बाहर से आयात किया गया.

वेंटिलेटर बनाने वाली नव कंपनियों में सन रे टेक्नोलॉजी और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स को 30,000 वेंटिलेटर बनाने को गया. वहीं AMTZ और AgVa को क्रमशः 13,500 और 10,000 वेंटिलेटर की आपूर्ति का जिम्मा सौंपा गया.

वहीं कम लागत वाले मैनुअल वेंटिलेटर का ऑटोमेटेड वर्जन बनाने वाली बॉयोडिजाइन इनोवेशन लैब ने नेत्र उपकरणों के निर्माता रेमिडियो के साथ गठजोड़ किया है. इससे एक महीने में वेंटिलेटर बनाने की क्षमता 400 वेंटिलेटर से अगले कुछ महीनों में 15000 वेंटिलेटर तक पहुंच जाएगी. वहींं AgVa हेल्थकेयर ने वेंटिलेटर बनाने के लिए मारुति सुजुकी के साथ करार किया है, और संभावित रूप से 20,000 वेंटिलेटर एक महीने में बनाते हैं, जो कि प्रति माह इसके 300 के उत्पादन से पहले है.

के साथ गठजोड़ किया, जो है, जो अगले कुछ महीनों में 400 वेंटिलेटर से लेकर 15,000 तक प्रति माह उत्पादन बढ़ा सकते हैं। AgVa हेल्थकेयर ने वेंटिलेटर विकसित करने के लिए एक सहयोग व्यवस्था में मारुति सुजुकी के साथ करार किया है, और संभावित रूप से 20,000 वेंटिलेटर एक महीने में बना सकते हैं, इससे पहले AgVa प्रति माह 300 वेंटिलेटर बना रही थी.

महिंद्रा समूह ने घोषणा की कि उसने 7500 रुपये की किमत का वेंटिलेटर विकसित किया है. वहीं एबी इंडस्ट्रीज वेंटिलेटर के मैक्स ब्रांड का उत्पादन कर रही है. एमजी मोटर एक साल के लिए कच्चे माल और लॉजिस्टिक्स की सोर्सिंग में मदद कर रही है, जबकि भेल भोपाल खुद वेंटिलेटर का उत्पादन करके मदद कर रहा है.

वैक्सीन

भारतीय कंपनियां भी कोरोना के लिए वैक्सीन विकसित करने की अग्रिम पंक्ति में हैं. वहीं छह से आठ के बीच भारतीय कंपनियां विकास के चरण में पहुंच गई हैं.

जाइडल कैडिला द्वारा दो वैक्सीन पर काम करने की बात कही जा रही है, वहीं सीरम इंस्टीट्यूट, बायोलॉजिकल ई, भारत बायोटेक, इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स और मिन वैक्स भी वैस्कीन विकसित करने की प्रक्रिया में लगे हुए हैं.

बायोकॉन, जो एक प्रमुख भारतीय जैव दवा कंपनी है, इलाज के लिए दो नई पीढ़ी की पुनर्निर्मित दवाइयाँ और एक एंटीबॉडी डायग्नोस्टिक किट विकसित कर रही है। यह सीगल बायोसोल्यूशंस के साथ एक वैक्सीन प्रोजेक्ट पर भी काम कर रहा है.

सुरक्षात्मक किट

कोरोना महामारी के पहले भारत पीपीई यानी निजी सुरक्षा उपकरण का निर्माण नहीं करता था, लेकिन कोरोना के बाद से पहली बार पीपीई किट बनाने से लेकर अब तक भारत 2.06 लाख किट का बना चुका है.

आलोक इंडस्ट्रीज, जेसीटी फगवाड़ा, गोकलदास एक्सपोर्ट्स, आदित्य बिड़ला जैसी कंपनियों ने इस खेल में कदम रखा है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी ने कहा: 'अब तक, केंद्र सरकार ने केंद्र और राज्य संचालित अस्पतालों को लगभग 21.32 लाख पीपीई किट वितरित किए हैं. वहीं कम से कम 15.96 लाख पीपीई किट केंद्र-राज्य बफर स्टॉक में हैं.'

पीपीई में इसी तरह की स्थिति देखी जा रही है, जहां 20 मिलियन यानी दो करोड़ से अधिक पीपीई की आवश्यकता थी, किट की मांग को पूरा करने के लिए 35 घरेलू निर्माता कंपनियों आगे आईं. मांग को पूरा करने के लिए इन्होंनें 1 करोड़ 30 साथ के करीब पीपीई किट बनाई.

पीपीई का घरेलू विनिर्माण तेजी से बढ़ा है. 27.2 मिलियन मास्क की आवश्यकता में से 12.8 मिलियन मास्क की मांग को तीन घरेलू निर्माता कंपनियों द्वारा पूरा किया जा रहा है . घरेलू रूप से निर्मित परीक्षण किटों में (रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन-पोलीमरेज चेन रिएक्शन और रैपिड एंटीबॉडी परीक्षण) दोनों में तेजी आई है.

फैबहेड्स ऑटोमेशन ने 3 डी-प्रिंटेड फेस शील्ड विकसित किए हैं जो इलास्टक की जगह लचीले प्लास्टिक फ्रेम का उपयोग करते हैं और लंबे समय तक पहने जाने के लिए एकदम सही हैं. यह एक पारदर्शी शीट का उपयोग करता है, जो सस्ती है और आसानी से बदली जा सकती है. कंपनी ने पहले ही चेन्नई में पुलिस कर्मियों और अस्पतालों जैसे उपयोगकर्ताओं को कुछ सौ फेस शील्ड की आपूर्ति की है.

मास्क

सरल डिजाइन्स ने सैनिटरी नैपकिन बनाने के काम को थ्री-प्लाई सर्जिकल मास्क बनाने में बदल दिया.अब यह महिंद्रा ग्रुप के साथ मिलकर यह प्रतिदिन 30,000 मास्क का उत्पादन कर रहें हैं, जिसे वे महिंद्रा के कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी प्रोग्राम के माध्यम से राज्य सरकारों को भेज रहे हैं.

आईआईटी दिल्ली ने एन-सेफ नाम से एक नया किफायती और कुशल फेस मास्क विकसित किया है. इसमें रोगाणुरोधी गुण हैं और इसे 50 दिनों तक धो सकते हैं. ट्रिपल-लेयर्ड मास्क को नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेबोरेटरीज (एनएबीएल) से मान्यता प्राप्त लैब से प्रमाणित किया गया है, जिसमें बैक्टीरिया कोरोकने के लिए 99.2 प्रतिशत तक की प्रमाणन क्षमता है.

मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड की कार सीट मैन्युफैक्चरिंग ज्वाइंट वेंचर कृष्णा मारुति लिमिटेड (KML) ने पहले बैच में गुरुग्राम प्रशासन को लगभग 200,000 ट्रिपल-फेस फेस मास्क प्रदान किए हैं.

भारत की प्रमुख कपड़ा निर्माता अरविंद ने पूर्ण सुरक्षा और गैर-एन 95 मास्क का उत्पादन किया है. वेलस्पन मास्क और कीटाणुनाशक पोंछे बना रहे हैं. बाटा इंडिया ने पुलिस कर्मियों को देने के लिए थोड़े समय के लिए मास्क का निर्माण कर रहा है.

जांच

क्योर एआई ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग का उपयोग किया है, जो सीने की स्क्रीनिंग के माध्यम से असामान्यताओंं का सेकंड में पता लगा लेता है. इसे घर-घर जांच की जा रही और इससे यह निर्धारित किया जा रहा है कि किसे कोरोना की जांच कराने की आवश्यकता हैं.

सैनीटाइजर

नीलसन के अनुसार, सैनिटाइजर की मांग अप्रैल 17-14 में 58% से बढ़कर 10-14 अप्रैल तक 87% हो गई. जिसके बाद कई भारतीय कंपनियों जैसे आटीसी लिमिटेड,डाबर इंडिया , मैरिको लिमिटेड, इमामी लिमिटेंड. ज्योती लैब लिमिटेड और शराब बनाने वाली कंपनी डिएगो इंडिया जैसी कंपनियों ने सैनीटाइजर बनाना शुरू किया.

एफएमसीजी कंपनियां जैसे कैविन केयर, डाबर, इमामी, निविया इंडिया, रेमंड कंज्यूमर केयर और वीएलसीसी या तो हैंड सैनिटाइजर बाजार में प्रवेश कर चुकी हैं या ऐसा करने की तैयारी कर रही हैं. वहीं आटीसी अपने एक पर्फ्यूम कारखाने को सैनिटाइजर की फैक्ट्री में बदल दिया.

डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडिओ) भी सैनिटाइजर और मास्क उत्पादन में शामिल है. वहीं टाटा केमिकल्स ने (मुंबई, भारत) ने गुजरात को 10 लाख लीटर से अधिक और बीएमसी, महाराष्ट्र को 480,000 लीटर से अधिक कीटाणुनाशक की आपूर्ति की है.

अन्य तकनीक

स्टैक टेक्नोलॉजीज एआई-बेस्ड कॉन्टैक्टलेस मॉनिटरिंग एप्लिकेशन बनाया है जिसमें थर्मल सेंसर (तापमान नापने वाले) कैमरों पहले से लगे हैं, जो शरीर के तापमान को 10 मीटर तक की दूरी से माप सकते हैं. असिमोव रोबोटिक्स ने 'कर्मी-बॉट' पेश किया है, जो अस्पतालों में आइसोलेशन वार्डों के लिए एक रोबोट है, जिसमें दवाओं और खाद्य ट्रे को ले जाने और देखभाल करने वालों के साथ वीडियो कॉल करने की क्षमता के साथ अन्य आवश्यक विशेषताओं को शामिल किया गया है.

दिल्ली स्थित वीहंत टेक्नोलॉजीज जो एक आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस (एआई)-आधारित ट्रैफ़िक प्रवर्तन समाधान (टीईएस) चलाती है, उन्होंने अपने प्रोग्राम को फिर से डिजाइन कर के कोवि़ड एनालिटिक्स का नाम दिया है. एआई और कंप्यूटर संचालित दृश्य के से छवि विश्लेषण समाधान जो है कोरोन संबंधित उल्लंघनों को पर नजर रखता है.

एआई कार्यक्रम कोरोना के नियम उल्लंघन का पता लगाता है जैसे कि फेस मास्क न पहनना और सामाजिक दूरी न बनाए रखना, और ट्रैफिक प्रतिबंध के दौरान स्वचालित नंबर प्लेट पहचान (एएनपीआर) के माध्यम से वाहन की चाल का पता लगाना है.

ग्लोबल 3 डी प्रिंटिंग फर्म स्ट्रैटासिस ऑटोमोबाइल कंपनियों के साथ मिलकर अपने औद्योगिक 3 डी प्रिंटर का उपयोग कर फेस मास्क और अन्य चिकित्सा उपकरणों का निर्माण कर रहा है, जिनका उपयोग संकट के दौरान किया जा सकता है.

कोरोना महामाहरी ने समय की कमी के कारण दुनिया को जल्द से जल्द निर्णायक कदम उठाने पर मजबूर कर दिया, ताकि इससे संक्रमित लोगों की जान बचाई जा सके. इस दौरान प्राइवेट कंपनियां भी कोरोना से लड़ाई में देश के साथ खड़ीं हैं और बड़ी भूमिका निभा रही हैं.

इबीसीआर

कोरोना महामाहरी ने समय की कमी के कारण दुनिया को जल्द से जल्द निर्णायक कदम उठाने पर मजबूर कर दिया, ताकि इससे संक्रमित लोगों की जान बचाई जा सके. इस बीच बहुत कम समय में मास्क, सैनिटाइजर, वेंटिलेटर और पीपीई किट की मांग इतनी अधिक हो गई कि देशों को आपूर्ति करने के लिए इन्हें बनाना शुरू करना पड़ा.

गौतम बुद्ध नगर और गाजियाबाद में कई कपड़ा कारखानों ने सुरक्षा किट, मास्क और दस्ताने बनाने का काम शुरू कर दिया है. वहीं नासिक में कंपनियों और तमिलनाडु के तिरुपुर गारमेंट हब की 100-150 के करीब कंपनियों ने मांग को पूरा करने के लिए मास्क और पीपीई किट का निर्माण शुरू कर दिया है.

वेंटिलेटर

भारत को 75,000 वेंटिलेटर की आवश्यकता थी, जिनमें से 61,000 वेंटिलेटर को ऑर्डर किया जाना था. इस दौरान नौ घरेलू निर्माता कंपनियों को लगभग 60,000 वेंटिलेटर की आपूर्ति के लिए चुना गया. वहीं केवल एक हजार वेंटिलेटर को बाहर से आयात किया गया.

वेंटिलेटर बनाने वाली नव कंपनियों में सन रे टेक्नोलॉजी और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स को 30,000 वेंटिलेटर बनाने को गया. वहीं AMTZ और AgVa को क्रमशः 13,500 और 10,000 वेंटिलेटर की आपूर्ति का जिम्मा सौंपा गया.

वहीं कम लागत वाले मैनुअल वेंटिलेटर का ऑटोमेटेड वर्जन बनाने वाली बॉयोडिजाइन इनोवेशन लैब ने नेत्र उपकरणों के निर्माता रेमिडियो के साथ गठजोड़ किया है. इससे एक महीने में वेंटिलेटर बनाने की क्षमता 400 वेंटिलेटर से अगले कुछ महीनों में 15000 वेंटिलेटर तक पहुंच जाएगी. वहींं AgVa हेल्थकेयर ने वेंटिलेटर बनाने के लिए मारुति सुजुकी के साथ करार किया है, और संभावित रूप से 20,000 वेंटिलेटर एक महीने में बनाते हैं, जो कि प्रति माह इसके 300 के उत्पादन से पहले है.

के साथ गठजोड़ किया, जो है, जो अगले कुछ महीनों में 400 वेंटिलेटर से लेकर 15,000 तक प्रति माह उत्पादन बढ़ा सकते हैं। AgVa हेल्थकेयर ने वेंटिलेटर विकसित करने के लिए एक सहयोग व्यवस्था में मारुति सुजुकी के साथ करार किया है, और संभावित रूप से 20,000 वेंटिलेटर एक महीने में बना सकते हैं, इससे पहले AgVa प्रति माह 300 वेंटिलेटर बना रही थी.

महिंद्रा समूह ने घोषणा की कि उसने 7500 रुपये की किमत का वेंटिलेटर विकसित किया है. वहीं एबी इंडस्ट्रीज वेंटिलेटर के मैक्स ब्रांड का उत्पादन कर रही है. एमजी मोटर एक साल के लिए कच्चे माल और लॉजिस्टिक्स की सोर्सिंग में मदद कर रही है, जबकि भेल भोपाल खुद वेंटिलेटर का उत्पादन करके मदद कर रहा है.

वैक्सीन

भारतीय कंपनियां भी कोरोना के लिए वैक्सीन विकसित करने की अग्रिम पंक्ति में हैं. वहीं छह से आठ के बीच भारतीय कंपनियां विकास के चरण में पहुंच गई हैं.

जाइडल कैडिला द्वारा दो वैक्सीन पर काम करने की बात कही जा रही है, वहीं सीरम इंस्टीट्यूट, बायोलॉजिकल ई, भारत बायोटेक, इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स और मिन वैक्स भी वैस्कीन विकसित करने की प्रक्रिया में लगे हुए हैं.

बायोकॉन, जो एक प्रमुख भारतीय जैव दवा कंपनी है, इलाज के लिए दो नई पीढ़ी की पुनर्निर्मित दवाइयाँ और एक एंटीबॉडी डायग्नोस्टिक किट विकसित कर रही है। यह सीगल बायोसोल्यूशंस के साथ एक वैक्सीन प्रोजेक्ट पर भी काम कर रहा है.

सुरक्षात्मक किट

कोरोना महामारी के पहले भारत पीपीई यानी निजी सुरक्षा उपकरण का निर्माण नहीं करता था, लेकिन कोरोना के बाद से पहली बार पीपीई किट बनाने से लेकर अब तक भारत 2.06 लाख किट का बना चुका है.

आलोक इंडस्ट्रीज, जेसीटी फगवाड़ा, गोकलदास एक्सपोर्ट्स, आदित्य बिड़ला जैसी कंपनियों ने इस खेल में कदम रखा है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी ने कहा: 'अब तक, केंद्र सरकार ने केंद्र और राज्य संचालित अस्पतालों को लगभग 21.32 लाख पीपीई किट वितरित किए हैं. वहीं कम से कम 15.96 लाख पीपीई किट केंद्र-राज्य बफर स्टॉक में हैं.'

पीपीई में इसी तरह की स्थिति देखी जा रही है, जहां 20 मिलियन यानी दो करोड़ से अधिक पीपीई की आवश्यकता थी, किट की मांग को पूरा करने के लिए 35 घरेलू निर्माता कंपनियों आगे आईं. मांग को पूरा करने के लिए इन्होंनें 1 करोड़ 30 साथ के करीब पीपीई किट बनाई.

पीपीई का घरेलू विनिर्माण तेजी से बढ़ा है. 27.2 मिलियन मास्क की आवश्यकता में से 12.8 मिलियन मास्क की मांग को तीन घरेलू निर्माता कंपनियों द्वारा पूरा किया जा रहा है . घरेलू रूप से निर्मित परीक्षण किटों में (रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन-पोलीमरेज चेन रिएक्शन और रैपिड एंटीबॉडी परीक्षण) दोनों में तेजी आई है.

फैबहेड्स ऑटोमेशन ने 3 डी-प्रिंटेड फेस शील्ड विकसित किए हैं जो इलास्टक की जगह लचीले प्लास्टिक फ्रेम का उपयोग करते हैं और लंबे समय तक पहने जाने के लिए एकदम सही हैं. यह एक पारदर्शी शीट का उपयोग करता है, जो सस्ती है और आसानी से बदली जा सकती है. कंपनी ने पहले ही चेन्नई में पुलिस कर्मियों और अस्पतालों जैसे उपयोगकर्ताओं को कुछ सौ फेस शील्ड की आपूर्ति की है.

मास्क

सरल डिजाइन्स ने सैनिटरी नैपकिन बनाने के काम को थ्री-प्लाई सर्जिकल मास्क बनाने में बदल दिया.अब यह महिंद्रा ग्रुप के साथ मिलकर यह प्रतिदिन 30,000 मास्क का उत्पादन कर रहें हैं, जिसे वे महिंद्रा के कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी प्रोग्राम के माध्यम से राज्य सरकारों को भेज रहे हैं.

आईआईटी दिल्ली ने एन-सेफ नाम से एक नया किफायती और कुशल फेस मास्क विकसित किया है. इसमें रोगाणुरोधी गुण हैं और इसे 50 दिनों तक धो सकते हैं. ट्रिपल-लेयर्ड मास्क को नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेबोरेटरीज (एनएबीएल) से मान्यता प्राप्त लैब से प्रमाणित किया गया है, जिसमें बैक्टीरिया कोरोकने के लिए 99.2 प्रतिशत तक की प्रमाणन क्षमता है.

मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड की कार सीट मैन्युफैक्चरिंग ज्वाइंट वेंचर कृष्णा मारुति लिमिटेड (KML) ने पहले बैच में गुरुग्राम प्रशासन को लगभग 200,000 ट्रिपल-फेस फेस मास्क प्रदान किए हैं.

भारत की प्रमुख कपड़ा निर्माता अरविंद ने पूर्ण सुरक्षा और गैर-एन 95 मास्क का उत्पादन किया है. वेलस्पन मास्क और कीटाणुनाशक पोंछे बना रहे हैं. बाटा इंडिया ने पुलिस कर्मियों को देने के लिए थोड़े समय के लिए मास्क का निर्माण कर रहा है.

जांच

क्योर एआई ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग का उपयोग किया है, जो सीने की स्क्रीनिंग के माध्यम से असामान्यताओंं का सेकंड में पता लगा लेता है. इसे घर-घर जांच की जा रही और इससे यह निर्धारित किया जा रहा है कि किसे कोरोना की जांच कराने की आवश्यकता हैं.

सैनीटाइजर

नीलसन के अनुसार, सैनिटाइजर की मांग अप्रैल 17-14 में 58% से बढ़कर 10-14 अप्रैल तक 87% हो गई. जिसके बाद कई भारतीय कंपनियों जैसे आटीसी लिमिटेड,डाबर इंडिया , मैरिको लिमिटेड, इमामी लिमिटेंड. ज्योती लैब लिमिटेड और शराब बनाने वाली कंपनी डिएगो इंडिया जैसी कंपनियों ने सैनीटाइजर बनाना शुरू किया.

एफएमसीजी कंपनियां जैसे कैविन केयर, डाबर, इमामी, निविया इंडिया, रेमंड कंज्यूमर केयर और वीएलसीसी या तो हैंड सैनिटाइजर बाजार में प्रवेश कर चुकी हैं या ऐसा करने की तैयारी कर रही हैं. वहीं आटीसी अपने एक पर्फ्यूम कारखाने को सैनिटाइजर की फैक्ट्री में बदल दिया.

डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडिओ) भी सैनिटाइजर और मास्क उत्पादन में शामिल है. वहीं टाटा केमिकल्स ने (मुंबई, भारत) ने गुजरात को 10 लाख लीटर से अधिक और बीएमसी, महाराष्ट्र को 480,000 लीटर से अधिक कीटाणुनाशक की आपूर्ति की है.

अन्य तकनीक

स्टैक टेक्नोलॉजीज एआई-बेस्ड कॉन्टैक्टलेस मॉनिटरिंग एप्लिकेशन बनाया है जिसमें थर्मल सेंसर (तापमान नापने वाले) कैमरों पहले से लगे हैं, जो शरीर के तापमान को 10 मीटर तक की दूरी से माप सकते हैं. असिमोव रोबोटिक्स ने 'कर्मी-बॉट' पेश किया है, जो अस्पतालों में आइसोलेशन वार्डों के लिए एक रोबोट है, जिसमें दवाओं और खाद्य ट्रे को ले जाने और देखभाल करने वालों के साथ वीडियो कॉल करने की क्षमता के साथ अन्य आवश्यक विशेषताओं को शामिल किया गया है.

दिल्ली स्थित वीहंत टेक्नोलॉजीज जो एक आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस (एआई)-आधारित ट्रैफ़िक प्रवर्तन समाधान (टीईएस) चलाती है, उन्होंने अपने प्रोग्राम को फिर से डिजाइन कर के कोवि़ड एनालिटिक्स का नाम दिया है. एआई और कंप्यूटर संचालित दृश्य के से छवि विश्लेषण समाधान जो है कोरोन संबंधित उल्लंघनों को पर नजर रखता है.

एआई कार्यक्रम कोरोना के नियम उल्लंघन का पता लगाता है जैसे कि फेस मास्क न पहनना और सामाजिक दूरी न बनाए रखना, और ट्रैफिक प्रतिबंध के दौरान स्वचालित नंबर प्लेट पहचान (एएनपीआर) के माध्यम से वाहन की चाल का पता लगाना है.

ग्लोबल 3 डी प्रिंटिंग फर्म स्ट्रैटासिस ऑटोमोबाइल कंपनियों के साथ मिलकर अपने औद्योगिक 3 डी प्रिंटर का उपयोग कर फेस मास्क और अन्य चिकित्सा उपकरणों का निर्माण कर रहा है, जिनका उपयोग संकट के दौरान किया जा सकता है.

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